पहले यह देश महान हुआ करता था
संसार में इसका नाम हुआ करता था
पर अब तो सब उल्टा-पुल्टा होता है
जनता भूखो मरती है,नेता सोता है
सड़ता है अनाज सभी भण्डारो में
पर भनक नहीं है सत्ता के गलियारों में
पहले श्री रामचंद्र आदर्श हुआ करते थे
रावन दुबके-छुपके घुमा करते थे
पर आज हालात बहुत बदतर हैं
राम नहीं हैं,रावन ही दर-दर हैं
सीता दुबकी हैं जंगल,झाड कछारों में
सूर्पनखा का राज सभी गलियारों में
जनता उलझी आश्वाशन के जंजालों में
नेता उलझे हैं खरबों के घोटालों में
राजा-कलमाड़ी जैसों की चांदी है
रामदेव जैसों की बर्बादी है
माया की माया में उलझी जनता है
जनता भूखी,हर तरफ पार्क बनता है
कहता राहुल-हे प्रभु,बचाओ हम सब को
बीते व्यतीत में पंहुचा दो फिर भारत को.
-राहुल पंडित
KATU SATYA
ReplyDeleteWell ...the poem is a mirror of truth.
ReplyDeleteCongrats on writing such a meaningful poem.
देश तो अब भी महान है, क्या करे सौ में से निन्यानवे बेईमान है,
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