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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Sunday, February 9, 2014

आओ मिलो आज भारत बचाने को

मेरी नयी कविता सभी राष्टवादी देशभक्तों को समर्पित
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हिन्द को दंगों की खान बना डाला था।
हर गली,हर मकां,वीरान बना डाला था।
सत्ता के लिए देश को बाट देने वालों ने,
पूरे भारत को शमशान बना डाला था।

भगतों, सुभाषो के त्यागों को भूल कर,
गांधी और नेहरू महान बना डाला था
हमने पटेलों को सौपी थी सत्ता
पर दल्लों ने इसको नीलाम बना डाला था

आओ मिलो आज भारत बचाने को
अनगिन शहीदों के सपने सजाने को
भूखों को भोजन को,प्यासों को पानी को
मरते किसानो को,मरती जवानी को

आओ दिखादो तो अब,जनता की ताकत को
आओ हिला दो अब,खूनी विरासत को
भारत को अपनी जागीर समझ बैठे जो
भ्रष्टों को,चोरों को,पंजी हिमाकत को
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वन्देमातरम 

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