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Tuesday, May 3, 2011

साबित हुआ पाकिस्‍तान ही आतंकियों की शरणगाह, अब बनेगा अमेरिका का निशाना?


अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन पाकिस्‍तान की राजधानी इस्‍लामाबाद से मात्र 150 किलोमीटर की दूरी पर (अबोटाबाद में) मारा गया। वह एक आलीशान हवेली में था। इससे भारत की वह बात पुख्‍ता साबित हुई है, जिसमें वह कहता रहा था कि लादेन पाकिस्‍तान में ही छिपा है। भारतीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा भी कि ओबामा के ऐलान से यह साबित हो गया कि पाकिस्‍तान ही आतंकवादियों का पनाहगार है। अब दुनिया भर को इंतजार है इस पर अमेरिका की प्रतिक्रिया की।

पाकिस्‍तान हमेशा लादेन के पाकिस्‍तान में होने की बात को गलत बताता रहा। पर अब उसकी पोल खुल गई है। आतंकवादियों को खत्‍म करने के लिए किए जाने वाले अमेरिकी ड्रोन हमले का भी पाकिस्‍तान विरोध करता रहा। तो क्‍या वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का सबसे भरोसेमंद सहयोगी बनने का दिखावा कर वास्‍तव में आतंकवादियों का साथ दे रहा था? इस सवाल पर अब अमेरिका को सोचना है।

हालांकि अमेरिकी राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने ओसामा की मौत का ऐलान करते वक्‍त पाकिस्‍तान के खिलाफ कोई बात नहीं कही, लेकिन आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले इस मुल्‍क पर अमेरिका का रुख अब निश्चित तौर पर पहले जैसा नहीं रहेगा। उन्‍होंने ओसामा की मौत के लिए जिनका शुक्रिया अदा किया, उसमें पाकिस्‍तान का नाम नहीं लेकर ओबामा ने शायद इसका संकेत दिया है।

पाकिस्‍तान को भी कुछ सूझ नहीं रहा है। शायद तभी ओसामा की मौत की खबर सार्वजनिक हो जाने के कई घंटे बाद तक भी पाकिस्‍तान का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया था। करीब दो घंटे बाद शेरी रहमान की ओर से पहली प्रतिक्रिया आई। उन्‍होंने इसे बड़ी उपलब्धि बताया और पाकिस्‍तान की आतंकवाद के प्रति सख्‍त रवैये की जीत बताया। लेकिन वह ओसामा के पाकिस्‍तान में ही होने पर कुछ ठोस नहीं बोल सकीं।

आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर अमेरिका से अरबों डॉलर पाकिस्‍तान ठग चुका है। अब शायद यह खैरात भी बंद हो और तंगी से जूझ रहे पाकिस्‍तान की माली हालत और खराब हो। अगर अमेरिका ने उसे मदद बंद कर दी तो यह भी पाकिस्‍तान पर बड़ी चोट होगी।अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने 2 साल पहले भी खुलासा किया था कि लादेन पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी कबिलाई इलाके में छिपा हो सकता है। ये वही इलाका है जहां अमेरिकी ड्रोन कहर बरपाते रहे हैं। इसके बावजूद पाकिस्‍तान ड्रोन हमले का विरोध करता रहा। ड्रोन हमले को लेकर पाकिस्‍तान-अमेरिका संबंध में पिछले कुछ समय से तनाव चरम पर आ गया था।

एक-दूसरे के मददगार

लादेन ने पिछले साल अक्‍टूबर में 24 घंटे में दो टेप जारी कर पाकिस्‍तान के बाढ़पीडि़तों के लिए मदद मांगी थी। उसने मुस्लिम राष्ट्रों को कोसते हुए कहा था कि उन्‍होंने बाढ़ पीड़ित पाकिस्तान में राहत सहायता के लिए पर्याप्त काम नहीं किया।

उधर, लादेन को अमेरिकी सेना की कड़ी सुरक्षा के बावजूद अफगानिस्‍तान से भगाने में मदद करने वालों में पाकिस्‍तानी आतंकवादी भी थे। पाकिस्‍तान के आतंकी कमांडर मौलाना नूर मोहम्मद ने उसकी मदद की थी।

आपकी राय

पाकिस्‍तान की असलियत सामने आने के बाद अब अमेरिका को क्‍या करना चाहिए? लादेन की मौत के बाद क्‍या अमेरिका की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई खत्‍म मानी जानी चाहिए? या फिर यह लड़ाई आतंकवादियों के मददगारों को खत्‍म करने तक जारी रखनी चाहिए?

4 comments:

  1. raahul bhaai post achchhi hai lekin yeh foto to frzi ghoshit ho chukaa hai yeh bhi to aek nya svaal hai akhtar khan akela kota rajsthan

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  2. बस कहना यही है की सभी आंतकी गतिविधियो को संचालित करने वालो के खिलाफ ताल ठोक देनी चाहिय

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  3. कूटनीति में बहुत सी बातें बदलती रहती हैं लेकिन जो बात कभी नहीं बदलती वो है "स्वहित" हर देश अपने हितों के हिसाब से चलता है. इसीलिए अमेरिका अपने हित में जो सही समझेगा वही करेगा. भारत को अमेरिका से कभी कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए. लेकिन भारत रखता है और हर बार निराशा को गले लगाता है. अमेरिका एक बेहद चालाक और अति-शक्तिशाली देश है जो अपने दुश्मन को कभी माफ़ नहीं करता.

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  4. एक बात और ओसामा के मारे जाने का ये मतलब कतई नहीं निकला जाना चाहिए कि आतंकवाद ख़त्म हो गया. ओसामा मरा है लेकिन उसकी विचारधारा जिंदा हैं उसके मानने वाले लाखों में नहीं बल्कि करोड़ों में हैं. वो लोग हर जगह हैं. भारत में भी हैं. जब तक उस विचारधारा पर प्रहार नहीं किया जाता तबतक कुछ नहीं हो सकता. पकिस्तान में ओसामा ने बोम्ब ब्लास्ट नहीं करवाए उस विचारधारा ने करवाएं हैं जो निर्दोष लोगों का खून बहाने में यकीन रखती है.

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