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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Thursday, June 9, 2011

राष्ट्रवादियों की जरुरत : स्वामी रामदेव का साथ



विगत कई महीनों से हिन्दुत्व समर्थकों में चर्चा का विषय था कि २०१४ में किसे वोट देना चाहिए । सभी कहते थे कि देखा जाएगा जैसी परिस्थिति बनेगी । पर भाजपा के स्वामी रामदेव के समर्थन में आने के पश्चात ऐसे प्रश्नों पर विराम लग गया है । भाजपा ने अपने सत्ता में आने के बाद जिस प्रकार से हिन्दुऒं को निराश किया था उस सारी निराशा को स्वामी ने रामदेव ने समाप्त कर दिया है । संघ विचार परिवार ने पिछले ८६ वर्षों की साधना की थी हिन्दुत्व के समर्थन में जो माहौल तैयार किया था उसे केवल एक सक्षम नेत़ृत्व की तलाश थी जो स्वामी रामदेव के रूप में पूरी हुई ।

भाजपा के नाकारापन के कारण राष्ट्रवादी लोग बड़े ही असमंजस की स्थिति में थे । भाजपा के मध्य में आज भी आमराय यह है कि उग्र हिन्दुत्व के कारण ही लोग भाजपा से कट रहे हैं इसीलिए उसे ऐसे मुद्दों को नहीं उठाना चाहिए । आज भी भाजपा में जाति गत आधार पर टिकट बांटे जा रहे हैं पर भाजपा इस परिस्थिति को नहीं देख रही कि यदि मुस्लिम जनसंख्या इसी तरह से बढ़ती रही तो आगामी दस या बीस वर्षों के बाद सभी जगह भाजपा के जातिगत समीकरण फेल हो जाएगें । भाजपा को दो बार बढ़िया जीत हासिल हुई एक बार ढांचे के विध्वंस के बाद व दूसरी बाद कारगिल संघर्ष के बाद । दोंनो बार भाजपा की जीत हिन्दुत्व व राष्ट्रवाद के आधार पर हुई । भाजपा को स्वामी रामदेव से भी सबक लेना चाहिए । केवल योग के आधार पर स्वामी रामदेव ने लोकप्रियता हासिल नहीं की । जनता भाजपा में नरेद्र मोदी जैसा सक्षम नेता चाहती थी पर भाजपा नेताऒं के आपसी मतभेद के चलते नरेद्र मोदी को आगे नहीं आने दिया । जिसका नुकसान अब भाजपा को उठाना पड़ रहा है कि हजारों नेताओं की पार्टी भाजपा को पर स्वामी रामदेव के समर्थन में आना पड़ा । आज भी स्वामी रामदेव के भारत स्वाभिमान में जो लोग कार्य कर रहें हैं वे उनमें से ९५ प्रतिशत संघ के विचार परिवार से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष कहीं न कहीं जुड़े हुए होगें । आखिर भाजपा की क्या मजबूरी हो गयी की उसे रामदेव के समर्थन में आना पड़ा । दरअसल भाजपा के कुछ प्रतिशत उच्च नेताऒं को छोड़कर सभी कार्यकर्ता राष्ट्रवाद व हिन्दुत्व के कारण ही भाजपा के साथ हैं । यदि भाजपा रामदेव का साथ न देती तो भाजपा के बहुत से कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर स्वामी रामदेव के साथ चले गए होते । अब समय भाजपा के हाथों से चला गया है । जिस प्रकार से आपात्काल के समय जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में कार्य किया गया था अब समय स्वामी रामदेव के नेतृत्व में कार्य करने का आ गया है ।