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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Friday, July 8, 2011

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की संपत्ति पर सेकुलर(शर्मनिरपेक्षो ) की टेढ़ी नज़र:मंदिर के कुछ सच.


आज केरल(तिरुअनंतपुरम) का पद्मनाभ स्वामी का मंदिर पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है.यहाँ के तहखाने से अब तक लगभग १ लाख करों रुपये की संपत्ति मिल चुकी है जबकि एक दरवाजा अभी खुलना बाकी है.इस मामले पर देश के लोग कई धडो में बात गए हैं.कुछ इसे राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना चाहते हैं तो कुछ इसे मंदिर की ही संपत्ति रहने देना चाहते हैं. यहाँ तक की कांग्रेस की अध्यक्षा माननीया अद्विनो अन्तोनियों मानिओ (सोनिया गाँधी) के साथ तमाम कांग्रेसी और तथाकथित सेकुलर राजनितिक पार्टिओं के लोग भी इसे सरकारी संपत्ति घोषित करने की बात कर रही हैं.जनता इस मंदिर के कुछ अज्ञात तथ्यों को जान सके,इसके लिए अपने थोड़े से ज्ञान से कुछ सामग्री एकत्रित किया हूँ,आशा करता हूँ,आपको मंदिर के बारे में जानने में उपयोगी सिद्ध होगा.
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राजा मर्तंड वर्मा ने त्रावणकोर राजधानी 1729 मे बनाई थी तब के पहले का यह मंदिर है | 1741 मे ईस्ट इंडिया कंपनी और डच लोगो ने कालीकट आने के 4 महीने मे ही इस मंदिर पर आक्रमण किया था | उस के बाद हर 10 साल बाद इस पर विफल ब्रिटिश आक्रमण होता रहा है | पहली लड़ाई बॅटल ऑफ कोलाचेल नाम से प्रसिध्ध है जो अंग्रेज हारे थे पर त्रावणकोर की प्रजा ने उदारता से अंग्रेज़ो को देशनिकाल नही किया था जो ग़लती अब सब मानते है | तब का रिलिजियस टॉलरंस गजब का था | यहूदी, मुस्लिम, हिंदू सब मिल कर अंग्रेज़ो से लड़े थे | बाद के गवर्नर जो भी यहां एटेक किया है या निसंतान मर गया है, खून हुवा है, युवा आयु मे रोग से मरा है ऐसा ही हुवा है | त्रावणकोर शायद भगवान पद्मनाभ और सोशियल हार्मनि की वजह से ही टिक पाया है | इस राज्य के लगातार 170 साल तक मुस्लिम दीवान रहे थे तब भी इस मंदिर का जजबा बना रहा था | सोनिया की उलटीमति शायद गांधीवंश नाबूद करने जा रहा है |
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गोआ की आज़ादी के वखत का सोना इंडिया ट्रिज़ेरी मे नही आ सका क्यू की "रूल ऑफ लेंड़" का क़ानून सब से उपर है | आज़ादी के वखत तिरुपति मंदिर की संपत्ति भी सरकार को नही मिली थी | आज़ादी के वखत इंडिया की तिजोरी मे 400 करोड़ थे जिस मे सरदार पटेल ने और बाबा भीमराव आंबेडकरने 64 करोड़ पाकिस्तान को दिए और 142 करोड़ अंग्रेज़ो को ले जाने दिए थे | अब सड़नली कोई प्रणाली भंग कर के फ़ैसला नही लिया जा सकता | यह नेचरल संपत्ति भी नही है | सरकार को दूर ही रहना चाहिए | वेटिकन की संपत्ति भी इटली इस्तेमाल नही करता उलटा इटली वेटिकन को हर साल खरबो डॉलर्स दान देता है | कांग्रेस सरकार इस मंदिर मे दान दे और अपना पाप कम करे
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ये पूरा मंदिर सालग्राम (शालिग्राम) पत्थर से बना है | आज असली शालिग्राम 1.75 लाख मे पोने इंच का मिलता है | जिसे मारवाड़ी लोग घर मे रखते है | रोज पूजा करते है | इसी पत्थर से मारवाड़ी लोग धनी बने है | अब इतने बड़े मंदिर मे 23 प्रकार के शालिग्राम स्टोन्स इस्तेमाल किए है उसकी कीमत कितनी होगी ? जो कोई राजा युध्ध मे हारता था या उसे विभाजन से खाली तिजोरी का राज्य मिलता था वो शालिग्राम पत्थर (जो विष्णु खुद है) ले आ के पुन; शक्ति और रूपिया पाता था | नही चलते धंधो को भी भगवान शालिग्राम न्याल कर देता है | यह आज भी सच साबित होता है | इस छोटे से पत्थर की और उसकी पूजा की राहुल को ज़रूरत है जो कोई इम्प्रेसिव काम नही कर पाया है न कोई कीर्ति बना पाया है | यह शालिग्राम रावण को नही पचा था और 1654 वर्ष की आयु मे राम से हार गया था | तब रावण ने 21 साल शालिग्राम अपने पास रखा था | कोई यह भी कहता है की रावण को मोक्ष चाहिए था और ग़लत कामो को यह शालिग्राम साथ नही देता इस लिए रावण ने जानबूज कर यह पत्थर अपने पूजा मे प्रयोग नहीं करता था .
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राजपरिवार का काली मिर्च व मसालो का कारोबार है . इस आखिरी तहखाने से लंबी सुरंग निकली है, जिसका एक सिरा वहां के राजा के महल और दूसरा समुद्र तक जाता है। मुझे लगता यह तहखाना राजा के कारोबार से संबंध रखता है, हो सकता है कि राजा इस रास्ते का उपयोग अपने कारोबार के लिए करता हो क्यों कि सुरंग का रास्ता राजा के महल से होते हुए समुद्र क़ी ओर जाता है, ज़रूरी पूजा पाठ के बाद इस तहख़ाने को अवश्य खोलना चाहिए . राजा क़ी असलियत सामने आ सके ओर दुनिया को सच्चाई [पता चल सके.
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विष्णु के 5 अवतार यही आसपास मे प्रगट हुवे थे | छठा अवतार परशुराम इस तहख़ाने से जुड़ा है जिस ने तीन बार सभी क्षत्रियो को मार दिया था | छठ चंद्र भी शत्रु कर्ज़ बीमारी हिंसा पराभव गुलामी भाड़ा षड्यंत्र गद्दारी तलाक़ अस्वस्थ बालक बांज कुदरती प्रकोप का है (मानो ईसाई पेंडोरा का दु:ख का पिटारा, जिसे खोलने से ग्रीस फिनिश हो हया था) | यह वास्तु पुरुष की नाभि का शुरुआती हिस्सा है जो उत्तरा फाल्गुनी, हस्त ओर चित्रा नक्षत्र को बिलोंग करता है जिस का मतलब समंदर मे संपत्ति सहित बिना कोई लीडर खो जाना | इसी को स्प्ररेंट (नाग) का मध्य हिस्सा कहा गया है जो देश को स्थिरता देता है | अस्थिरता लाना हो तो मंदिर की मिल्कियत को लुंट लो यह विद्वानो की राय है | जिस की कॉपी सुप्रीम कोर्ट को फेक्स की गयी है |
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राज फेमिली को आज भी सरकार पेंशन देता है | उनके महलो को राष्ट्रीय संपति नही बनाया है | इस से अधिक धन स्विस बेंक मे है जिसे राष्ट्रीय संपत्ति बनाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट दे चुका है पर मनमोहनसिंग सोनिया राहुल सहमत नही है (नेहरू गांधी ट्रस्ट की संपत्ति) इस लिए कोई प्रयास नही किए है | ऐसे मे यह मंदिर का धन कैसे लोगो का हुवा ? लोगो को हराम का खाने की आदत बंद करके खुद की अकल ओर हाथो की ताक़त से संपत्ति बनानी चाहिए | पद्मनाभ यह रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क भी है जिस की कीमत भी बड़ी होगी| पर 2जी की 122 लाइसेसे कंपनियां इस से ज़्यादा सिर्फ़ दस साल मे कमानेवाले है | हज़रत ख्वाजा मुद्दीन चिस्ती की दरगाह को भी अगर कांग्रेस लोगो की मिल्कियत गिनना चाहे तो वो नही हो सकता | हज़रत ख्वाजा मुद्दीन चिस्ती भगवान पद्मनाभ से भी अमीर है |
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यह मंदिर अदभूत है | हम गये थे तब एक दिन ओर रुके थे | सामान्य मंदिर की तरह तोड़ा चलने पर गुंबज शुरू होता है ऐसा नही है | लंबा रास्ता करीब 10 मिनट चलो तब गुंबज आता है | तब तक अंधेरा बढ़ते जाता है | प्रकाश व्यवस्था कुदरती है पर अंधेरा अंधा नही बनाता | धीरे धीरे हम नीचे जा रहे है ऐसा प्रतीत होता है पर कोई स्टेप उतरने का नही है आसान ढलान है | ढलने से मंदिर की उंचाई बढ़ती जाती है | स्वच्छ हवा दिमाग़ को ताज़ा कर देती है | हम कब समंदर के अंदर है यह पता नही चलता जब तक ठंड न लगे | शेषनाग पर लेटे काले विष्णु की तसवीर सभी ने पुस्तको मे देखी होगी वो यही की है | एक ही स्टोन से 18 मंज़िल जितना आड़ा विष्णु लेटा है | मंत्रमुग्ध या वशीकरण लगता है | सब शांत हो जाता है | हार्ड्ली किसी को डर लगता है | ध्यान से सुनो तो समंदर की टकराती लहरो के बीच आप हो यह एहसास होता है | दो पत्थरो के बीच कोई मिट्टी या सीमेंट नही लगाया है बस यू ही पत्थर पे पत्थर चढ़ाया है फिर भी लीकेज नही है | सभी को धोती पहननि ज़रूरी है .धोती बहार फ्री पहने मिलती है बाद मे लौटा दो | महिलाए यू ही जा सकती है | कुछ मुस्लिम ईसाई लोग भी दिखे थे जो रेगयुलर भक्त थे | कोई डोनेशन नही देना पड़ता न कोई टिकट लेना पड़ता है | जूते संभालने टोकन प्रथा है पर वो भी मुफ़्त है | सेवको ने मंदिर को सॉफ रखा है | वास्तु के देव मानसारा, मयामंतम ओर विश्वकर्मा ने यही भगवान से दीक्षा ली थी जो छोटे स्टोन का मुल मान कर यह मंदिर बनाया है|किसी ने समुद्रमंथन यही हुवा था ऐसी जानकारी दी |विष्णु जो तत्व के देव है उन्हो ने मनु को पदार्थ (मिनरल्स) का ग्यान यही दिया है|आसपास की दीवारे भी मूर्तियो से लदी है|एक कछुआ भी है जो विष्णु की राह मे पत्थर बन गया था| कोई पैसो का दिखावा नही है सब सादे पुजारी है कोई पूजा का आग्रह नही है पर पास के झरने पर 100 लोग शांति से पूजा करते दिखाई देते है|पूजा फीज़ का आग्रह नही है|पैसे कम हो तो भी पूजा मे बैठ सकते है |प्रसाद मे पूरा खाना मिलता है वो भी फ्री है|ज्योतिष् भी फ्री मे देखी जाती है|रोज की तकलीफे लोग यहां भूल जाते है|

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पद्मनाभस्वामी का खजाना इन से बचाना नही तो इटली चला जाएगा, क्वतरोची मामा आ रहे है.

Saturday, July 2, 2011

एक आह्वान

हे नौजवान आंखे खोलो,भारत माँ तुम्हे पुकार रही.
अपनी मर्यादा रखने को,गंगा-सतलुज ललकार रही.
हर तरफ यहाँ है अनाचार,पापी राजा बन बैठे हैं.
मेहनतकश भूखो मरते हैं,इनके बस जाम छलकते हैं.
राजा,कलमाड़ी-कनिमुडी,अरबों खरबों खा जाते हैं.
पर बारह सौ के वेतन पर,हम सुखी लोग कहलाते हैं.
कहने को हम हैं सवा अरब,पर यही बात चुभ जाती है.
इतने लोगों के रहते भी,एक विदेशन राज चलती है.
अब लालबहादुर कहीं नहीं,हर जगह यहाँ मनमोहन हैं.
निर्विकार से बैठे हैं,इनपर किसका सम्मोहन है?
भ्रष्टाचार ख़तम कर दो,कह जनता जब चिल्लाती है.
आधी रात में जनता पर,सरकार गोली चलवाती है.
रामदेव-अन्ना जैसे को,देशद्रोही ये कहते हैं.
जनता भले चीत्कार करे,ये घर में दुबके रहते हैं.
हम यहाँ चंद रुपये के खातिर,दिन भर मेहनत करते हैं.
पर भ्रष्टाचारी बैठ यहाँ,अपनी तिजोरी भरते हैं.
जब तक दिग्गी जैसे कुत्ते,भोऊ-भोऊ करके चिल्लायेंगे.
तब तक सिब्बल जैसे नेता,जनता की वाट लगायेंगे.
हे मेहनतकश,अब तो समझो,बस यही हमारे शोषक हैं.
ये संघ शक्ति से डरते हैं,ये सिम्मी के परिपोषक हैं.
हे नौजवान बन भगत सिंह,फिर से रणभूमि में आओ.
भारत को पुनः आजाद करो,इस समरभूमि में बढ़ जाओ.

-राहुल पंडित