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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Monday, September 13, 2010

मै हिन्दू हूँ,मै हिंदू हूँ


मै आदि धर्म का रखवाला
जग को पथ दिखलाने वाला
वेदों के मंत्रो से गुंजित
दुनिया को कर देने वाला
मै परिचय का मोहताज नहीं
हर जगह हमारे चिन्ह पड़े
कोई पत्थर-कोई तिनका
हर जगह हमारे राम खड़े
नदिओं में माता को देखा
कंकड़-कंकड़ में शंकर को
पूरी बसुधा कुटुंब अपना
कह बना लिया अपना सबको
मेरे श्रीराम ने नहीं कहा
आओ सब मेरी राह चलो
बस यही कहा-बस यही कहा
मानव-मानव का भला करो
कब शस्त्र लिए हाथों में मै
निर्दोषों का संघार किया
बनवाने को हिन्दू सबको
कब अपनी सीमा पार किया
कब अरब-सीरिया में जाकर
मंदिर बनवा मस्जिद तोडा
कब काफ़िर-काफ़िर कह कर के
खंजर लेकर के मै दौड़ा
मै तो बस प्रेम सीखाता हूँ
मै तो बस दया दिखाता हूँ
पथ से भटके हर राही को
मै तो बस राह दिखाता हूँ
मै हिन्दू था,मै हिन्दू हूँ
मै हिन्दू बना रहूँगा भी
जीव मात्र से प्रेम किया
करता हूँ और करूँगा भी
मै राम भी हूँ,मै कृष्ण भी हूँ
मै नानक भी मै गौतम भी
मै महावीर का महाबचन
मै शंकर का दावानल भी
मै शांति का उपदेशक हूँ
मानवता का मै रखवाला
सज्जन के दिल की मै धड़कन
दुर्जन को अग्नि की ज्वाला
अर्जुन को पार्थसारथी मै
पर मेघनाथ को लक्ष्मन हूँ
मै कान्हा की प्यारी वंशी
श्रीराम का मै सर-सायक हूँ
रग-रग में बसा सनातन है
सासोंमे बसा सनातन है
मै तो बस इसका पूजक हूँ
यह आदि-अनंत-पुरातन है
यह महाज्ञान का महासिंधु
मै तो बस इसका विन्दु हूँ
भटके को पथ दिखलाता हूँ
मै हिन्दू हूँ,मै हिंदू हूँ.
-राहुल पंडित



2 comments:

  1. बहुत ही उत्कृष्ट कविता ,धन्यवाद

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  2. वाकई मे हमे गर्व है कि हम हिन्दु है.
    आपकी इस प्रस्तुति के लिये आभार.

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