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Saturday, January 15, 2011

दिल्ली से शर्मनिरपेक्षता के दो समाचार



शीला और बुखारी के खिलाफ अवमानना की याचिका

एक रेजिडेंट्स असोसिएशन ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित और जामा मस्जिद के शाही ईमाम सैयद अहमद बुखारी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है। असोसिएशन ने कहा है कि एक अवैध मस्जिद को गिराने के बाद डीडीए ने दोबारा उस पर कब्जा कर लिया था लेकिन दोनों नेताओं ने लोगों को इस सरकारी जमीन से गुजरने और वहां नमाज अदा करने के लिए भड़काया।

जंगपुरा रेजिडेंट्स वेल्फेयर असोसिएशन ने वकील आर. के. सैनी के जरिए अपने अप्लिकेशन में शीला दीक्षित और बुखारी के अलावा मटिया महल इलाके के विधायक शोएब इकबाल और ओखला के विधायक आसिफ मोहम्मद खान के खिलाफ भी स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना कार्यवाही करने की मांग की। असोसिएशन ने आरोप लगाया, कोर्ट के आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन करने के लिए स्वत : संज्ञान लेते हुए आपराधिक कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को दिल्ली में जंगपुरा की नूर मस्जिद को रातोंरात गिराए जाने पर अक्रोश जाहिर किया है। मुलायम ने केंद्र और दिल्ली सरकार से मांग की कि धर्म से जुड़ा संवेदनशील मामला होने के कारण मुलसमानों के मौलिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कार्रवाई की जाए।

यादव ने केंद्र और कांग्रेस की दिल्ली सरकार की कड़े शब्दों में आलोचना की। मुलायम ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा सौहार्द को बिगाड़ने का काम किया है। चाहे वह अयोध्या स्थित विवादित स्थल का ताला खुलवाने का मामला हो या बाबरी मस्जिद ढहाए जाने का। बुधवार को एक बार फिर जंगपुरा स्थित नूर मस्जिद को रातोंरात गिरा दिया गया, जिससे देश के मुलसमानों में आक्रोश है।

उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के तहत मुलसमानों को अपनी भाषा और संस्कृति को सुरक्षित रखने के साथ-साथ धर्म का पालन करने का मौलिक अधिकार है। लेकिन मुलसमानों के साथ घोर नाइंसाफी की जा रही है।

नूर मस्जिद को कोर्ट के निर्देशों के आधार पर गिराए जाने के बारे में यादव ने कहा कि अगर कांग्रेस शासित सरकारों का रुख सही होता, तो यह मामला कोर्ट में जाता ही नहीं। कोर्ट का निर्णय था भी तो उसका हम देश के सभी लोग सम्मान करते हैं। लेकिन धर्म से जुड़ा मामला होने के नाते कांग्रेस सरकार की जिम्मेदारी थी कि वह बातचीत करके इस समस्या का समाधान करती।



मंदिर तोड़े जाने के विरोध में भी लोग सड़कों पर उतरे





दक्षिणी दिल्ली के साकेत के पास एक मंदिर को ढहा दिए जाने के विरोध में शनिवार को हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता सडकों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों में दिल्ली के वरिष्ठ संत भी सामिल थे। प्रदर्शन करने वालों का आरोप है कि अवैध मस्जिद तोड़ जाने के बाद भी दिल्ली की मुख्यमंत्री वहां नमाज अता किए जाते रहने की इजाजत देती हैं, वहीं मंदिर में से मूर्तियों तक को हटाने का समय नहीं दिया गया। उनका कहना है कि मूर्तियों को विखंडित करके फेंक दिया गया।

साकेत के पुष्प विहार के सेक्टर-7 में बने मंदिर को शुक्रवार को तोड़ा गया था।

वीएचपी, बजरग दल, विश्व हिंदू महासंघ, सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बीजेपी सहित अनेक हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने शेख सराय अथॉरिटी के पास वाली लाल बत्ती पर रोड को जाम करके नारेबाजी की। यहां जमा भीड़ को संबोधित करते हुए बजरंग दल के प्रांत संयोजक एडवोकेट शैलेंद्र जायसवाल ने चेतावनी दी कि यदि 7 दिन के भीतर मंदिर को फिर से नहीं बनाया गया तो बड़ा आंदोलन होगा। उन्होंने मूर्तियों को खंडित किए जाने को बहुत ही गंभीर मामला बताते हुए दोषियों को सख्त सजा देनी जाने की मांग भी दोहराई।

दिल्ली संत महामंडल के महामंत्री महंत नवल किशोर दास जी महाराज ने कहा कि दिल्ली का संत समाज मूर्तियों को खंडित किए जाने से बहुत आहत हुआ है। उन्होंने कहा कि इस धर्म विरोधी कृत्य की निंदा की जानी चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष महा मंडलेश्वर स्वामी प्रज्ञानंद जी महाराज ने कहा कि मूर्तियों को खंडित करना दिल को दुखाने वाली बात है। उन्होंने कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्वतंत्र भारत में भी हमारी सरकारें औरंगजेब की नीतियों पर चल रही हैं।

अनेक वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली की सरकार एक ओर जहां हाई कोर्ट के आदेशों के खिलाफ खुद पैरवी कर डीडीए की भूमि मस्जिद को दिलाने के लिए बेचैन है वहीं हिंदू मंदिरों को ढहाने की कार्रवाई कर रही है। वक्ताओं का कहना था कि जंगपुरा की घटना से साफ जाहिर हो गया है कि राजधानी की सरकार पहले तोड़ो, फिर बसाओ और फिर वोट पाओ की पुरानी नीति पर चल कर जनता को बांटने का काम कर रही है।

(साभार नवभारत टाइम्स)

2 comments:

  1. पता नहीं लोगों को कब समझ आयेगी..

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  2. इस पूरे मामले में दिल्ली सरकार का रवैया निहायत ही पक्षपातपूर्ण है। पहले वाले मामले में कोर्ट का भी अपमान हुआ है। धर्म के नाम पर राजनीति कर लोगों को भड़काने वाले मुलायम का हाल एक दिन कॉंग्रेस के अर्जुन सिंह जैसा होग। एक दिन इसे कुत्ते भी नहीं पूछेंगे। बुखारी,जैसे लोगों के बारे में क्या कहूँ? धार्मिक संकीर्णता की सारी हदें पार दी है ऐसे लोगों ने।

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