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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Monday, February 11, 2013

वेद कुरआन और विज्ञान:(जाकिर नाइक के चेलों को समर्पित)



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आज-कल एक मुस्लिम ब्लोगर अनवर जमाल को विश्व केसबसे 
प्राचीन ग्रंथों वेदों की बुराई करने का या कह सकते... है की अपने ही ढंग से उनके उलटे सीधे अर्थ निकालने का चस्का लगा हुआ है. निसंदेह वेद विश्व का सबसेमहानतम ज्ञान है. परन्तु उस ब्लोगर को वेद मजाक की पुस्तके तथा विश्व का सम्पूर्ण ज्ञान कुरान में दिखता है.मे यहाँ पर आज इस लेख में खगोल विज्ञान के कुछ तथ्यों पर द्रष्टि डालूँगा.
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हिन्दू धर्म के अनुसार प्रथ्वी गोल है और सूर्य के चारो और अपनी धुरी पर घूमती है.(ऋग्वेद -१ /११ /५ )
कितना महान ज्ञान था खगोल का हजारों हजारों वर्ष पहले.इसाई पंथ में जब वेदों से ज्ञान प्राप्त करके गैलिलियो ने १६२६ के आस पास यही बात बताई तो तो उस समय पोप ने उसे १० वर्ष का कारावास दिया . क्यों कि इसाई पंथ के
अनुसार सूर्य प्रथ्वी के चारो और घूमता है.
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इस्लाम मजहब में कुरआन जिसकी व्याख्या इब्नेक्सीर ने की , पारा १३,पेज २७ पर ओर पारा २७,व पेज ४८ पर की है ,दोनों ही स्थान पर प्रथ्वी को चपटा कहा गया है.१९६९ में जब आदमी चाँद पर पहुंचा और जब उसने कहा की मुझे प्रथ्वी चाँद से गोल नजर आती है , तो अरब के सुलतान फैसल ने कहा की यह बिलकुल झूठ है क्यों की कुरआन के अनुसार तो प्रथ्वी चपटी है.कुरआन के अनुसार जिसे मकतब अलाह्सनात रामपुर ने प्रकाशित किया है ,में पारा १४,सूरा १६,आयत १५ में अल्लाह की वाणी है "और उस खुदा ने धरती में अटल
पहाड़ ड़ाल दिए ताकि वह तुम्हे लेकर लुडक न जाय."कुरआन शरीफ शेरवानी लखनऊ के संस्करण में उपरोक्त आयत का अर्थ दिया है "और पहाड़ जमीन पर गाड़े गए ताकि जमीन तुम्हे एक तरफ लेकर लुढ़क न जाय."कितनी हास्यप्रद बात है कि कुरआन का अल्लाह ये भी नहीं जानता कि प्रथ्वी गोल है चपटी नहीं. और अल्लाह ने धरती पर पहाड़ क्यों बनाए इसका कुरआन में क्या उत्तर
है ,सुनकर ही मजा आता है। कुरआन में ही सूरा १८ की ८६ वि आयत के अनुसार सूर्य अस्त होने के लिए कृष्णा सागर में जाता है।अरे फिर तो रोज ही सूरज को गर्म करने के लिए करोडो टन लकड़ी रोज लगती होगी।क्यों कि कृष्ण सागर में तो डूबकर सूर्य ठंडा हो जाता होगा। वारि जाऊं मै अल्लाह के ऐसे 
ज्ञान पर और खुदाई पुस्तक कुरआन पर.वहीँ यजुर्वेद कहता है कि"यह 
भूगोल प्रथ्वी जल और अग्नि के निम्मित अर्थात उत्पन्न हुई अपनी 
कक्षा में सबकी रक्षा करने वाले सूर्य के चारों तरफ छन-छन घूमती 
है.,इसी से दिन-रात्री,ऋतु और अयन आदि काल विभाग से संभव होते हैं।
" (यजुर्वेद -३/६) "ये होता है ज्ञान."सच आपके सामने है ,आप स्वं
सोचें की क्या कुरआन के अल्लाह को इतना भी ज्ञान नहीं की प्रथ्वी गोल
है.कितकी हास्यप्रद बात है की प्रथ्वी पर पहाड़ इसलिए डाले गए कि कहीं 
वह मोहम्मद(परमात्मा उन्हें शान्ति दे) के शिष्यों को लेकर लुडक न जाए.
मित्रों देखो कही जाकिर अरे नहीं नहीं Joker कही लुड़का तो नहीं पड़ा.
किसी को मिल जाए तो मुझे जरूर बताना। ........
साभार:फेसबुक कॉपी-पेस्ट 

2 comments:

  1. Abe pandit tune kabhi quran pada h tu keh raha h k quran me surah 17 ki aarat n. 76 me suraj ke pani me doobne ki baat keh raha h nasamajh pehle dhang se dekh le fir bakbak karna samjha usme aisa koi zikar nahi hai

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  2. Ye le padh aur akal me daal me quran ka hindi translate de raha hu
    (70) और हमने आदम की सन्तान को सम्मान प्रदान किया और हमने उनको भूमि और समुद्र में सवारी दी और उनको पवित्र वस्तुओं की जीविका प्रदान की और हमने उनको अपनी बहुत सी रचनाओं पर श्रेष्ठता प्रदान की।

    (71) जिस दिन हम प्रत्येक समूह को उसके नायक के साथ बुलायेंगे। अतः जिसका कर्म-पत्र उसके दायें हाथ में दिया जायेगा वह लोग अपना कर्म-पत्र पढ़ेंगे और उनके साथ तनिक भी अन्याय नहीं किया जायेगा। (72) और जो व्यक्ति इस संसार में अन्धा रहा, वह परलोक में भी अन्धा रहेगा और वह बहुत दूर पड़ा होगा रास्ते से।

    (73) और निकट था कि यह लोग परीक्षा में डाल कर तुमको उससे हटा दें जो हमने तुमपर वह्य (सन्देश) के रूप में भेजा है, ताकि तुम उसके अतिरिक्त हमारी ओर असत्य बात का सम्बन्ध जोड़ो और तब वह तुमको अपना मित्र बना लेते। (74) और यदि हमने तुमको जमाये न रखा होता तो निकट था कि तुम उनकी ओर कुछ झुक पड़ो। (75) फिर हम तुमको जीवन और मृत्यु दोनो की दोहरी यातना चखाते। इसके बाद तुम हमारे मुकाबले में अपना कोई सहायक न पाते।

    (76) और यह लोग इस भू-भाग से तुम्हारे क़दम उखाड़ने लगे थे ताकि वह तुमको मक्का से निकाल दें। और यदि ऐसा हुआ तो तुम्हारे बाद ये भी बहुत कम ठहरने पाते। (77) जैसा कि उन सन्देष्टाओं के सम्बन्ध में हमारा नियम रहा है जिनको हमने तुमसे पहले भेजा था और तुम हमारे नियम में परिवर्तन न पाओगे।

    (78) नमाज़ स्थापित करो सूरज ढ़लने के बाद से रात के अँधेरे तक। और विशेष रूप से की कि़राअत (क़ुरआन पढ़ना)। निस्सन्देह सुबह की कि़राअत में ध्यानमग्नता होती है।

    (79) और रात को तहज्जुद (प्रभात पूर्व नमाज़) पढ़ो, यह नफ़्ल (अतिरिक्त नमाज़) है तुम्हारे लिए। आशा है कि तुम्हारा पालनहार तुमको एक प्रशंसित स्थान पर खड़ा करे।

    (80) और कहो कि ऐ मेरे पालनहार, मुझको प्रविष्ट कर सच्चा प्रवेश करना और मुझको निकाल सच्चा निकालना। और मुझको अपने पास से सहायक प्रदान कर। (81) और कहो कि सत्य आ गया और असत्य मिट गया। निस्सन्देह असत्य मिटने ही के लिए था।

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