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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Thursday, January 31, 2013

हर बार क्यों आहत होती हैं इनकी ही भावनाएं?



कमल हासन की फिल्म विश्वरूपम को लेकर जो हो हल्ला मचाया जा रहा है,उसपर विरोध मुझे मजाक लग रहा है या इसके पीछे शायद कोई राजनीती है.मै फिल्म देखकर आ रहा हूँ,मुझे ऐसा कुछ भी नहीं लगा जिससे किसी की भावना आहत होती हो.अफगानिस्तान की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म में इस्लामी आतंकवाद को दिखाया गया है जो आज पूरी दुनिया के लिए संकट का सबब बना हुआ है.अफगानिस्तान के बारे में ऐसा कौन है जो नहीं जनता?तालिबान से लेकर लादेन तक की वह कर्मभूमि है.शायद कोई ऐसा दिन बीतता हो जिस दिन वहां आतंकवादी हमले नहीं होते हों.फिर अगर ऐसे देश के हालत के ऊपर फिल्म बनेगी तो उसमे क्या दिखायेंगे?क्या आतंकवादियों के नाम मुसलमानी है,इससे कुछ लोगों की भावना को चोट लग रहा है?हमारे यहाँ फिल्मे वर्षों से बनती आ रही है.किसी फिल्म में ब्राह्मणों को ठग दिखाया जाता था तो क्षत्रियों को शोषक.कभी वैश्यों को पैसा ऐठने वाला.इन लोगों की भावना तो कभी आहत नहीं हुई,पर एक समुदाय विशेष की भावना क्या अलग से उत्त्पन्न होती है,जो दुनिया के हर घटना पर आहत होती है और फिर हिंसक रूप ले लेती है.
मै आपको यहाँ ये बता देना चाहता हूँ की जो विश्वरूपम भारत में बैन हुई है वही सबसे बड़े मुस्लिम देश इंडोनेशिया में दिखने का आदेश हो चूका है और शायद जब तक मेरी यह पोस्ट पब्लिश हो,दिखना शुरू भी हो गया हो.
दुनिया में कोई भी घटना हो उसमे भारतीय मुसलमानों की भावना ही क्यों आहत होती है?ये मेरे समझ से परे है.कुछ साल पहले लेबनान में मुहम्मद साहब का कार्टून बनने का समाचार आया,सबसे पहले भारत में इसकी प्रतिक्रिया देखने को मिली.कश्मीर जला और पुरे देश में हिंसक प्रदर्शन हुए. इसके बाद अभी कुछ महीने पहले ही बर्मा में मुस्लिम-बौद्ध दंगे की आग भारत के कई शहरों में जली.मुंबई से लेकर लखनउ तक हिंसा का नंगा नाच देखने को मिला. 
इनकी जितनी भावना फालतू चीज़ों में आहत होती है,उतनी मुस्लिम आतंकवाद की सच्चाई को मानकर आहत होती तो पूरी दुनिया शांति से जीती.न कही ९/११ होता और न ही अफगानिस्तान बर्बाद होता.न गोधरा होता न गुजरात.पर इन्हें समझाए कौन?इनकी भावना न हुई छुई मुई का पौधा,स्पर्श करते ही आहत और तड़प...तड़प.....
(मेरे इस लेख का लक्ष्य किसी की भावना को कुरेदना नहीं,सच्चाई से वाकिफ कराना है.आज बैंगलोर में मै यह फिल्म मै अपने एक मुस्लिम मित्र के साथ देख कर आ रहा हूँ.मुझे नहीं लगा की उनकी भावना फिल्म के बीच में या बाद में कही भड़की है.उन्होंने आखिरी में कहा था-पैसा वसूल.)
इसकी बाद भी किसी की भावना भड़कती है तो भाई अपने मस्तिष्क में कोई यन्त्र लग्वावो जो भावनाओं पर नियंत्रण रख सके)

Wednesday, January 30, 2013

क्यों न करूँ गाँधी-गोडसे को एक साथ नमन ?


    आज है वो काला दिन जिस दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी जी की हत्या कर दी,पूरा भारत (और पकिस्तान भी)शोक में डूब गया था.हम रो रहे थे क्यों की हमने अपने बापू को खो दिया था और पाकिस्तानी रो रहे थे क्यों की उन्होंने अपने शुभचिंतक को खो दिया था,उस शुभचिंतक को जो बटवारे के बाद हुए पाकिस्तान की नापाक हरकतों के बावजूद अनशन पर बैठ कर पकिस्तान को ४० करोड़ रुपये दिलवा दिए थे.(जबकि सरदार बल्लभ भाई पटेल नहीं चाहते थे) ताकि भारत बटवारे के समय किये हुए अपने वादे को पूरा करे.हलाकि बाद में इस पासे का उपयोग पाकिस्तान सरकर ने पकिस्तान में रह रहे हिन्दू और सिक्खों का क़त्ल करने में किया."गाँधी हत्या क्यों"पढ़ा और इतिहास से सच निकलने का प्रयत्न किया,गांधी जी के ऊपर भी बहुत सी पुस्तकें पढ़ी और गोडसे और वीर सावरकर पर भी..मनन किया और लगा की शायद दोनों ने ही अपने हिसाब से राष्ट्र हित में ही काम किया था.ये अलग बात है की गाँधी और गोडसे दोनों ने कुछ गलत फैसले लिए जिसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ा.गोडसे ने गाँधी जी की हत्या की और उसके सैकड़ों कारण दे दिए लेकिन हत्यारा तो हत्यारा होता है,और उसमे भी गाँधी जी की हत्या करे तो पाप और बढ़ जाता है.नतीजा आप के सामने है,चंद लोग ही गोडसे का समर्थन करते हैं और उनके द्वारा किये हुए सारे अच्छे काम(आपको जानना चाहिए की स्वतंत्रता संग्राम के लडाई में गोडसे भी तीन बार जेल जा चुके थे)भुला दिए गए जबकि गांधी जी आज भी सबके साथ हैं चाहे रिश्वत की नोट में ही क्यों न हों.गांधी जी की भी गलतियाँ भी सबके सामने हैं,भगत सिंह की फाँसी के समय गांधी जी के निर्णय जगविदित हैं..क्या गांधी जी को शहीद भगत सिंह को बचाना नहीं चाहिए था.उनके एक निर्णय से वो बाख सकते थे.आखिर हम भगत सिंह की हत्या के लिए किसको दोष दें?
    कभी-कभी इतिहास की गलत ब्याख्या हो जाती है और कुछ पन्ने जो स्वर्णाक्षरों में लिखे जाने चाहिए,काले अक्षर में भी नहीं लिखे जाते.मै यहाँ गोडसे का महिमा मंडान करने नहीं बैठा,लेकिन मेरी ये सोच है की अगर गाँधी जी कई गलतियों के बाद राष्ट्रपिता बन सकते हैं तो गोडसे को उसकी एक गलती(जो अपने हिसाब से और बहुतों के भी)उसने राष्ट्र हित में की थी,हत्यारा कहना ज्यादती है.
नीचे नाथूराम गोडसे का आखिरी पत्र है जो उसने अपने भाई को लिखी थी,पढ़े,मनन करें और इतिहास के पन्नों को कुरेदें,शायद खुरचे हुए ही सही,कुछ सच सामने आ जाये.

प्रिय बंधो चि.दत्तात्रय वि. गोडसे ,

मेरे बीमा के रुपिया अगर आ जाएँ तो उस रुपिया का बिनिभोग आपके परिवार के कार्य के लिए करना.रुपिया २००० आपके पत्नी के नाम पर. रुपिया ३००० चि. गोपाल की धर्मपत्नी के नाम पर और रुपिया २००० आपके नाम पर.इसप्रकार बीमा के कागजों पर मैंने रुपिया मिलने के लिए लिखा है.
मेरी उत्तर क्रिया करने का अधिकार यदि आपको मिलेगा तो आप आपकी इच्छा से किसी प्रकार इस शुभ कार्य को संपन्न करना.लेकिन मेरी अंतिम विशेष इच्छा यहीं लिखता हूँ.
अपने भारतवर्ष की सीमा रेखा सिंधुनदी है. जिसके किनारे पर वेदों की रचना प्राचीन द्रष्टाओं ने की है.वह सिंधुनदी जिस शुभ दिन में फिर भारत वर्ष की ध्वज की छाया में स्वछंदता से बहती रहेगी उन दिनों मेरी अस्थिओं या रक्षा का कुछ छोटा सा हिस्सा उस सिंधुनदी में बहा दिया जाय.
मेरी यह इछ्चा सत्यसृष्टि में आने के लिए शायद और भी एक दो पिधिओं का समय लग जाय तो मुझे चिंता नहीं.उस दिन तक वह अवशेष वैसा ही रखो और आपके जीवन में वह शुभ दिन न आये तो आपके वारिशों को ये मेरी अंतिम इच्छा बतलाते जाना.
अगर मेरे न्यायलय वक्तव्य को सर्कार कभी वन्ध्मुक्त करेगी तो उसके प्रकाशन का अधिकार भी मै आपको दे रहा हूँ.
मैंने १०१ रुपिया आपको आज दिए हैं जो आप सौराष्ट्र सोमनाथ मंदिर का पुनरोद्धार हो रहा है उसके कलश कार्य के लिए भेज देना.
वास्तव में मेरे जीवन का अंत उसी समय हो गया था जब मैंने गाँधी पर गोली चलायी थी.उसके पश्चात मानो मै समाधी में हूँ और अनासक्त जीवन बिता रहा हूँ.
मै मानता हूँ की गाँधी जी ने देश के लिए बहुत कष्ट उठाये,जिसके लिए मै उनकी सेवा के प्रति और उनके प्रति नतमस्तक हूँ,किन्तु देश के इस सेवक को भी जनता को धोखा देकर मातृभूमि का विभाजन करने का अधिकार नहीं था.
मै किसी प्रकार की दया नहीं चाहता और नहीं चाहता हूँ की मेरी ओए से कोई दया याचना करे.
आपने देश के प्रति भक्तिभाव रखना अगर पाप है तो मै स्वीकार करता हूँ की वह पाप मैंने किया है.अगर वह पुण्य है तो उससे जनित पुण्य पद पर मेरा नम्र अधिकार है.
देश भक्ति को पाप कहें यदि
मै हूँ पापी घोर भयंकर
किन्तु रहा वो पुण्य कर्म तो
मेरा है अधिकार पुण्य पर
अचल खड़ा मै इस वेदी पर
मेरा विश्वाश अडिग है,नीति की दृष्टि से मेरा कार्य पूर्णतया उचित है.मुझे इस बात पर लेशमात्र भी संदेह नहीं है की भविष्य में सच्चे इतिहासकार इतिहास लिखेंगे तो मेरा कार्य उचित ठहराएंगे.


आपका सुभेच्च्हू
नाथूराम वि. गोडसे
१४-११-४९ 

Sunday, January 27, 2013

मै कांग्रेसी क्यों नहीं हूँ?

मै कांग्रेसी क्यों नहीं हूँ?

1. यह पार्टी पूरी तरह से एक मुस्लमान परस्त पार्टी हैं.2. अपने जन्म से ही यहपार्टी हिंदु विरोधी पार्टी हैं.3. भगत सिंह को फांसी लगानेका विरोध नहीं किया.4. खिलाफत आन्दोलन को समर्थन किया.5. क्रांतिकारियों को आतंकवादी बताते थे.6. सुभाष चन्द्र बोस को कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने को मजबूर किया.7. देश का बंटवारा मंज़ूर किया.8. यदि बंटवारा हो ही गया था तो पूरी तरह से होना चाहिए था, परन्तु नेहरु-गाँधी के कारन से नहीं हो पाया.9. कश्मीर समस्या नेहरु परिवार कीदेंहैं.10. धारा 370 नेहरु परिवार की देनहैं.11. जब भारतीय सेना आगे बढ़रही थी तो युद्ध विराम घोषित किया.12 पूरा कश्मीर भारत के पास आ रहा था, तो नेहरु ने पाकिस्तान के पास एक हिस्सा छोड़ दिया.13एक हिस्सा चीन के पास जाने दिया.14. तिब्बत तश्तरी में उठा के चीन को दे दिया.15. पाकिस्तान को 56 करोड़ रूपये दिए.16. देश के विभाजन की जिम्मेदार मुस्लिम लीग को सरकार में साझा किया.17. कश्मीर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी को जेल मेंडाल दिया, जहाँपर उनकी संदेहास्पद अवस्था में मौत हो गयी.18. 1962 में चीन के सामने शर्मनाक रूप में समर्पण किया.19. 1971 की जीत को इंदिरा ने 1973 में भुट्टो के सामने हार में बदल दिया.20. देश में आपातकाल लागू किया.21. इंदिरा के मरने प् देश में 2०००० सिक्खों का दर्दनाकक़त्ल कर दियागया.22. स्वर्ण मंदिर पर हमला किया, औरउसे नस्ट कर दिया गया.23. राजीव गाँधी ने अपने हीतमिल/हिंदु भाइयो पर हमला करने के लिए श्रीलंका में सेना भेजी, जिसमे हमारे 3००० जवान मारे गए.24. मुस्लिमो को आरक्षण देना शुरूकिया.25. रामजन्म भूमि का विरोध शुरू किया.26. राम सेतु को तुडवाना चाहा.27. साधू संतो का व हिंदु प्रतीकों का अपमान करना शुरू किया28 हिंदु को गाली और दुसरे को समर्थन किया.29. एक लाख औरतो और बच्चो पर रात के समय लाठी व गोली चलवाई.30. भृष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए.31. महंगाई ने लोगो से भोजनभी छीन लिया.32. एक विदेशी औरत को हमारेसर पर बैठा दिया.33. प्रधानमंत्री की कुर्शी पर एकही परिवार का राज हो गया

Saturday, January 26, 2013

भारत को जाने और भारतीय होने पर गर्व करें


क्या आप जानते हैं?


१. शतरंज का अविष्कार यहां हुआ। एल्जेब्रा, ट्रिग्नोमेट्री और कैल्कुलस भी यहीं जन्मा। प्लेस वैल्यू सिस्टम और डेसिमल सिस्टम का विकास 100 ईसा पूर्व में भारत में ही हुआ।

२. 'पाई' के मान की सबसे पहली गणना बुधयाना ने की। उन्होंने यूरोपियंस से बहुत पहले ही पाइथगोरा थ्योरम के कंसेप्ट को खोज लिया था।

३. 2600 साल पहले ही, सुश्रत (सर्जरी के पिता) और उनकी टीम मोतियाबिंद, पथरी और ग्राफ्ट स्किन के लिए सर्जरी किया करते थे। 

४. 129 मिट्रिक टन के साथ भारत दुनिया का नंबर एक दूध उत्पादक देश है। लेकिन देश को गर्मियों में भारी मांग से निपटने के लिए दूध का पाउडर आयात करना पड़ता है।

५. तिरुपति मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है। औसतन हर रोज यहां 30 हजार श्रद्धालु 30 करोड़ रुपए का चढ़ावा देते हैं।
६. भारत में सबसे अधिक पोस्ट ऑफिस हैं। मनीऑर्डर को निकाल दें तो साल 2001-02 की अवधि में जहां 
14.2 अरब पोस्टल आइटम इस्तेमाल किए गए.

७. चार धर्म भारत में ही पैदा होकर पोषित हुए। इनमें हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्म हैं। दुनिया की कुल आबादी में आज इन धर्मों के अनुयायियों की संख्या 25 फीसदी है.

८. 2007 में भारत में 30.4 करोड़ पशु थे। लेकिन केवल 4 लाख 40 हजार गधे थे।

९. भारत में 60% प्लास्टिक कचरे को रिसाइकल किया जाता है जबकि जापान में केवल 12 और चीन में 10 पर्सेंट प्लास्टिक कचरा ही रीसाइकल होता है।

१०. 137 साल पुराना बीएसई एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज है और पांच हजार लिस्टेड कंपनियों के साथ यह दुनिया में नंबर वन है।

११. महाकुम्भ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेल है जिसमें ७ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु जुटते हैं.

१२. दुनिया की सबसे ऊंचाई पर स्थित क्रिकेट ग्राउंट हिमाचल प्रदेश के चायल में है। 1893 में इसे पहाड़ की चोटी को समतल कर बनाया गया। यह समुद्र तल से 2,444 मीटर ऊपर है।

१३. आजादी से अब तक भारत में 12.5 लाख मील सड़क का निर्माण हुआ है, भारत ने स्टील के उत्पादन को 50 गुना और सीमेंट के उत्पादन को 20 गुना बढ़ाया है। भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा साइकिल प्रड्यूसर है।

१४.भारत के पास दूसरी सबसे बड़ी श्रम शक्ति है। अनाज और कपड़ों के मामले में देश आत्मनिर्भर हो चुका है। देश में हर साल 10 लाख से ज्यादा कारें बन रही हैं। देश अब तक 65 सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है।

१५. जामनगर में आरआईएल की रिफाइनरी दुनिया की सबसे बड़ी ग्रासरूट रिफाइनरी और पेट्रोकैमिकल कॉम्प्लैक्स है। हीरो मोटोकॉर्प दुनिया की सबसे बड़ी टू वीलर निर्माता कंपनी है।

१६. दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में भारत में बनती हैं। दुनिया के बेस्ट डिलीवरी बॉएज मुंबई के डिब्बेवाले हैं जो 99.9999 फीसदी की कुशलता के साथ काम करते हैं।

Friday, January 25, 2013

राजपथ परेड में भी हिन्दू आतंकवादियों की पैठ!


आजाद भारत के 64 वे गणतंत्र दिवस यानि 64 वे सड़तंत्र दिवस (राजनैतिक दृष्टी से) पर राज पथ पर होने वाली भारतीय सैनिको के शानदार परेड का आनंद ले रहा था तभी टीवी पर शुशील शिंदे या यो कहे कि मासूम शिंदे को सोनिया माईनो के बगल में बैठा देख कर चौक उठा ....माथा तो तब ठनका की जब मासूम शिंदे सोनिया के कान में कुछ कुछ कुरान की आयते फूकते नज़र आ रहे थे क्यों की उसी वक्त वीर सैनिको की टुकड़ी सलामी मंच के पास से गुजर रही थी ....सभी सैनिक रेजिमेंट के आपने आदर्श वाक्य होते है और वो उसको यूध के समय दोहराते भी रहते है .....कोई कह रहा था की ....जय माँ काली आयो गुरखाली ....कोई जय माँ दुर्गे .....कोई जय भवानी जय शिवाजी तो कोई जय बद्रीविशाल की ...हद तो तब हो गई जब भारतीय वायु सेना ...नौ सेना और तट रछक बल के आदर्श वाक्य उस भाषा में सुनाई दिए जिसे कांग्रेस सरकार अपने प्थाक्रम तो क्या भारत देश से भी विदा कर चुकी है पर ये सेना है की मानती ही नहीं ...कोई कह रहा था की ....नभः स्पर्श दीप्तम ...कोई शन नो वरुणः तो कोई वयं रछाम ....शुशील कम पर मासूम शिंदे शायद यही बात कह रहे थे की मैडम जी देखो ये सेना सेक्युलर नहीं है ये सारे सैनिक बीजेपी और आर एस एस के एजेंट है साथ ही साथ सारे हिन्दू है और भगवा आतंकवाद के शिकार है .....अल्लाह हो अकबर तो इनके शब्दकोष में भी नहीं है ....उम्मीद है मासूम शिंदे की बात पर गौर किया जायेगा और अगली बार हमें सैनिको का आदर्श वाक्य कुछ और ही सुनने को मिलेगा ....जैसे दूरदर्शन से सत्यम, शिवम् ,सुन्दरम को मिटा दिया गया ...आप क्या कहते है ????------------------------------------------------------------------------------------------और अंत में 
भारत वर्ष के सभी राजनीतिज्ञ भ्रष्टाचारी नहीं हैं,सारे व्यक्ति बलात्कारी नहीं हैं और सारे अफसर घुसखोर नहीं हैं.सारे नेता बटवारे की मानसिकता वाले नहीं.सारे मंत्री आतंकियों की सम्मानित भाषाओँ (मिस्टर सईद,ओसामा जी,सईद साहब,हाफिज जी).सभी पार्टियों के अध्यक्ष आतंकियों की मौत पर सुबक सुबक कर रोने वाले नहीं हैं.यही सोच कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ..आओ मिलकर गणतंत्र दिवस मनाये,तिरंगे को उचा लहराएँ.
-गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें-

Wednesday, January 23, 2013

हास्य-व्यंग्य : भगवा आतंकवाद की तलाश

वे अचानक आये और बिना आज्ञा लिए मेरे कमरे में घुसकर इधर-उधर ताक-झाँक करने लगे। 
मैंने पूछा- ‘क्या चाहिए?’ 
‘कुछ नहीं।’
‘फिर क्या ढूँढ़ रहे हो?’
‘मैं आतंकवाद तलाश रहा हूँ।’
‘आतंकवाद? कैसा आतंकवाद?’
‘भगवा आतंकवाद।’
‘क्या बकते हो? तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने है? मेरे कमरे में आतंकवाद कहाँ से आया?’
‘यहीं होना चाहिए। गृहमंत्री शिन्दे ने बताया है?’
‘क्या बताया है उन्होंने?’
‘कि संघ भगवा आतंकवादी पैदा करता है और उसके कार्यकर्ता भगवा आतंकवादी हैं।’
‘यह दिव्य ज्ञान उनको कैसे हुआ?’
‘उनको अपने खुफिया सूत्रों से पता चला है।’
‘तो उन्होंने अपनी खुफिया सूचनाओं के आधार पर आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध भी लगाया होगा।’
‘हाँ, लगाया है। 30-35 संगठनों पर लगाया है।’
‘क्या उनमें संघ या उसके किसी सहयोगी संगठन का नाम है?’
‘वह तो नहीं है।’
‘कुछ गुप्त सूचनाओं के आधार पर उन्होंने मान लिया कि संघ आतंकवादी संगठन है? क्या और भी कोई सबूत है?’
‘वही तो ढूँढ़ रहा हूँ।’
‘यानी तुम तलाशी लेते फिर रहे हो और अभी तक कोई सबूत नहीं मिला।’
‘हाँ।’
‘अगर मैं यह सूचना दे दूँ कि सोनिया गाँधी और मनमोहन सिंह ने आतंकवाद फैलाया है, तो बिना सबूत के तुम उनके घर की भी तलाशी लोगे?’
‘पता नहीं।’
‘शिन्दे को अभी तक कहीं आतंकवाद दिखाई नहीं पड़ा?’
‘पता नहीं।’
‘मुम्बई हमला, समझौता एक्सप्रैस, बटाला कांड वगैरह जो घटनाएँ हुईं, उनमें उनको कोई आतंकवाद दिखाई नहीं पड़ा?’
‘पता नहीं।’
‘उन्हें आतंकवाद के भगवा होने का पता कैसे चला?’
‘हिन्दू आतंकवादी पकड़े गये हैं, इसी से पता चला।’
‘अच्छा? कितने पकड़े गये हैं?’
‘दस-बारह।’
‘और मुस्लिम आतंकवादी कितने पकड़े गये हैं?’
‘वे तो सैकड़ों हैं।’
‘तो फिर तुम इस्लामी आतंकवाद भी तलाश रहे होगे।’
‘तुम साम्प्रदायिक हो।’
‘इस्लामी आतंकवाद की बात करना साम्प्रदायिकता है और हिन्दू आतंकवाद की बात करना सेकूलरटी है?’
‘हाँ। हमारी सरकार यही मानती है।’
‘क्या गृहमंत्री शिन्दे को सही-सही मालूम है कि हिन्दू या भगवा आतंकवाद कहाँ है?’
‘मालूम होता तो पकड़ नहीं लेते?’
‘लेकिन मुझे मालूम है कि कहाँ है।’
‘जरूर मालूम होगा। तभी तो यहाँ आया हूँ। बताओ कहाँ है?’
‘कांग्रेसी नेताओं की खोपडि़यों में है।’
‘क्या बक रहे हो?’
‘उनको बरेली या राँची ले जाकर पागलखाने में भर्ती करा दो। वहाँ बिजली के झटके दिये जायेंगे, तो भगवा आतंकवाद बाहर निकल आयेगा।’

Monday, January 21, 2013

उनके फन पर ऐड़ी - रगड़ी जाना शेष अभी भी है!


जो भारत में कटुता के फसलों को बोने वाले हैं
आतंकी सोचों के पोषक,उनके ही रखवाले हैं
अमर जवान ज्योति पर जिसने गंदे हाथ लगाये हैं
हैदराबाद की शांत फिजा में जिसने आग लगाये हैं
जो अजमल को बच्चा,बिस्फोटों को सही बताते हैं
उनके पैरों बेड़ी जकड़ी जाना शेष अभी भी है 
उनके फन पर ऐड़ी - रगड़ी जाना शेष अभी भी है
जिन लोगों ने गोद लिया है जिन्ना की परिपाटी को 
दुनिया में बदनाम किया है पूजित पावन माटी को 
जिन लोगों ने कभी तिरंगे का सम्मान नहीं सीखा 
अपनी जननी जन्मभूमि का गौरवगान नहीं सीखा 
जो दुश्मन के हित के पहरेदार बताएं जाते हैं 
जो सौ - सौ लाशों के जिम्मेदार बताये जाते हैं 
उनके पैरों बेड़ी जकड़ी जाना शेष अभी भी है 
उनके फन पर ऐड़ी - रगड़ी जाना शेष अभी भी है
जिन लोगों ने भारत को बदनाम किया उद्बोधन से
आतंकी का नाम लिया है "जी" जैसे संबोधन से
हाफिज जैसे आतंकी को मिस्टर सईद पुकारा है
अमर शहीदों की छाती पर जिसने खंजर मारा है
जो बिस्फोटों के दोषी को निर्दोष बताने वाले हैं
वोटों की खातिर जो आतंकी छुडवाने वाले हैं
उनके पैरों बेड़ी जकड़ी जाना शेष अभी भी है 
उनके फन पर ऐड़ी - रगड़ी जाना शेष अभी भी है
जो बिघटन की राजनीति से वोट सेकने वाले हैं
हिन्दू-मुस्लिम लड़ा-लड़ा कर कुर्सी के रखवाले हैं
जो मेजों के ऊपर भारत को गाली लिख देते हैं
नमक यहाँ का खाते हैं पर पक्ष विदेशी लेते हैं
राष्ट्रवादियों को जो आतंकी बतलाने वाले हैं
देशद्रोहियों को सह और संरक्षण दिलवाने वाले हैं
उनके पैरों बेड़ी जकड़ी जाना शेष अभी भी है 
उनके फन पर ऐड़ी - रगड़ी जाना शेष अभी भी है
((यह कविता मैंने माननीय हरिओम पवार जी की कुछ दिल को छूने वाली पंक्तियों से प्रेरणा लेकर लिखी है.महान राष्ट्रवादी कवि डाक्टर हरिओम पवार जी को प्रणाम और आभार))


Saturday, January 19, 2013

धर्मपरिवर्तन नहीं धर्म का शुद्धिकरण जरुरी है.


एक मित्र हैं जिनसे पिछले कुछ दिनों से मेरी फेसबुक पर वार्तालाप चल रही है..वो मुझे तमाम तर्क दे रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं की मै अपना धर्म परिवर्तन कर लूं..उनका नाम तो मुझे नहीं मालूम लेकिन उनकी प्रोफाइल डॉ.जाकिर नाइक के नाम से बनी हुई है.
आज एक कई दिनों की डिस्कसन के बाद मैंने उन्हें अपना जवाब भेज है..आशा है वो मेरी भावनाओ को समझ पाएंगे.
मित्र मै किसी भी धर्म या धार्मिक ग्रन्थ के विरुद्ध नहीं बोल सकता..लेकिन मुझे समझ में नहीं आता की क्या वजह है की जहाँ भी दंगे होते हैं वहां
हिन्दू-मुस्लिम
सिक्ख -मुस्लिम
बौद्ध-मुस्लिम
यहूदी -मुस्लिम
काथलिक-मुस्लिम
मुस्लिम(शिया)-मुस्लिम(सुन्नी)
मुस्लिम(मिर्जई)-मुस्लिम(वहाबी)
मुस्लिम(वाही)-मुस्लिम(सूफी)
में "मुस्लिम कामन क्यों होते हैं.वो देश जहाँ मुसलमानों की संख्या ५% से ज्यादा है..शांति क्यों नहीं है?

मित्र!आप जानते हैं की इस्लाम को उदय हुए मात्र १४०० साल हुए हैं,जिसमे वह ७३ फिरको में बट गया.मै वो धर्म जो करोणों सालों से चला आ रहा है..और आज भी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है..उसे छोड़कर क्यों अलग रास्ता अपनाऊ...एक धर्म जो कहता है"वसुधैव कुटुम्बकम"मतलब पूरा संसार एक परिवार है उसे छोड़कर एक दूसरा धर्म जो कहता है"दुनिया के तमाम मुसलमान आपस में भाई भाई हैं" का दामन क्यों थामू?
एक धर्म जो सब धर्मो को समानता का अधिकार देता है-" तमाम रास्तों का अनुशरण करते हुए मनुष्य अंत में मुझे ही प्राप्त करता है.)-श्रीमद्भागवत गीता,एक धर्म जो कहता है की केवल मेरे द्वारा बताया गया मार्ग ही सही है,उसे क्यों पकडू.

जहाँ तक बात रही पवित्र कुरान में बदलाव न होने की,आप किस कुरान की बात कर रहे हैं,शीयावों के या सुन्नी के.शिया मुसलमान ही कहते हैं की सुन्नियो ने कुरान को अपने पक्ष में लिख लिया है.
मै किसी की धार्मिक भावना को आघात नहीं पहुचना चाहता क्यों की सनातन सर्वग्राही है..वो सबको अपने में बिलीन कर लेता है और समानता की बात करता है.
मै सनातनी हूँ..दुसरे को धर्म बदलने की सलाह देने से अच्छा है की हम उसे अपने धर्म को अच्छी तरह पालन करने के लिए कहें..यही हमारा सनातन धर्म कहता है और यही मै भी कह रहा हूँ.
जहाँ तक आप डाक्टर जाकीर नाइक के तर्कों का हवाला देकर ये बात कह रहे हैं..आपको पता होगा की वेदों की गलत व्याख्या देने की वजह से ही सरकार ने उनके चैनल को प्रतिबंधित किया है...मित्र धार्मिक होना अच्छी बात है लेकिन धर्मोन्मादी नहीं.मै ७ बार कुरान पढ़ चूका हूँ और वेदों को भी..मुझे लगता है धर्मपरिवर्तन कोई रास्ता नहीं हो सकता...हो सके तो आप भी इन सब चीज़ों से ऊपर उठकर इस्लाम में फैली हुई कुरीतियों को दूर करने पर ध्यान दें और हम तो सनातन में फैली हुई विसंगतियों को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं.

Monday, January 14, 2013

सेना को इतना मत रोको की सैनिक बागी हो जाएँ.


हमारे हुक्मरानों और हमारी फौज की सोच में कितना विरोधाभाष है?क्या हम अपने शहीदों के बर्बर मौत का बदला ले पाएंगे.मै कोई बड़ा लेख नहीं लिखने जा रहा हूँ,थोड़े शब्द हैं जो हमारे लोगों के ही बयान हैं...उन्ही को टाइप कर रहा हूँ..आप सोचिये...मै भी सोच रहा हूँ...शहीद सुधाकर और हेमराज की शहादत हमसे सवाल पूछ रही है.क्या ये कृतघ्न राजनीति इनको न्याय दिलाएगी?क्या कभी हम गाँधी जी को कुछ समय बाजू में रख कर नेताजी सुभाष चन्द बोस ,अशफाक उल्ला खान ,शेखर ,भगत सिंह के बताये हुए रास्ते पर भी चलेंगे?या हमेशा अहिंसा की आड़ में कायरता के कफ़न ओढ़कर अपने सैनिकों और नागरिकों को य़ू ही खोते रहेंगे.
पढ़िए इन बयानों को और सोचिये...कमेन्ट करने से ज्यादा मनन करने की जरुरत है.
जन.वी.के.सिंह (माननीय थल सेनाध्यक्ष)

"अब नहीं सहेंगे पाकिस्तान की करतूत,देंगे कड़ा जवाब."


                                            ए.के.ब्राउन (माननीय वायु सेनाध्यक्ष)

"अगर पीएम.हमें खुला आदेश दें तो तीस मिनट में पाकिस्तान को खुला मैदान कर देंगे."

                                   सुषमा स्वराज(माननिया नेता प्रतिपक्ष)


"'हेमराज का सिर न मिले तो 10 पाकिस्तानी सिर लाओ'"


सलमान खुर्शीद(माननीय विदेश मंत्री)

"पाकिस्तान के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तमाल ठीक नहीं,इससे शांति वार्ता पर असर पड़ेगा."

साठ साल से शांति वार्ता करके क्या उखा...लिया?


सेना को इतना मत रोको की सैनिक बागी हो जाएँ.