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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Friday, November 23, 2012

सपा सरकार को हाईकोर्ट का तमाचा.


       

        उत्तर  प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार को इलाहबाद हाईकोर्ट का तमाचा.
२००६ में वाराणसी में हुए ब्लास्ट (जिसमे ३२ निर्दोष मारे गए थे और दर्जनों घायल हुए थे) के आतंकवादियों को छोड़ने की याचिका पर कोर्ट ने कहा-

१. आज आप आतंकियों को छोड़ने की बात कर रहे हैं तो क्या कल उन्हें पद्म विभूषण देंगे?

२.कौन आतंकी है और कौन नहीं,इसका फैसला कोर्ट करेगी न की सरकार.

३. आखिर जो ६ सालों तक आतंकवादी थे,आपकी सरकार आते है निर्दोष कैसे हो गए?

४.क्या आतंकियों की रिहाई से दुसरे आतंकियों और अपराधियों का  दूसरी वारदात को अंजाम देने के लिए हौसला नहीं बढेगा?

देखते हैं हमारे देश की शर्मनिरपेक्ष राजनीती,निर्दोषों की लाशों को भुलाकर वोटबैंक की राजनीती कब तक करती है?

अखिलेश अली पुत्र मुलायम अली से हिन्दू और  उम्मीद ही क्या कर सकतें हैं ! शुक्र है यह टिप्पणी इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने की है जिस पर इनका बस नहीं चलता ! वरना बाप-बेटे हाइकोर्ट का भी मूह भीच देते !

Wednesday, November 21, 2012

कसाब कों लटकाए जाने पर विभिन्न व्यक्तियों की प्रतिक्रिया!



सोनिया गाँधी- सुबुक......सुबु क.
(बेचारी का रोते रोते बुरा हाल है...कुछ बोल
नहीं पा रही है.)

अफजल- चु..ये कों कहा था मैंने,
ज्यादा बिरयानी, अखबार,
टीवी आदि की डिमांड कर के हाईलाइट मत
हो...मुझे देखो, मैं भी तो बरसो से चुपचाप
रोटिया तोड़ रहा हूँ...किसी का ध्यान
ही नहीं जाता है.

शिवसेना- ठाकरे साहब ने ऊपर भगवान कों कह
कर कसाब की मौत पर मुहर लगवा दी..यह
होता है Tiger.......... .!

खुर्शीद- हमे बड़ा अफ़सोस है...(अपने चमचे से-
इसकी बिरयानी का टेंडर भी हमारे पास
ही था ना..अब यह कमाई भी गयी हाथ से..:

ओवेसी- कसाब जैसे जाबांज कम ही पैदा होते
है...उनकी लाश कों हैदराबाद लाया जाये..हम
भाग्यलक्ष्मी मंदिर तोड़ कर उसकी जगह
उनकी मजार बनायेंगे..(इतना कह कर
उन्होंने पकिस्तान का झंडा लहरा दिया)

कपिल सिब्बल :- कसाब , भारतीय
नहीं था इसलिए उसके जाने से देश में
सेक्युलरों कि कुल संख्या पर कोई फर्क
नहीं पड़ा ... its zero loss

जयललिता :- खबरदार जो किसी ने कसाब
कि लाश को समंदर में फेंका .... हम
नहीं चाहते कि नीलम का कहर दुबारा हम पर टूटे

मायावती :- अगर देश कि दलित जनता एकजुट
नहीं होती तो कसाब
को इतनी जल्दी फांसी नहीं होती

दिग्विजय सिंह :- शहीद-ए-पाकिस्तान "कसाब
जी" एक युवा क्रन्तिकारी थे ......
उनकी क्रांति को हम आगे लेकर बढ़ें

केजरीवाल- असल में कसाब की मौत डेंगू से हुई है
और सरकार फांसी का नाम लगाकर
झूठी वाह-वाही बटोरना चाह रही है...इस बात पर
खुलासा २६ नवम्बर कों किया जायेगा

जावेद अख्तर- यह क्या जुल्म हो रहा है खुदा के
बन्दों पर...पहले इजराइल और अब
इंडिया भी!! (फिर उन्होंने थूकते हुए कोई शेर
बोला जो हमारी समझ में नहीं आया..)

शबाना आजमी- किसी मासूम कों यू
लटकाया जाना सरासर गलत है..हम मानवाधिकार
वाले इसके खिलाफ प्रदर्शन
करेंगे..(चलो इसी बहाने इन्हें कोई काम
तो मिला..)

जल्लाद-प्रभु, तुने मेरे पेशे कि लाज रख
ली....कब से मुफ्त की रोटियां तोड़
रहा था...आज जाकर कुछ मेहनत से
कमाया है..

KFC ने बिरयानी कों लेकर एक नयी फ़ूड चेन शुरू
की और कसाब के लिए बिरयानी बनाने
वाले कों उसका मुख्य
बावर्ची बनाया गया है..

नितीश कुमार- हम इस दुःख की वेला में कसाब के
परिवार वालों से मिलने फिर से पाकिस्तान
जायेंगे..

TIMES OF INDIA-सरकार के इस कदम से
हमारे सदभावना मिशन "अमन की आशा"
कों गहरा आघात पहुंचा है...

महेश भट्ट- (संपर्क नहीं हो पाया..शायद
पाकिस्तान गए है)
हमने लालू, ममता, आदि बाकी के
लोगो की भी प्रतिक्रियाएं जाने
की कोशिश की पर संपर्क
नहीं हो पाया....उनसे संपर्क होते
ही आपको उनकी प्रतिक्रियाओं से अवगत
कराया जाएगा...

Sunday, November 18, 2012

इंडो-पाक क्रिकेट सीरिज आतंकवाद को समर्थन


हम पाकिस्तान से क्रिकेट सम्बन्ध बहाल करने जा रहे हैं.
मित्रों भारत-पाकिस्तान मैच देखने से पहले ये पूरा विडिओ(थोडा लम्बा है पर जरूर) देखना.ये एक मुहीम है इंडो-पाक क्रिकेट सीरिज के बाईकाट  का.शेयर करें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचाएं,जिससे हमारी आवाज़ ,हमारी गूंगी,बहरी और अंधी सरकार तक पहुचे और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के शिकार हजारों लोगों को न्याय मिल सके,






Thursday, November 8, 2012

कान और नाक कटने के बावजूद नहीं हारा यह देशभक्त




भारत-पाक के बीच हुए कारगिल युद्ध में सैकड़ों भारतीय जवानों ने शहीद होकर वीरता की इबारत लिखी थी। इनमें से कई देशभक्तों ने देश की वि़जय में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी।

ऐसे जवानों में से ही एक जवान भीखाराम मूंढ भी थे। भीखाराम मूंढ राजस्थान के बाड़मेर जिले के रहने वाले थे। इनका जन्म बाड़मेर की परपदरा तहसील के पातासर गांव में 16 जनवरी 1977 को को हुआ था।

सन् 1994 में भीखाराम की शादी भंवरी देवी के साथ हुई। 26 अप्रैल 1995 को भीखाराम का चयन भारतीय सेना में 4 जाट रेजिमेंट में बतौर सिपाही किया गया। भीखाराम मूंढ को युद्ध के समय जम्मू कश्मीर के कारगिल क्षेत्र में सीमा पर सुरक्षा के लिए तैनात किया गया था। उस समय युद्ध अपने चरम पर चल रहा था। भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों के सैनिक कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे और दोनों देशों की तरफ से कूटनीतिक चालें भी चली जा रहीं थीं।

युद्ध के समय मई 1999 में लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया अपने साथियों के साथ सीमा पर गश्त लगा रहे थे। लेफ्टिनेंट सौरभ कालिया के समूह में भीखाराम मूंढ भी शामिल थे। उसी समय पाकिस्तान के घुसपैठियों ने उनके गश्ती समूह पर हमला कर दिया। भारतीय सैनिकों ने पाक हमले का जमकर मुकाबला किया लेकिन 14 मई 1999 को 6 भारतीय सैनिकों को पाकिस्तान के गुप्तचर विभाग ने पकड़ लिया। इन सैनिकों पर भारत के लिए पाकिस्तान के खिलाफ जासूसी करने का आरोप लगाया गया। इन सैनिकों में भीखाराम मूंढ भी थे।

पाकिस्तानी सेना द्वारा इन सैनिकों के साथ बड़ा ही अमानवीय तथा बर्बरतापूर्वक व्यवहार किया गया। पाक सैनिकों ने नृशंसतापूर्वक इनके आँख, कान और नाक काट लिए। इसके बाद उन्होंने इस सभी को एक सप्ताह तक कठोर एवं पाशविक यातनाएं दी। इन सबके बावजूद जब वे कुछ भी हासिल कर पाने में नाकाम रहे तो उन्होंने सभी की हत्या कर दी।

भीखाराम मूंढ भी इस हादसे के भुक्तभोगी थे। जब इस घटना के बारे में भारत सरकार और अन्य देशों को पता चला तो अंतर्राष्ट्रीय दबाव के कारण पाकिस्तान को इन सैनिकों के शव भारत को सौंपने पड़े। 9 जून सन् 1990 को इन सैनिकों के क्षत-विक्षत शव भारत को प्राप्त हुए। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाक के इस कृत्य की कड़ी भर्त्सना और निंदा की गयी थी।