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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Thursday, September 23, 2010

श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद:क्या हर बार हिन्दू त्याग करेंगे?



देश के सबसे पुराने और बहुप्रतीक्षित राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला आने वाला है.हमारे हाई कार्ट ने २४ सितम्बर का समय तय किया है.हालाकी अभी -अभी मिली खबर के मुताबिक सुप्रीम कार्ट ने फैसला टालने की की याचिका पर सुनवाई करते हुए फ़िलहाल २८ सितम्बर तक फैसले पर रोक लगा दी है और अगली सुनवाई २८ सितम्बर को होना है की फैसला कब आएगा.चुकी याचिका करता का मानना है की कामनवेल्थ गेम के बाद फैसला आये इसका मतलब है की फैसला सुप्रीम कोर्ट भी ज्यादा से ज्यादा से ज्यादा १४ अक्टूबर तक फैसला आ जायेगा.
फिर इसके बाद क्या होगा...क्या भारत में बस रहे करोनो मुसलमान यहाँ राम मंदिर का निर्माण होने देंगे या जिस देसजह में ९० करोण हिन्दू हैं वहां बाबरी मस्जिद दुबारा से बनेगी?
हमारे तथाकथितधर्मनिरपेक्ष लोगों का कहना है की हिन्दुओं को समानता का परिचय देते हुए बाबरी मस्जिद बनाने देना चाहिए.क्या हिन्दू ही हमेशा समानता के लिए जिम्मेदार हैं?क्या इस्लाम समानता नहीं सिखाता?
मेरे प्यारे हिन्दू भाईओं! आप इनकी बात मान जाओ.श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मस्जिद बनाने दो.लेकिन उनसे कहो की वो भी समानता का परिचय दें और मक्का में हमें थोड़ी सी जगह दे दें जहाँ पर हम एक चर्च,एक मंदिर और एक गुरुद्वारा बनायेंगे.
क्या मुसलमान ऐसा करेंगे?
यदि हाँ तो हम एक नहीं १० बाबरी मस्जिद बनायेंगे.
लेकिन अगर मक्का में श्री रामचंद्र जी का मन्दिर नहीं बन सकता तो श्री राम जन्मभूमि पर बाबर के नाम की मस्जिद नहीं बन सकती..
राम मंदिर हमारी आस्था के साथ-साथ हर हिन्दू के जीवन-मरण का सवाल है.सदिओं से हम अपने भोलेपन की वजह से ठगते आये है,और इतिहास को दुहराने देना...खुद के अस्तित्व को मिटने के लिए खुद की कोशिश होगी.

1 comment:

  1. अब ये आस्था और श्रद्धा से ज्यादा भावनाओं के सम्मान का मामला हो गया है. मुस्लिम को भी हिन्दू भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.
    जय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड

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