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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Monday, January 10, 2011

मासूम राजू की दिल को छूने वाली चुटकियाँ

सुबह-सुबह राजू मंदिर पूजा करने निकला.पापा बोले
- "कहाँ जा रहे हो राजू सुबह सुबह नहा धोकर?"
- "मंदिर जा रहा हूँ पापा पूजा करने."
- "रुक जा अभी २ मिनट."
(पापा घर में से एक सफ़ेद टोपी लाकर राजू को पहना देते हैं)
- "पापा ये क्या पहना रहे हैं?मई मुसलमान थोड़े ही हूँ."
- "जनता हूँ पगले.तेरा बाप हूँ.पूरे देश में हिन्दू आतंकवाद का हल्ला मचा हुआ है और मंदिर के रस्ते में राहुल गाँधी कई सभा भी है.जा रस्ते में कोई बड़ा मिले तो अत-सलाम-वालेकुम बोल देना."


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"राजू,बेटा स्कूल से वापस क्यों चला आया."
"पापा मुझे नहीं पढना है."
"मुरख,पढ़ेगा नहीं तो क्या करेगा?नौकरी नहीं मिलेगी.भूखा मरेगा."
"भूखा मरे मेरा बाप.मई तो कश्मीर जाऊंगा.लोगों के साथ सेना के जवानों को चक्का मरूँगा.एक दो को टपकाउंगा.थोडा बहुत खुद को चोट लगा लूँगा.सर्कार ५ लाख देगी .ऐश करूँगा."


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"राजू बेटा ,तेरी गर्मी की छुट्टियाँ हो रही हैं.चलेगा मेरे साथ कश्मीर घुमने.?"
"क्या पापा,झूठे सपने दिखाते हो.पागल समझ रखा है क्या?"
"क्या हुआ रे,सही हम जा रहे हैं दोस्तों के साथ."
"पापा मई तो छह के भी नहीं जा सकता.पासपोर्ट नहीं है मेरे पास,और आप भी खुश मत होइए,आप भी नहीं जा पाएंगे.उमर अब्दुल्ला ने अब भारतीयों के लिए वीजा देना बंद कर दिया है.अब लाल चौक पर पाकिस्तान का झंडा लगाने वाले हैं."


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(राजू दौड़ता हफ्ता घर के अन्दर आता है)
"क्या हुआ बेटा राजू?इतना घबराये हुए क्यूँ हो?"
"पापा बाहर आतंकवादी खड़ा है और आपको बुला रहा है."
"आतंकवादी?"(पापा बाहर आते हैं.)
"पापा पहचाना नहीं इनको ,अपने गुरूजी हैं."
"पर इन्होने तो भगवा कपडा पहन रखा है."

5 comments:

  1. आदरणीय राहुल पडित जी
    वंदे मातरम् !

    पहली बार पहुंचा हूं आपके ब्लॉग पर …
    चुटकियों में अंतर्निहित सच के लिए साधुवाद !

    ब्लॉग पर बहुत महत्वपूर्ण सामग्री के लिए भी आभार !

    ~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~

    शुभकामनाओं सहित
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. श्री राजेन्द्र जी से सहमत हूँ। आपने सच्चाई को चुटकीयों के माध्यम से अपनी बात रखी है। आपकी बात पसन्द आई।

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  3. राहुल जी.... आपको मकर संक्रांति के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  4. आपका यह निराला रूप देख कर आनंदित हुआ, पर इस रूप मे भी शेर ने घास नही खाया यह देख कर और भी आनंद आया।

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