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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Wednesday, July 7, 2010

भारीतय मुसलमान:एक तीखा सच


ये बातें लिखते हुए मुझे हार्दिक दुःख हो रहा है...शायद ये बातें बहुतो को बुरी लगेंगी और लगनी भी चाहिए.क्यूंकि बात ही ऐसी है...लेकिन कुछ सच्ची बातें बहुत कटु होती हैं लेकिन उनको समाज के सामने रखना पड़ता है.
ये बात भी हमारे भारत वर्ष में निवास करने वाले मुसलमानों के लिए है.लेकिन ये हमारे सभी मुसलमान भाईओं पर नहीं बैठती...ये उन लोगों के लिए है,,जो रहते तो भारत में हैं..लेकिन आज भी पाकिस्तान में उनकी आत्मा बसती है.और मेरे समझ से इन लोगों का एक बहुत ही बड़ा तबका हमारे बीच रह रहा है...और हमें इनसे बचने की जरुरत है.
मै केवल प्रत्यक्ष पर विश्वाश करने वाला व्यक्ति हूँ तो मै इसका उदहारण भी अपने वास्तविक जीवन से दूंगा.-
पहली घटना
मै कक्षा 9वी में पढ़ रहा था.अमेरिका में ९/११ हुआ,हजारों लोग मरे गए.साडी दुनिया में इसका विरोध हुआ.हमले की लोगों ने भर्त्सना की.इसके बाद संयुक्त सेना ने अफगानिस्तान में हमला किया.साडी दुनिया जानती है की हमले के पीछे अलकायदा का हाथ था.मेरे गावं के पास एक सा गावं है धौरहरा.उसी गावं में एक छोटी सी मुसलमानों की बस्ती(हरिहर पुर) है.ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं है.वहां पर एक विशेष नमाज़ रखा गया था.ओसामा बिन लादेन की सलामती के लिए.उस समय मै इस बात को ज्यादा गौर नहीं दे पाया..लेकिन थोड़ी बहुत जो समझ थी..उससे मुझे लगता था की लादेन ने गलत किया था.उसी गावं के मेरे एक मित्र थे.मेरे साथ ही पढ़ते थे.मुहम्मद शाहिद साहब.मैंने पूछा-ऐसा नमाज़ आप लोग क्यूँ पढ़े?
उन्होंने बताया-अब्बू कह रहे थे की लादेन हमारे कौम की रक्षा के लिए लड़ रहा है.वो सलामत होगा तो हमारी कौम और हम लोग सलामत होंगे.उस समय ये बात मुझे बहुत बड़ी नहीं लगी..अब मै उसके बारे में सोचता हूँ..की हमारे बीच साधारण से दिखने वाले ये मुसलमान जो हमारे हर शुभ कामों में निमंत्रित भी होते हैं..किसी को भैया तो किसी को चाचा कहा जाता है.जब इन साधारण से लोगों की नये सोच है तो भगवान ही जाने जब अलकाएदा भारत पर हमला करेगा तो ये लोग भारत की तरफ से लड़ेंगे.ये लोग वीर अब्दुल हमीद बनेंगे?
दूसरी घटना
पहला २०-२० विश्वकप क्रिकेट का फाइनल मैच.भारत-पाकिस्तान आमने सामने.बनारस में इन्द्रप्रस्थ सिनेमा में मैच के लिए विशेष शो.बनारस दुनिया के सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक है.यहाँ की गंगा-जमुनी तहज़ीब से कौन वाकिफ नहीं है.जहाँ भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान मंदिरों में सहने बजाते हैं तो एक हिन्दू परिवार मदरसा चलता है.हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतिरूप.मैच देखने वालों में हिन्दू भी और मुसलमान भी.अचानक मैच का रुख बदल गया,भारत के छक्के लगने पर एक गुट ताली बजता तो पाकिस्तान के छक्के पर दूसरा गुट. ऐसा हो गया की जैसे हम भारत में बैठकर मैच नहीं देख रहे हैं अपितु ऐसी जगह हैं जहाँ लाइव मैच होरहा है और भारत और पाकिस्तान के लोग बैठे हैं,थोड़ी देर में हिंदुस्तान जिंदाबाद-पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगने लगे.हिन्दू मुसलमानों का दो गुट बन गया.माहौल गरम होते देख पोलिसे को खबर दी गई.शो आधे पर रोकना पड़ा.मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरे बनारस के अन्दर भी एक पाकिस्तान रहता है.ये बात बहुत बड़ी थी मेरे लिए.क्यूँ की जो शहर हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए जाना जाता हो वहां यह दशा है तो फिर जिन्हें लोग सम्बेदंशील कहते हैं...वहां की क्या दशा होगी...
तीसरी घटना
मेरे सबसे अच्छे मित्रों में से एक.अब्दुल हलीम.पढ़े लिखे और सभ्य भी.बहुदा हमारी चर्चा होती रहती है देश विदेश कीसमसमायिक परिस्थितिओं पर.भारत पाकिस्तान के संबंधो पर चर्चा.बात मुहम्मद अली जिन्ना पर पहुची.मैंने कहा-जिन्ना,गाँधी नेहरु की वजह से पाकिस्तान बना.इसका कुछ तुक नहीं था.जो जिन्ना खुद इस्लाम के रास्ते पर नहीं चलते थे.शराब पीते थे.उन्हें मुसलमानों के नाम पर नया राज्य बनवाने की क्या तुक थी?
मित्र बहुत क्रोधित हुए.उनका मैंने ये रूप पहली बार देखा था.बोलने लगे- दुन्य में दो लोग ही हैं जिनका मै अँधा होकर विश्वाश करता हूँ..औरंगजेब और मुहम्मद अली जिन्ना....और न जाने क्या क्या..... जोश में उन्होंने बहुत कुछ बोला.मुसर्रफ...पाकिस्तान और अल काएदा
की तारीफ के कसीदे पढने लगे.पाकिस्तान को सुरक्षित रहना जरुरी है.क्यूँ की पाकिस्तान ही एक मात्र मुस्लिम मुल्क है जिसके पास परमाणु बम है.और जब यहूदी और दुसरे कौम वाले मक्का में काबा पर हमला करेंगे तो हमारी रक्षा होगी.ये हलीम साहब कोई अनपढ़ मुसलमान नही है.मकेनिकल इंजिनियर में डिप्लोमा.बीसीए,एमसीए..और एक सोफ्टवेयर इंजिनियर.
फिर भी.................

और बहुत सारी घटनाएँ है,,,,,,जो एक साथ ब्लॉग पर नहीं लिखी जा सकती.
मुझे नहीं लगता की इस तरह के हमारे मुसलमान भाई वीर अब्दुल हमीद बनना पसंद करेंगे...

1 comment:

  1. सच्चाई लिखने पर बधाई सवीकार करें जी।

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