मित्रों भारत के अभिन्न अंग कश्मीर के मुट्ठी भर अलगाववादिओं के सामने हमारी सरकार घुटने टेक रही है और अपने देश में ही लाल चौक पर तिरंगा फहराने में डर रही है. लोगों का मानना है की कश्मीर एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और वहां के मुसलमान वहां इस्लामी राज्य बनाना चाहते हैं.अगर हमारे देश की शर्मनिरपेक्ष सरकार की इसी तरह कृपा दृष्टि बनी रही तो यह असंभव नहीं है जब लाल चौक पर सदा के लिए पाकिस्तानी झंडा फहराने लगे.इसलिए भले ही हम राष्ट्र वादियों को ये आतंकवादी घोषित कर रहे हैं,फिर भी हमें आगे आने की जरुरत है.ये भारत भू पर केवल रहते हैं और भारत हमारी सहस्त्र वर्षों से जन्म भूमि है.इटली की सोनिया गाँधी,या हीब्रिड राहुल गाँधी इसको बचाने नहीं आयेंगे.इनका इतिहास रहा है,पहले आजाद,भगत सिंह,नेताजी सुभाष चन्द्र बोस,छात्रपतिशिवाजी महाराज को आतंकवादी कहते थे और आज हमें कह रहे हैं.कश्मीर कभी भी मुसलमानों की बपौती नहीं रह रही है.यहाँ पर हमेशा से हमने शःशन किया है और यह अखंड भारत का अभिन्न अंग है. देश किसी भी कीमत पर एक और बटवारा नहीं स्वीकार कर सकता.और जो लोग लाल चौक पर तिरंगा फहराने का विरोध कर रहे हैं वह राष्ट्र भक्त तो नहीं हो सकते.
कश्मीर का पुराना इतिहास
* महर्षि कश्यप ने बसाया और उनके पुत्र नील कश्मीर के पहले राजा थे.
* त्रेता युग में भगवन श्रीराम के पुत्र लव का शासन.
* द्वापर में भगवन श्रीकृष्ण ने महारानी यशोमती का राज्याभिषेक किया.
* सम्राट अशोक ने श्रीनगर बसाया और उनके पुत्र जालौक कश्मीर के शासक रहे.
* नागवंशी नरेशों ने कुषाण राजा कनिष्क को निष्कासित किया.
* सम्राट समुन्द्र्गुप्त ने मिहिरकुल को पराजित किया.
* ललितादित्य मुक्तपीड सबसे प्रतापी सम्राट बने.
* अवन्तिवर्मन के शासन कल में कश्मीर समर्धि के शिखर पर.
* कश्मीर नरेश चन्द्रपीड ने अरब हमलावरों को खदेड़ा.
* १४ वीं शताब्दी में मुस्लिम सुल्तानों का अधिकार.
* महाराजा रणजीत सिंह ने विदेशियों को मर भगाया.
* सन १८४६ में डोगरा वीर गोलब सिंह जम्मू कश्मीर के महाराजा बने.
कभी कभी अपना मान बचाने हेतु सस्त्र भी उठाना पड़ता है.जैसा की भगवन राम ने भी कहा है-
विनय न मानत जलधि जड़,गए तीन दिन बीत
बोले राम सकोप तब,भय बिन होत न प्रीत
और अंत में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी के शब्दों में ही-
सामने देश माता का भव्य चरण है.
जिह्वा पर जलता हुआ एक बस प्रण है.
काटेंगे अरि का मुंड या स्वयं कटेंगे.
पीछे परन्तु इस रन से नहीं हटेंगे.
पहली आहुति है अभी यज्ञ चलने दो.
दो हवा देश को आग जरा जलने दो.
जब ह्रदय,ह्रदय पावक से भर जायेगा.
भारत का पूरा पाप उतर जायेगा.
देखोगे कैसे प्रलय चंड होता है.
असिवंत हिंद कितना प्रचंड होता हुई.
बाँहों से हम अम्बुधि अगाध थाहेंगे.
धस जाएगी यह धरा अगर चाहेंगे.
तूफ़ान हमारे इंगित पर ठहरेगा.
हम जहाँ कहेंगे मेघ वही घहरेगा .