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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Saturday, January 22, 2011

कश्मीर उमर अब्दुल्ला की बपौती नहीं ,सहस्त्राब्दियों से हिन्दुओं की पुण्य भूमि है.



मित्रों भारत के अभिन्न अंग कश्मीर के मुट्ठी भर अलगाववादिओं के सामने हमारी सरकार घुटने टेक रही है और अपने देश में ही लाल चौक पर तिरंगा फहराने में डर रही है. लोगों का मानना है की कश्मीर एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और वहां के मुसलमान वहां इस्लामी राज्य बनाना चाहते हैं.अगर हमारे देश की शर्मनिरपेक्ष सरकार की इसी तरह कृपा दृष्टि बनी रही तो यह असंभव नहीं है जब लाल चौक पर सदा के लिए पाकिस्तानी झंडा फहराने लगे.इसलिए भले ही हम राष्ट्र वादियों को ये आतंकवादी घोषित कर रहे हैं,फिर भी हमें आगे आने की जरुरत है.ये भारत भू पर केवल रहते हैं और भारत हमारी सहस्त्र वर्षों से जन्म भूमि है.इटली की सोनिया गाँधी,या हीब्रिड राहुल गाँधी इसको बचाने नहीं आयेंगे.इनका इतिहास रहा है,पहले आजाद,भगत सिंह,नेताजी सुभाष चन्द्र बोस,छात्रपतिशिवाजी महाराज को आतंकवादी कहते थे और आज हमें कह रहे हैं.कश्मीर कभी भी मुसलमानों की बपौती नहीं रह रही है.यहाँ पर हमेशा से हमने शःशन किया है और यह अखंड भारत का अभिन्न अंग है. देश किसी भी कीमत पर एक और बटवारा नहीं स्वीकार कर सकता.और जो लोग लाल चौक पर तिरंगा फहराने का विरोध कर रहे हैं वह राष्ट्र भक्त तो नहीं हो सकते.


कश्मीर का पुराना इतिहास



* महर्षि कश्यप ने बसाया और उनके पुत्र नील कश्मीर के पहले राजा थे.

* त्रेता युग में भगवन श्रीराम के पुत्र लव का शासन.

* द्वापर में भगवन श्रीकृष्ण ने महारानी यशोमती का राज्याभिषेक किया.

* सम्राट अशोक ने श्रीनगर बसाया और उनके पुत्र जालौक कश्मीर के शासक रहे.

* नागवंशी नरेशों ने कुषाण राजा कनिष्क को निष्कासित किया.

* सम्राट समुन्द्र्गुप्त ने मिहिरकुल को पराजित किया.

* ललितादित्य मुक्तपीड सबसे प्रतापी सम्राट बने.

* अवन्तिवर्मन के शासन कल में कश्मीर समर्धि के शिखर पर.

* कश्मीर नरेश चन्द्रपीड ने अरब हमलावरों को खदेड़ा.

* १४ वीं शताब्दी में मुस्लिम सुल्तानों का अधिकार.

* महाराजा रणजीत सिंह ने विदेशियों को मर भगाया.

* सन १८४६ में डोगरा वीर गोलब सिंह जम्मू कश्मीर के महाराजा बने.


कभी कभी अपना मान बचाने हेतु सस्त्र भी उठाना पड़ता है.जैसा की भगवन राम ने भी कहा है-

विनय न मानत जलधि जड़,गए तीन दिन बीत
बोले राम सकोप तब,भय बिन होत न प्रीत

और अंत में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के शब्दों में ही-

सामने देश माता का भव्य चरण है.
जिह्वा पर जलता हुआ एक बस प्रण है.
काटेंगे अरि का मुंड या स्वयं कटेंगे.
पीछे परन्तु इस रन से नहीं हटेंगे.
पहली आहुति है अभी यज्ञ चलने दो.
दो हवा देश को आग जरा जलने दो.
जब ह्रदय,ह्रदय पावक से भर जायेगा.
भारत का पूरा पाप उतर जायेगा.
देखोगे कैसे प्रलय चंड होता है.
असिवंत हिंद कितना प्रचंड होता हुई.
बाँहों से हम अम्बुधि अगाध थाहेंगे.
धस जाएगी यह धरा अगर चाहेंगे.
तूफ़ान हमारे इंगित पर ठहरेगा.
हम जहाँ कहेंगे मेघ वही घहरेगा .

Wednesday, January 19, 2011

भला हो जिस में देश का वो काम सब किए चलो





सुपंथ पर बढ़े चलो
भला हो जिस में देश का
वो काम सब किए चलो ।।
युग के साथ मिलके सब
कदम बढ़ाना सीख लो
एकता के स्वर में
गीत गुनगुनाना सीख लो
भूलकर भी मुख से
जाति पंथ की न बात हो
भाषा प्रान्त के लिए
कभी ना रक्त पात हो
फूट का भरा घड़ा है
फोड़कर भरे चलो
भला हो जिस में देश का
वो काम सब किए चलो ।।
आ रही है आज
चारों ओर से यही पुकार
हम करेंगे त्याग
मातृभूमि के लिए अपार
कष्ट जो मिलेंगे
मुस्करा के सब सहेंगे हम
देश के लिए सदा
जिएगें और मरेंगे हम
देश का ही भाग्य
अपना भाग्य है ये सोच लो
भला हो जिस में देश का
वो काम सब किए चलो ।।

Saturday, January 15, 2011

दिल्ली से शर्मनिरपेक्षता के दो समाचार



शीला और बुखारी के खिलाफ अवमानना की याचिका

एक रेजिडेंट्स असोसिएशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और जामा मस्जिद के शाही ईमाम सैयद अहमद बुखारी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है। असोसिएशन ने कहा है कि एक अवैध मस्जिद को गिराने के बाद डीडीए ने दोबारा उस पर कब्जा कर लिया था लेकिन दोनों नेताओं ने लोगों को इस सरकारी जमीन से गुजरने और वहां नमाज अदा करने के लिए भड़काया।

जंगपुरा रेजिडेंट्स वेल्फेयर असोसिएशन ने वकील आर. के. सैनी के जरिए अपने अप्लिकेशन में शीला दीक्षित और बुखारी के अलावा मटिया महल इलाके के विधायक शोएब इकबाल और ओखला के विधायक आसिफ मोहम्मद खान के खिलाफ भी स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना कार्यवाही करने की मांग की। असोसिएशन ने आरोप लगाया, कोर्ट के आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए स्वत : संज्ञान लेते हुए आपराधिक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को दिल्ली में जंगपुरा की नूर मस्जिद को रातोंरात गिराए जाने पर अक्रोश जाहिर किया है। मुलायम ने केंद्र और दिल्ली सरकार से मांग की कि धर्म से जुड़ा संवेदनशील मामला होने के कारण मुलसमानों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई की जाए।

यादव ने केंद्र और कांग्रेस की दिल्ली सरकार की कड़े शब्दों में आलोचना की। मुलायम ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा सौहार्द को बिगाड़ने का काम किया है। चाहे वह अयोध्या स्थित विवादित स्थल का ताला खुलवाने का मामला हो या बाबरी मस्जिद ढहाए जाने का। बुधवार को एक बार फिर जंगपुरा स्थित नूर मस्जिद को रातोंरात गिरा दिया गया, जिससे देश के मुलसमानों में आक्रोश है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के तहत मुलसमानों को अपनी भाषा और संस्कृति को सुरक्षित रखने के साथ-साथ धर्म का पालन करने का मौलिक अधिकार है। लेकिन मुलसमानों के साथ घोर नाइंसाफी की जा रही है।

नूर मस्जिद को कोर्ट के निर्देशों के आधार पर गिराए जाने के बारे में यादव ने कहा कि अगर कांग्रेस शासित सरकारों का रुख सही होता, तो यह मामला कोर्ट में जाता ही नहीं। कोर्ट का निर्णय था भी तो उसका हम देश के सभी लोग सम्मान करते हैं। लेकिन धर्म से जुड़ा मामला होने के नाते कांग्रेस सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह बातचीत करके इस समस्या का समाधान करती।



मंदिर तोड़े जाने के विरोध में भी लोग सड़कों पर उतरे





दक्षिणी दिल्ली के साकेत के पास एक मंदिर को ढहा दिए जाने के विरोध में शनिवार को हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता सडकों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों में दिल्ली के वरिष्ठ संत भी सामिल थे। प्रदर्शन करने वालों का आरोप है कि अवैध मस्जिद तोड़ जाने के बाद भी दिल्ली की मुख्यमंत्री वहां नमाज अता किए जाते रहने की इजाजत देती हैं, वहीं मंदिर में से मूर्तियों तक को हटाने का समय नहीं दिया गया। उनका कहना है कि मूर्तियों को विखंडित करके फेंक दिया गया।

साकेत के पुष्प विहार के सेक्टर-7 में बने मंदिर को शुक्रवार को तोड़ा गया था।

वीएचपी, बजरग दल, विश्व हिंदू महासंघ, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीजेपी सहित अनेक हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने शेख सराय अथॉरिटी के पास वाली लाल बत्ती पर रोड को जाम करके नारेबाजी की। यहां जमा भीड़ को संबोधित करते हुए बजरंग दल के प्रांत संयोजक एडवोकेट शैलेंद्र जायसवाल ने चेतावनी दी कि यदि 7 दिन के भीतर मंदिर को फिर से नहीं बनाया गया तो बड़ा आंदोलन होगा। उन्होंने मूर्तियों को खंडित किए जाने को बहुत ही गंभीर मामला बताते हुए दोषियों को सख्त सजा देनी जाने की मांग भी दोहराई।

दिल्ली संत महामंडल के महामंत्री महंत नवल किशोर दास जी महाराज ने कहा कि दिल्ली का संत समाज मूर्तियों को खंडित किए जाने से बहुत आहत हुआ है। उन्होंने कहा कि इस धर्म विरोधी कृत्य की निंदा की जानी चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष महा मंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंद जी महाराज ने कहा कि मूर्तियों को खंडित करना दिल को दुखाने वाली बात है। उन्होंने कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्र भारत में भी हमारी सरकारें औरंगजेब की नीतियों पर चल रही हैं।

अनेक वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली की सरकार एक ओर जहां हाई कोर्ट के आदेशों के खिलाफ खुद पैरवी कर डीडीए की भूमि मस्जिद को दिलाने के लिए बेचैन है वहीं हिंदू मंदिरों को ढहाने की कार्रवाई कर रही है। वक्ताओं का कहना था कि जंगपुरा की घटना से साफ जाहिर हो गया है कि राजधानी की सरकार पहले तोड़ो, फिर बसाओ और फिर वोट पाओ की पुरानी नीति पर चल कर जनता को बांटने का काम कर रही है।

(साभार नवभारत टाइम्स)

Monday, January 10, 2011

मासूम राजू की दिल को छूने वाली चुटकियाँ

सुबह-सुबह राजू मंदिर पूजा करने निकला.पापा बोले
- "कहाँ जा रहे हो राजू सुबह सुबह नहा धोकर?"
- "मंदिर जा रहा हूँ पापा पूजा करने."
- "रुक जा अभी २ मिनट."
(पापा घर में से एक सफ़ेद टोपी लाकर राजू को पहना देते हैं)
- "पापा ये क्या पहना रहे हैं?मई मुसलमान थोड़े ही हूँ."
- "जनता हूँ पगले.तेरा बाप हूँ.पूरे देश में हिन्दू आतंकवाद का हल्ला मचा हुआ है और मंदिर के रस्ते में राहुल गाँधी कई सभा भी है.जा रस्ते में कोई बड़ा मिले तो अत-सलाम-वालेकुम बोल देना."


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"राजू,बेटा स्कूल से वापस क्यों चला आया."
"पापा मुझे नहीं पढना है."
"मुरख,पढ़ेगा नहीं तो क्या करेगा?नौकरी नहीं मिलेगी.भूखा मरेगा."
"भूखा मरे मेरा बाप.मई तो कश्मीर जाऊंगा.लोगों के साथ सेना के जवानों को चक्का मरूँगा.एक दो को टपकाउंगा.थोडा बहुत खुद को चोट लगा लूँगा.सर्कार ५ लाख देगी .ऐश करूँगा."


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"राजू बेटा ,तेरी गर्मी की छुट्टियाँ हो रही हैं.चलेगा मेरे साथ कश्मीर घुमने.?"
"क्या पापा,झूठे सपने दिखाते हो.पागल समझ रखा है क्या?"
"क्या हुआ रे,सही हम जा रहे हैं दोस्तों के साथ."
"पापा मई तो छह के भी नहीं जा सकता.पासपोर्ट नहीं है मेरे पास,और आप भी खुश मत होइए,आप भी नहीं जा पाएंगे.उमर अब्दुल्ला ने अब भारतीयों के लिए वीजा देना बंद कर दिया है.अब लाल चौक पर पाकिस्तान का झंडा लगाने वाले हैं."


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(राजू दौड़ता हफ्ता घर के अन्दर आता है)
"क्या हुआ बेटा राजू?इतना घबराये हुए क्यूँ हो?"
"पापा बाहर आतंकवादी खड़ा है और आपको बुला रहा है."
"आतंकवादी?"(पापा बाहर आते हैं.)
"पापा पहचाना नहीं इनको ,अपने गुरूजी हैं."
"पर इन्होने तो भगवा कपडा पहन रखा है."

Thursday, January 6, 2011

क्षमा की मूर्ति सर्वदेवमयी गोमाता


एक बार की बात है इन्दौर नगर के किसी मार्ग के किनारे एक गाय अपने बछड़े के साथ खड़ी थी, तभी देवी अहिल्याबाई के पुत्र मालोजीराव अपने रथ पर सवार होकर गुजरे । मालोजीराव बचपन से ही बेहद द्यारारती व उच्छृंखल प्रवृत्ति के थे । राह चलते लोगों को परेशान करने में उन्हें विशेष आंनद आता था । गाय का बछड़ा अकस्मात उछलकर उनके रथ के सामने आ गया । गाय भी उसके पीछे दौड़ी पर तब तक मालोजी का रथ बछड़े के ऊपर से निकल चुका था । रथ अपने पहिये से बछड़े को कुचलता हुआ आगे निकल गया था । गाय बहुत देर तक अपने पुत्र की मृत्यु पर शोक मनाती रही । तत्पष्चात उठकर देवी अहिल्याबाई के दरबार के बाहर टंगे उस घण्टे के पा जा पहुँची, जिसे अहिल्याबाई ने प्राचीन राजपरम्परा के अनुसार त्वरित न्याय हेतु विशेष रूप से लगवाया था। अर्थात्‌ जिसे भी न्याय की जरूरत होती,वह जाकर उस घन्टें को बजा देता था। जसके बाद तुरन्त दरबार लगता तुरन्त न्याय मिलता । घन्टें की आवाज सुनकर देवी अहिल्याबाई ने ऊपर से एक विचित्र दृश्य देखा कि एक गाय न्याय का घन्टा बजा रही है । देवी ने तुरन्त प्रहरी को आदेश दिया कि गाय के मालिक को दरबार में हाजिर किया जाये। कुछ देर बाद गाय का मालिक हाथ जोड़ कर दरबार में खड़ा था। देवी अहिल्याबाई ने उससे कहा कि '' आज तुम्हारी गाय ने स्वंय आकर न्याय की गुहार की है । जरूर तुम गो माता को समय पर चारा पानी नही देते होगें। '' उस व्यक्ति ने हाथ जोड़कर कहा कि माते श्री ऐसी कोई बात नही है । गोमाता अन्याय की शिकार तो हुई है ,परन्तु उसका कारण में नही कोई ओर है, उनका नाम बताने में मुझे प्राणो का भय है ।'' देवी अहिल्या ने कहा कि अपराधी जो कोई भी है उसका नाम निडर होकर बताओं ,तुम्हे हम अभय -दान देते है। '' तब उस व्यक्ति ने पूरी वस्तुस्थित कह सुनायी । अपने पुत्र को अपराधी जानकर देवी अहिल्याबाई तनिक भी विचलीत नही हुई। और फिर गोमाता स्वयं उनके दरबार में न्याय की गुहार लगाने आयी थी। उन्होने तुरन्त मालोजी की पत्नी मेनावाई को दरबार में बुलाया यदि कोई व्यक्ति किसी माता के पुत्र की हत्या कर दें ,तो उसे क्या दण्ड मिलना चाहिए ? मालो जी की पत्नी ने कहा कि ÷ जिस प्रकार से हत्या हुई, उसी प्रकार उसे भी प्राण-दण्ड मिलना चाहिए। देवी अहिल्या ने तुरन्त मालोजी राव का प्राण-दण्ड सुनाते हुए उन्हें उसी स्थान पर हाथ -पैर बाँधकर उसी अवस्था में मार्ग पर डाल दिया गया। रथ के सारथी को देवी ने आदेश दिया ,पर सारथी ने हाथ जोड़कर कहा '' मातेश्री ,मालोजी राजकुल के एकमात्र कुलदीपक है। आप चाहें तो मुझे प्राण -दण्ड दे दे,किन्तु मे उनके प्राण नही ले सकता ।'' तब देवी अहिल्याबाई स्वंय रथ पर सवार हुई और मालोजी की ओर रथ को तेजी से दोड़ाया, तभी अचानक एक अप्रत्याशित घटना हुई। रथ निकट आते ही फरियादी गोमाता रथ निकट आ कर खड़ी हो गयी । गोमाता को हटाकर देवी ने फिर एक बार रथ दौड़ाया , फिर गोमाता रथ के सामने आ खड़ी हो गयी। सारा जन समुदाय गोमाता और उनके ममत्व की जय जयकार कर उठा। देवी अहिल्या की आँखो से भी अश्रुधारा बह निकलीं । गोमाता ने स्वंय का पुत्र खोकर भी उसके हत्यारे के प्राण ममता के वशीभूत होकर बचाये। जिस स्थान पर गोमाता आड़ी खड़ी हुई थी, वही स्थान आज इन्दौर में ( राजबाड़ा के पास) '' आड़ा बाजार के नाम से जाना जाता है।''
(राष्ट्रधर्म मासिक अक्टूबर २००९ से साभार)

Wednesday, January 5, 2011

अमरवीर नाथूराम गोडसे द्वारा लिखित आखिरी पत्र


प्रिय बंधो चि.दत्तात्रय वि. गोडसे ,

मेरे बीमा के रुपिया अगर आ जाएँ तो उस रुपिया का बिनिभोग आपके परिवार के कार्य के लिए करना.रुपिया २००० आपके पत्नी के नाम पर. रुपिया ३००० चि. गोपाल की धर्मपत्नी के नाम पर और रुपिया २००० आपके नाम पर.इसप्रकार बीमा के कागजों पर मैंने रुपिया मिलने के लिए लिखा है.
मेरी उत्तर क्रिया करने का अधिकार यदि आपको मिलेगा तो आप आपकी इच्छा से किसी प्रकार इस शुभ कार्य को संपन्न करना.लेकिन मेरी अंतिम विशेष इच्छा यहीं लिखता हूँ.
अपने भारतवर्ष की सीमा रेखा सिंधुनदी है. जिसके किनारे पर वेदों की रचना प्राचीन द्रष्टाओं ने की है.वह सिंधुनदी जिस शुभ दिन में फिर भारत वर्ष की ध्वज की छाया में स्वछंदता से बहती रहेगी उन दिनों मेरी अस्थिओं या रक्षा का कुछ छोटा सा हिस्सा उस सिंधुनदी में बहा दिया जाय.
मेरी यह इछ्चा सत्यसृष्टि में आने के लिए शायद और भी एक दो पिधिओं का समय लग जाय तो मुझे चिंता नहीं.उस दिन तक वह अवशेष वैसा ही रखो और आपके जीवन में वह शुभ दिन न आये तो आपके वारिशों को ये मेरी अंतिम इच्छा बतलाते जाना.
अगर मेरे न्यायलय वक्तव्य को सर्कार कभी वन्ध्मुक्त करेगी तो उसके प्रकाशन का अधिकार भी मै आपको दे रहा हूँ.
मैंने १०१ रुपिया आपको आज दिए हैं जो आप सौराष्ट्र सोमनाथ मंदिर का पुनरोद्धार हो रहा है उसके कलश कार्य के लिए भेज देना.
वास्तव में मेरे जीवन का अंत उसी समय हो गया था जब मैंने गाँधी पर गोली चलायी थी.उसके पश्चात मानो मै समाधी में हूँ और अनासक्त जीवन बिता रहा हूँ.
मै मानता हूँ की गाँधी जी ने देश के लिए बहुत कष्ट उठाये,जिसके लिए मै उनकी सेवा के प्रति और उनके प्रति नतमस्तक हूँ,किन्तु देश के इस सेवक को भी जनता को धोखा देकर मातृभूमि का विभाजन करने का अधिकार नहीं था.
मै किसी प्रकार की दया नहीं चाहता और नहीं चाहता हूँ की मेरी ओए से कोई दया याचना करे.
आपने देश के प्रति भक्तिभाव रखना अगर पाप है तो मै स्वीकार करता हूँ की वह पाप मैंने किया है.अगर वह पुण्य है तो उससे जनित पुण्य पद पर मेरा नम्र अधिकार है.
देश भक्ति को पाप कहें यदि
मै हूँ पापी घोर भयंकर
किन्तु रहा वो पुण्य कर्म तो
मेरा है अधिकार पुण्य पर
अचल खड़ा मै इस वेदी पर
मेरा विश्वाश अडिग है,नीति की दृष्टि से मेरा कार्य पूर्णतया उचित है.मुझे इस बात पर लेशमात्र भी संदेह नहीं है की भविष्य में सच्चे इतिहासकार इतिहास लिखेंगे तो मेरा कार्य उचित ठहराएंगे.


आपका सुभेच्च्हू
नाथूराम वि. गोडसे
१४-११-४९