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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Wednesday, July 28, 2010

कहें गरज कर हम हिन्दू हैं,हिन्दुस्तान हमारा है


जन्मभूमि जननी का कण-कण हमें स्वर्ग से प्यारा है.
कहें गरज कर हम हिन्दू हैं,हिन्दुस्तान हमारा है.
दूर-सूदूर बृहद सीमाएं,क्रमश: कैसी सिमट रहीं.
राष्ट्र धर्म,सम्मान,अस्मिता,चोटें सब पर सतत पड़ीं.
बिघटन को हम मिल कर रोकें,पौरुष ने ललकारा है.
कहें गरज कर हम हिन्दू हैं,हिन्दुस्तान हमारा है.
हिन्दू जगा है,देश जागेगा,नव निर्माण का युग लौटेगा.
हिन्दू हितों का रखवाला ही,भारत भू पर राज्य करेगा.
जियें देश हित,मरे देश हित,यह संकल्प हमारा है.
कहें गरज कर हम हिन्दू हैं,हिन्दुस्तान हमारा है.
जन्मभूमि पर विशाल मंदिर,भगवा ध्वज फिर से लहरेगा.
मथुरा-काशी के आंचल से,अपमानो का चिन्ह छटेगा.
राम नाम की अद्भुत महिमा,सत्ता मद भी हारा है.
कहें गरज कर हम हिन्दू हैं,हिन्दुस्तान हमारा है.
कदम-कदम पर विकट चुनौती,पंथ मतों का भेद मिटायें.
कोटि -कोटि हिन्दू हृदयों में,राष्ट्र भक्ति का भाव जगाएं.
संघ शक्ति कलियुग में प्रकटी,कल का समय हमारा है.
कहें गरज कर हम हिन्दू हैं,हिन्दुस्तान हमारा है.

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