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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Friday, February 22, 2013

फिर से खेली आज किसी ने,रक्तिम होली भारत में



(हैदराबाद सीरियल ब्लाष्ट में मारे गए सभी लोगों को श्रद्धांजली ,और घायल हुए लोगों को जल्द स्वस्थ्य लाभ के लिए ईश्वर से प्रार्थना.)
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फिर से खेली आज किसी ने,रक्तिम होली भारत में
निर्दोषों की लाशें बिखरीं,पापी की जियारत में
फिर से मम्मी,पापा,बच्चे बिलख रहे बिस्फोटों पर
राजनीती का खेल हो रहा,पुनः हमारे चोटों पर
अस्पताल में चीख रही हैं,मुर्दा और जिन्दा लाशें
बंद होने की दुआ कर रहीं,घायल की घायल साँसे
दर्द,कराह,खून बिखरा है,हैदराबाद के सीने पर
क्योंकि अबकी हमला था ये,दिलसुख नगर नगीने पर
जिन लोगों ने निर्दोषों के,रक्त की नदी बहाई है
मज़हब-कौम के चक्कर में,फिर से ये आग लगायी है
लेना होगा अब हिसाब,ऐसे नापाक दरिंदों से
भारत में रहने वाले,सारे "पाकी" बासिंदों से
उठो आज हिसाब मांग लो,सत्ता के गलियारों से
अफज़ल की फांसी पर रोने वाले चाँद सितारों से
सब मानव अधिकार यहाँ,बस आतंकी पर रोते हैं
निर्दोषों की हत्या पर,केवल हँसते हैं,सोते हैं
वह मुल्क जहाँ आतंकी की फांसी पर पुतले जलते हैं
बस उन्ही मुल्क में आतंकी ,खाते ,पीते और पलते हैं
उठो नया कानून मांग लो,संसद की दीवारों से
सत्ता को जागीर बना बैठे सारे परिवारों से
जो भारत में मज़हब के चक्कर में खून बहायेगा
सरेराह चौराहों पर,फांसी लटकाया जाएगा.
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