
जगा फिर आज निर्मोही
जलाने को सताने को
लिए बन्दूक हाथों में
बढ़ा हमको डराने को
पहन कर शांति का चोगा
लिए दिल में वाही ज्वाला
लगाकर मेल का नारा
बढ़ा दिल्ली उड़ाने को
जगा फिर आज निर्मोही
जलाने को सताने को
लिए बन्दूक हाथों में
बढ़ा हमको डराने को
फसाकर बात में अपने
दिखाकर प्रेम के सपने.
बना कर फौज जेहादी
लगा बारूद फिर रखने
जली काशी-जली दिल्ली
जली हर देश की गल्ली
मगर फिर भी वो कहता है
बात आगे बढ़ाने को
जगा फिर आज निर्मोही
जलाने को सताने को
लिए बन्दूक हाथों में
बढ़ा हमको डराने को
मगर शायद वो भूला है
मुल्क-ए राणा भारत है
जहाँ जन्मा हर एक बच्चा
सिंघो का शावक है
हमीदों का वतन ये है
इरादे पाक उड़ने को
जगा फिर आज निर्मोही
जलाने को सताने को
लिए बन्दूक हाथों में
बढ़ा हमको डराने को
-राहुल पंडित
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