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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Monday, August 22, 2011

इमाम बुखारी का देशद्रोह उजागर,कहा - इस्लाम विरोधी है अन्ना का आंदोलन


दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी ने मुसलमानों से कहा है कि वे अन्ना के आंदोलन से दूर रहें। उनका कहना है कि अन्ना का आंदोलन इस्लाम विरोधी है क्योंकि इसमें वंदे मातरम और भारत माता की जय जैसे नारे लग रहे हैं। हालांकि रविवार को देश की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलूम, देवबंद ने गांधीवादी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दे के साथ होने का दावा किया था। दिल्ली की फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने अन्ना के आंदोलन का समर्थन किया है।

बुखारी ने कहा, ' इस्लाम मातृभूमि और देश की पूजा में विश्वास नहीं करता है। यह उस मां की पूजा की पूजा को भी सही नहीं ठहराता, जिसके गर्भ में बच्चे का विकास होता है। ऐसे में मुसलमान इस आंदोलन से कैसे जुड़ सकते हैं, जो इस्लाम के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। इसीलिए मैंने मुसलमानों को इस आंदोलन से दूर रहने को कहा है। 'बुखारी के इस आह्वान के बाद वंदे मातरम पर विवाद एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है।

हालांकि इस आंदोलन से प्रशांत भूषण और शांति भूषण जैसे शख्स जुड़े हैं, जिन्होंने गुजरात दंगे के मामले पर नरेंद्र मोदी काफी विरोध किया था। फिर भी शाही इमाम इस आंदोलन के आलोचक हैं। उनका कहना है कि देश के लिए करप्शन से बड़ा मुद्दा सांप्रदायिकता है और देश को इससे ज्यादा खतरा है। उन्होंने कहा, ' अगर अन्ना इस आंदोलन में सांप्रदायिकता को भी मु्द्दा बनाते हैं, तो मैं इस बारे में आश्वस्त हो सकता हूं। ' बुखारी ने अन्ना के आंदोलन को मिल रहे फंड के बारे में सवाल उठाया और आरोप लगाया कि अन्ना आरएसएस और बीजेपी के साथ मिले हुए हैं और राजनीति कर रहे हैं।

Wednesday, August 10, 2011

क्या लादेन हेडली कसाब जवाहिरी आतंकवादी हैं

१ - इस्लाम विगत १००० वर्षों से भारत व विश्व के लिए मुसीबत बन गया है विश्व के वे सभी देश जहां मुस्लिम रहते हैं इस्लाम से पीड़ित हैं । इस समस्या सेनिपटने के लिए हमें यह जानना होगा कि वास्तव में समस्या की जड़े कहां है व उनका समाधान किस प्रकार किया जा सकता है । इसी प्रकार इस लेख में हम यह जानने का प्रयास करेंगें कि इस समस्या को सुलझाने के लिए हिन्दुओं द्वारा अब तक क्या प्रयास किए गए है व उन प्रयासों का क्या प्रभाव हुआ है ।लेख को अधिक न बढ़ाते हुए सबसे पहले यह देखना होगा कि समस्या की जड़ कहां है ।
जो मुसलमान कहते हैं इस्लाम तो शांति का मजहब है वे यह बताए कि जब सारी दुनिया के मुसलमान इन बातों पर सहमत हैं कि इस्लाम ही एकमात्र सच्चा धर्म है http://www.islamhouse.com/p/289311 तो शांति कैसे आ सकती है ? अब वे यह बात क्यों कहते हैं या तो वे इस्लाम के मूल सिद्धान्त को नहीं जानते या फिर वे हिन्दुऒं को मूर्ख बनाने के लिए एसा कहते हैं । अन्य धर्मावलम्बयों को इस्लाम की शांति समझाने से पहले वे स्वयं आपस में एकमत हो जाएं । भारत के मुसलमानों को इस फतवे का जवाब देना होगा व यदि नहीं देते तो फतवे को ठीक मानकर हिन्दुऒं को जिहाद का जवाब देने के लिए तैयार हो जाना चाहिए । यह फतवा सभी सेक्यूलर कहलाने वाले नेताऒं के मुंह पर तमाचा है । इसे पढ़ने के बाद वे किस मुंह से इस्लाम की तरफदारी करेंगे? हिन्दुओं की मूल समस्या यह है कि वे जैसे स्वयं हैं इस्लाम व ईसाइयत को भी उसी श्रेणी में रखते हैं और इसी कारण वे आज तक इसलाम के हाथों मार खाते रहे हैं । : उक्त फतवे से यह स्पष्ट हो गया है कि मुसलमान किसी भी देश में अन्य धर्मावलम्बियों के साथ नहीं रह सकते हैं । सऊदी आरब की साइट इस्लाम हाउस में एक फत्वा इसी विषय पर लिया गया है ।

‘‘ क्या अन्य धर्मों की इस्लाम के साथ एकता स्थापित की जा सकती है ।”

इस फतवे को पढ़कर समस्त देशवासी जवाब दें कि क्या इस्लाम व मुसलमानों से कुरआन व शरीयत में एसी खतरनाक बातों के रहते विश्वास किया जा सकता है ? मुसलमान जवाब दें कि इनमें कौन सी बात वे भारत के मदरसों में नहीं पढ़ाते हैं ? क्या उन्होंने कुरआन व हदीस को संशोधित करके पढ़ाना शुरू कर दिया है ?यदि नहीं तो वे हिन्दुऒं के किसी भी प्रतिकार पर शोर मचाना बंद कर दें क्योंकि यह संविधान द्वारा दिया गया अधिकार है कि प्रत्येक को अपनी व अपने धर्म की रक्षा करने का अधिकार है ( इस तथ्य को जानते हुए कि मुसलमानों ने सभी गैर मुसलमानों के विरूद्घ कलिमा को सर्वोच्च सिद्घ करने के लिए जेहाद छेड़ रखा है )। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि इस्लाम में अन्य सभी धर्मों को समाप्त करने की शिक्षा दी जाती है । सरकार मदरसों को दी जाने वाली समस्त सहायता बंद करे व सरकार से मांग की जाती है कि वह विद्वानों से इस्लाम का पूर्ण अध्ययन करवा कर एसी समस्त घृणा देने वाली आयतों को कुरआन में से निकाले । :
क्या अन्य धर्मों इस्लाम के साथ एकता स्थापित की जा सकती है के उत्तर में विद्वान मुल्ला का कहना है कि इस्लामी आस्था के मूल सिद्वान्तों में से एक यह है कि:
‘‘ धरती पर इस्लाम के सिवाय कोई दूसरा धर्म नहीं पाया जाता है और यह अंतिम धर्म हैं इसने अपने से पूर्व के सभी धर्म निरस्त कर दिए हैं । अतः पृथ्वी पर इस्लाम के अलावा कोई धर्म बाकी नहीं जिससे अल्लाह की इबादत की जाए । :
दूसरा यह कि कुरआन के आने के बाद सारी पूर्व पुस्तकें ( जैसे वेद रामायण इत्यादि ) कुरआन द्वारा खरिज कर दी गयी हैं । इसके बाद कहा गया है कि "उन लोगों के लिए हलाकत है, जो खुद अपने हाथों लिखी किताब को अल्लाह की किताब कहते हैं, और इस तरह दुनिया (धन) कमाते हैं, अपने हाथों लिखने की वजह से उन की बरबादी है, और अपनी इस कमाई की वजह से उन का विनाश है। व इसके बाद लिखी गयी सारी पुस्तकें जैसे रामचरितमानस, गुरू ग्रन्थ साहब इत्यादि बकवास हैं :
तीसरा यह कि मौहम्मद के अतिरक्ति कोई अन्य रसूल नहीं जिसकी पैरवी अब अनिवार्य हो इस समय यदि ईसामसीह, राम कृष्ण या हजरत मूसा भी पैदा होते तो उनके लिए यह अनिवार्य होता की वो अल्लाह पर व मौहम्मद पर ईमान लांए अर्थात मुलसमान बन जाए । :
पांचवी - यहूदियों और इन के अलावा अन्य लोगों में से जो जिसने भी इस्लाम स्वीकार नहीं किया है उसके कुफ्र का विश्वास रखना जिस पर हुज्जत अर्थात जो मेरे बारे में सुने पर फिर भी शरीयत पर ईमान न लाए उसके काफिर नाम देना अनिवार्य है । छंटी बात यह है कि ये लोग जो सभी धर्मों की एकता का ढोंग करते हैं ये इस्लाम को समाप्त करने के लिए ऐसा करते हैं :
सातंवी बात में यह स्पष्ट किया गया है कि इस एकता का उद्देश्य मुसलमानों और काफिरों के बीच घृणा के बंध को तोड़ देना है, फिर न तो (इस्लाम के लिए) दोस्ती और दुश्मनी बाक़ी रह जायेगी, और न धरती पर अल्लाह के कलिमा को सर्वोच्च करने के लिए युद्ध और जिहाद ही बाक़ी रह जायेगा । जो इस्लाम ग्रहण नही करते उनसे लड़ो जब तक कि वे जजिया न देने लगें । और अंत में कहा गया है कि अल्लाह का घर केवल मस्जिदें हैं । गिरजा घर और पूजा स्थल ( मंदिर, गुरूद्वारा इत्यादि ञ बल्कि ये ऐसे घर हैं जिनमें अल्लाह के साथ कुफ्र किया जाता है और उनके निवासी काफिर लोग हैं )। इसमें यह स्पष्ट किया है कि अल्लाह के कलिमा को सर्वोच्च करने के लिए जिहाद किया जा रहा है । :
शांति चाहने वाले मुसलमानों से यह अपेक्षा की जाती है कि या तो वे इस फत्वे के संबंध में अपना स्पष्टीकरण दें अथवा यदि कोई स्पष्टीकरण न हो तो इस्लाम को छोड़कर हिन्दू धर्म स्वीकार करलें ।
एक बात पर विचार करें । यदि एक एक बच्चे को बचपन से पढ़ाया जाता है कि अल्लाह व उसका पैगम्बर सबसे महान है । अल्लाह के अतिरिक्त किसी अन्य कोपूजना या अल्लाह के साथ किसी को पूजना दुनिया का सबसे बड़ा अपराध है । मौहम्मद पैगम्बर ने जो कुछ किया वो ठीक है उसमें कोई गलती नहीं हो सकती।मुसलमान अपने पूरे जीवन में वही कार्य करते हैं जो मौहम्मद ने कहा अथवा किया ।
अब आइए देखते हैं मौहम्मद पैगम्बर ने अपने जीवन में क्या क्या किया ।
1- मक्का पर विजय करते ही मौहम्मद पैगम्बर ने सबसे पहले काबे में घुसकर वहां पर मूर्तियों को तोड़ा ।
2- जो व्यक्ति अपनी पकड़ में आया उसे इस्लाम ग्रहण करने के लिए धमकाया ।
3- उसके बाद अपने आस पास के राज्यों के इस्लाम ग्रहण करने युद्ध करने अथवा जजिया देने तीनों में से एक को ग्रहण करने को कहा ।
यही सारा कार्य तो मुसलमान भारत में आज तक करते आए हैं ।
१- मुसलमानों ने हिन्दुओं के हजारों मंदिर इसी कारण तोड़े हैं ।
२- इसीलिए मुसलमान गैर मुसलमान को मुसलमान बनने के लिए विवश करते हैं ।
कश्मीर समस्या-
इसी प्रकार कश्मीर में क्या समस्या है इसे समझें । मुसलमानो ने भारत का बंटवारा 1947 मे करवाया ।कश्मीरी जनता भी दरअसल1947 में पाकिस्तान में अपने विलय का सपना देख रही थी । परतुं महाराजा हरिसिंह ने उनकी आशाओं के विपरीत भारत के साथ विलय पर हस्ताक्षर कर दिए । मुसलमानों का पाक स्थान ( पाकिस्तान ) में रहने का सपना समाप्त हो गया । अब मुसलमान सीधे तो भारतीय सेना से लड़ नहीं सकते थे । अतः उन्होंने कश्मीर को आजाद करने के लिए जिहाद का सहारा 1980 के दशक में लेना प्रारम्भ करदिया। कुरान में लिखा है कि सारी पृथ्वी अल्लाह की है । अब जब सारी पृथ्वी अल्लाह की है तो उसके जायज हकदार तो मुसलमान ही हुए । ( पैगम्बर मुहम्मद ने मदीना के बैतउल मिदरास में बैठे यहूदियों से कहाः ''ओ यहूदियों! सारी पृथ्वी अल्लाह और उसके 'रसूल' की है। यदि तुम इस्लाम स्वीकार कर लो तो तुम रक्षित रह सकोगे।'' मैं तुम्हें इस देश से निकालना चाहता हूँ। इसलिए यदि तुममें से किसी के पास सम्पत्ति है तो उसे इस सम्पत्ति को बेचने की आज्ञा दी जातीहै। वर्ना तुम्हें मालूम होना चाहिए कि सारी पृथ्वी अल्लाह और उसके रसूल की है''। (बुखारी, खंड ४:३९२, खंड ४:३९२, पृ. २५९-२६०, मिश्कत, खंड २:२१७, पृ.४४२)। ) अब मुसलमानों ने कश्मीर में अपनी भूमि छुड़वाने के लिए जिहाद शुरू कर दिया । उनके द्वारा फैलायी गयी हिसां के शिकार वहां के हिन्दू हुए जिन्हे अपना घरबार छोड़कर वहां से भागना पड़ा । इसी हिंसा का शिकार वहां के सुरक्षा बल के कर्मचारी भी हुए । इसी के कारण सेना के जवानों द्वारा वहां क्रोध वकामवासना का शिकार वहां की कुछ मुस्लिम बच्चे व महिलाएं हुई । जिन्हें उनकी प्रत्यक्ष गलती न होने के कारण भी बलात्कार या मृत्यु का शिकार होना पड़ा ( उनकी गलती केवल यह हो सकती है कि वे कुरान को सही मानती हैं इस बात को सही मानती है कि सारी पृथ्वी तो अल्लाह के रसूल की है तो उनसे मिलने वाले सभी मुसलमानों के मन में सुरक्षा बलों के प्रति अविश्वास की खाई और चौड़ी हो गयी । सुरक्षा बल की इन ज्यादतियों को देखते हुए मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों को व मस्जिद में मुसलमानों को नफरत का पाठ पढ़ाया गया जिससे दोनों पक्षों की बीच की दीवारे इतनी चौड़ी हो गयी जिसे सुरक्षा बल द्वारा अपने किसी भी अभियान ( जैसे दवाइयां बांटने या कपड़े या मुसलमानों को किसी भी प्रकार की सहायता देने ) से समाप्त नहीं किया जा सकता ।
आतंकवादी कैसे बनता है ? माने एक बच्चा जिसकी उम्र 2 साल की है और वह मदरसे में जाना शुरू कर देता है । जहां उसे गैर मुसलमानों को नष्ट करने सारी दुनिया को इस्लाम में बदलने की शिक्षा दी जाती है । उसे बताया जाता है मूर्ति पूजा अथवा अल्लाह के अलावा किसी और की पूजा सबसे बड़ा ( हत्या से भी बड़ा अपराध है ) यही बात सोचकर वह बड़ा होता है तो देखता है कि उसके पास जैसे पाकिस्तान या अफगानिस्तान में अमेरिकी फौन निरपराध नागरिकों की हत्या कर रही है। भारत में जन्म लेता है तो देखता है कि उसके भाई बहिनों के साथ कश्मीर और गुजरात में अत्याचार हो रहें हैं । मुस्लिम औरतों के साथ हिन्दू बहुल भारत में ( गुजरात व कश्मीर ) में बलात्कार किए जा रहे हैं । भारत में रहता है तो देखता है कि कई जगह उसके मुस्लिम होने के कारण उसे संदेह से देखा जाता है । ( यही कारण है कि अजहरूद्दीन जैसा व्यक्ति जिसे भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान तक बनाया गया यह कहता है कि उसके साथ मुसलमान होने के कारण सट्टेबाजी में फंसाया जा रहा है ) ये सारी बाते उसके दिमाग में विद्रोह को भर देती हैं और वह अपने भाई मुसलमानों पर होने वाले अत्याचारों के विरूद्ध जिहाद के लिए तैयार हो जाता है । वह बेचारा आत्मघाती बन जाता है वह विस्फोट करके अपने को उड़ा देता है । यही सारी बात हाल ही की फिल्म कुरबान में दिखायी गयी है । वह बेचारा कीट पतंगें की तरह है जो दीए की लौ में खुद ही भस्म हो जाता है । अब आप स्वयं फैसला करें कि क्या जो कार्य लादेन, हेडली, कसाब, जवाहिरी इत्यादि इस्लाम पीडि़त ( आतंकवादी ) लोग कर रहे है उसे किसी भी तरह से गलत ठहराया जा सकता है ।
सारी दुनिया मे इस्लाम फ़ैलाने के उद्देश्य से ही इस्लाम में गर्भ निरोधक को हराम बता दिया है । अब स्वयंविचार करें कि वह औरत जिसके पेटया गोदी में हर समय एक बच्चा हो वह क्या अपने घर के अलावा कुछ और सोचने की स्थिति में होगी ।
मुसलमान सारी दुनिया में वास्तव में सबसे दुखी कौम है । मुसलमान कहते हैं सारी दुनिया इस्लाम को समाप्त करने की साजिश कर रही है । वे ऐसा क्यों कहते हैं वे ऐसा इसीलिए कहते हैं क्योंकि वे खुद सारी गैर मुस्लिम दुनिया को समाप्त करके सारी दुनिया को इस्लाम के हरे रंग में रंगने की तैयारी कर रहे हैं । चूंकि वे खुद सारी दुनिया के हजार वर्ष से दुश्मन बनें हैं अतः उन्हें सारी दुनिया भी मुसलमानो की दुश्मन नजर आती है । दिया । अब हथियारों का उत्तर किसी भी दुनिया में अंहिसा से नहीं दिया जा सकता अतएव भारत सरकार ने भी मजबूरी में अपनी सेना को कश्मीर में लगाना पड़ा । अब लगातार 25 वर्षों से कश्मीर भारत से केवल सेना के बल पर ही रूका हुआ है अगर आज भारत सरकार कश्मीर से सेना हटा लेती है तो निश्चित रूप से कश्मीरी मुसलमान कश्मीर का पाकिस्तान में विलय कर देंगे ये मुसलमानों की मजबूरी है । कुरान व मौहम्मद के आदेश से मुसलमान इंकार कर नहीं सकते । इसीलिए वह कश्मीरी जिसकी प्रति व्यक्ति आय आतंकवाद के शुरू होने से पहले भारत में सबसे अधिक थी आज हजारों करोड़ की मदद से दाना पानी खा रहे हैं । अब जरा राष्ट्रवादी मुस्लिम की स्थिति पर भी विचार करें वह भारत के लिए सोचता है । कट्टरता से भी ग्रस्त नहीं है पर जब वह हिन्दुओं का व्यवहार देखता है कि सारे हिन्दू उसे संदेह की नजर से देखते हैं तो उसके दिल पर क्या बीतती होगी यह केवल वही जानता । उसी के दिल की व्यथा को भारतीय फिल्मों में दिखाया जाता है । कुरान की आयतों ने ही पूरे मुस्लिम व गैर मुस्लिम समाज को परेशान कर रखा है । मुसलमान और गैर मुसलमान के बीच शत्रुता की खाई को तब तक के लिए खोद दिया है जब तक कि सारे गैर मुसलमान मुसलमान न बन जाएं । समस्या यह है कि कुरान नफरत के बीज फैला रही है और जब यह बीज बढ़कर गोधरा जैसे नरसंहार का कारण बनते हैं तो उसके प्रति नफरत फैलना दूसरे समाज के लिए स्वाभाविक है । परंतु यदि हम जड़ पर कोई प्रहार नहीं करेंगे तो इसी प्रकार के नरसंहार होते ही रहेंगे ।
आइए अब तस्वीर के दूसरे पहलू की ओर नजर करते हैं । गैर मुसलमान या अपनी समझ में जरा जल्दी आएगा हिन्दू इस्लाम से क्यों नाराज है

सारांश में हिन्दुओं को समझ में नहीं आता कि कश्मीर में आखिर जेहाद क्यो चलाया जा रहा वहां से कश्मीरी पंडितों को क्यों बाहर निकाल दिया गया है । गुजरात में गोधरा में क्यों आग लगायी गयी थी । मुसलमानों ने हिन्दुओ की हजारों मंदिर क्यों तोड़े । भारत में इतने विस्फोट क्यों किए जा रहे हैं । इसका कोई जवाब उन्हें नहीं मिलता । ऐसे हजारों वर्षों के लाखों कारणों की वजह से हिन्दुओं का गुस्सा कहीं कहीं बाहर फूट पड़ता है । जैसे गुजरात में गोधरा के बाद फूटा पर उस गुस्से का और उल्टा असर होता है और यही गुस्सा नए हजारों आतंकवादियों के बनने में उत्प्रेरक का कार्य करता है ।
मुसलमानों की गैर मुसलमानों से इस तरह के व्यवहार से सभी गैर मुसलमान परेशान हो चुके हैं । पर उसका इलाज उन पर गुस्सा करना नहीं है ।
अब आइए देखते हैं हिन्दुओं द्वारा भारत में अब इस्लाम से निपटने के लिए क्या क्या उपाय किए गए हैं अथवा हिन्दू क्या सोचते है ?
एक साधारण उपाय हिन्दु कहते हैं कि पाकिस्तान के आतंकवादी शिविरों पर हमला कर उन्हें नष्ट कर देना चाहिए । पर वह काम तो अमेरिका कर ही रहा है और उससे आतंकवाद के समाप्त होने का कोई निशान दूर दूर तक नजर नहीं आ रहा है । लादेन के मरने से आतंकवाद समाप्त नहीं हुआ है। कुरान व हदीस में गैर मुसलमानों के विरूद्ध जहर के रहते मदरसे हर साल लाखों की संख्या में लादेन व उसके अनुयायी पैदा करते ही रहेंगे । हिन्दुओं द्वारा स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अब तक जो इस्लाम की आंधी को रोकने के लिए किए गए कार्य किए गए उनमें सबसे पहले श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अनुच्छेद 370 को हटाने का मुद्दा उठाया इसी के लिए अपना बलिदान दिया । पर उनके बलिदान के आज 50 वर्ष से भी अधिक बीत जाने के बावजूद धारा 370 हटाये जाने के कोई आसार नहीं हैं । न हीं समान नागरिक संहिता लागू करने के कोई आसार दिखाई देते हैं । उसके बाद राम मंदिर आंदोलन व हाल ही में कश्मीर में अमरनाथ मंदिर के लिए भूमि का आवंटन करने के लिए भी हिन्दुओं द्वारा आंदोलन किया गया है परंतु इन सभी आंदोलनों से समस्या की जड़ पर कोई प्रहार नहीं हुआ बल्कि इस्लाम का अपनी आबादी बढ़ाना और मदरसों द्वारा उस आबादी को कट्टर बनाने का कार्य निर्बाध रूप से जारी है । अब मान ले हम अपने उपरोक्त आंदोलन में सफल हो भी जाते हैं तो इन सबसे समस्या का समाधान किसी भी स्तर पर नहीं होगा । यदि राम मंदिर हिन्दुओं को अदालत के आदेश से मिल भी जाता है तो आने वाले समय में पुनः छिन जाएगा । अनुच्छेद 370 को हटा भी दिया जाता है तो आने वाले समय में पूरा भारत कश्मीर की तरह हो जाएगा व पूरे भारत से हिन्दुओं को कश्मीर की तरह से निकालने की साजिश की जाएगी । समस्या की जड़ तक पहुंच कर जब तक उस पर प्रहार नहीं किया जाएगा तबतक केवल इसकी फूल पत्तियों या टहनियों को काट कर को समाधान नहीं मिल पाएगा । जड़ के रहते वे फिर से आ जांएगी । अतः अब प्रहार सीधे जड़ पर करना होगा । और जड़ कुरान व हदीस में लिखें मौहम्मद पैगम्बर का संदेश है । अब इसका केवल एक ही उपाय है कि सारे गैर मुसलमान मुसलमानों से कहें कुरान में जो गैर मुसलमानों के विरूद्ध लिखा गया है उसे मानना अथवा कुरान को मानना ( अर्थात इस्लाम छोड़ दें ) बंद करें । मुसीबत को और बढ़ने से रोकने के लिए मुसलमानों की जनसंख्या पर तुरंत रोक लगाने का उपाय किया जाए । सारे गैर मुसलानों को इस प्रयास में युद्ध स्तर पर लग जाना चाहिए । अब इसका केवल एक ही उपाय दिखायी देता है कि सारे गैर मुसलमान मुसलमानों से कहें कुरान में जो गैर मुसलमानों के विरूद्ध लिखा गया है उसे मानना अथवा कुरान को मानना ( अर्थात इस्लाम छोड़ दें ) बंद करें । मुसीबत को और बढ़ने से रोकने के लिए मुसलमानों की जनसंख्या पर तुरंत रोक लगाने का उपाय किया जाए ।
एक गैर मुसलमान को जो प्रश्न मुसलमानों से पूछने चाहिए सारे गैर मुसलानों को इस प्रयास में युद्ध स्तर पर लग जाना चाहिए । एक गैर मुसलमान को जो प्रश्न मुसलमानों से पूछने चाहिए
1- सउदी अरब में मंदिर या चर्च बनाने की इजाजत क्यों नहीं है।
2- मौहम्मद साहब ने मक्का विजय के बाद काबा में मूर्तियों का क्यों तोड़ा था ।
3- मौहम्मद साहब व उनके बाद के इस्लामी शासकों ने अन्य देशों पर इस्लाम स्वीकार करने जजिया देने या युद्ध का विकल्प रखने के लिए क्यों संदेश भेजा था
4- कश्मीर से सारे कश्मीरी पंडितों किसने निकाला है।
5- गर्भ निरोधक क्यों हराम है ।
6- इन दोनों फतवों का क्या अर्थ है ।

१- क्या ग़ैर-मुस्लिम पर इस्लाम स्वीकार करना अनिवार्य है?
http://www.islamhouse.com/p/193702
२- धर्मों की एकता के लिए निमंत्रण का हुक्म
http://www.islamhouse.com/p/289311