स्वागतम ! सोशल नेटवर्किंग का प्रयोग राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए करें.

Free HTML Codes

अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Monday, January 14, 2013

सेना को इतना मत रोको की सैनिक बागी हो जाएँ.


हमारे हुक्मरानों और हमारी फौज की सोच में कितना विरोधाभाष है?क्या हम अपने शहीदों के बर्बर मौत का बदला ले पाएंगे.मै कोई बड़ा लेख नहीं लिखने जा रहा हूँ,थोड़े शब्द हैं जो हमारे लोगों के ही बयान हैं...उन्ही को टाइप कर रहा हूँ..आप सोचिये...मै भी सोच रहा हूँ...शहीद सुधाकर और हेमराज की शहादत हमसे सवाल पूछ रही है.क्या ये कृतघ्न राजनीति इनको न्याय दिलाएगी?क्या कभी हम गाँधी जी को कुछ समय बाजू में रख कर नेताजी सुभाष चन्द बोस ,अशफाक उल्ला खान ,शेखर ,भगत सिंह के बताये हुए रास्ते पर भी चलेंगे?या हमेशा अहिंसा की आड़ में कायरता के कफ़न ओढ़कर अपने सैनिकों और नागरिकों को य़ू ही खोते रहेंगे.
पढ़िए इन बयानों को और सोचिये...कमेन्ट करने से ज्यादा मनन करने की जरुरत है.
जन.वी.के.सिंह (माननीय थल सेनाध्यक्ष)

"अब नहीं सहेंगे पाकिस्तान की करतूत,देंगे कड़ा जवाब."


                                            ए.के.ब्राउन (माननीय वायु सेनाध्यक्ष)

"अगर पीएम.हमें खुला आदेश दें तो तीस मिनट में पाकिस्तान को खुला मैदान कर देंगे."

                                   सुषमा स्वराज(माननिया नेता प्रतिपक्ष)


"'हेमराज का सिर न मिले तो 10 पाकिस्तानी सिर लाओ'"


सलमान खुर्शीद(माननीय विदेश मंत्री)

"पाकिस्तान के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तमाल ठीक नहीं,इससे शांति वार्ता पर असर पड़ेगा."

साठ साल से शांति वार्ता करके क्या उखा...लिया?


सेना को इतना मत रोको की सैनिक बागी हो जाएँ.



No comments:

Post a Comment