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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Thursday, November 18, 2010

मै पीडावों का गायक हूँ

कल तुम मेरा नाम पढोगे
इथिहासो के शिला लेख पर
जिनके पैरो में छाले है
मै उन की आँखों का जल हूँ

मै पीडावों का गायक हूँ
शब्दों का व्यपार नहीं हूँ
जहाँ सभी चीजे बिकती हैं
मै वैसा बाज़ार नहीं हूँ

मुझ पर प्रश्न चिनः मत थोपो
कुंठित व्याकरणि पैमानों
मुझको राम कथा सा पढ़िए
बहुत सहज हूँ बहुत सरल हूँ

मेरा मोल लगाने बैठे
है कुछ लोग तिजोरी खोले
धरतीपर इतना धन कब है
जो मेरी खुद्दारी तौले

राजभवन के कालीनो पर
मेरे ठोकर चिन्न मिलेगे
मै आंसू का ताज महल हूँ
झोपड़ियों का राजमहल हूँ

जब से मुझको नील कंठनी
कलम विधाता ने सौपी है
तन में काशी वृन्दावन है
मन में गंगा की कल कल हूँ

दरबारों की मेहरबानियाँ
जड़ भी चतुर सुजान ओ गए
जुगनू विरुदावालियाँ गाकर
साहित्यिक दिनमान हो गए

मै डर कर अभिनन्दन गाऊं
इससे अच्छा मर जाऊं
मै सागर का का क़र्ज़
चुकाने वाला आवारा बादल हूँ
(हर-हर महादेव
(एक देशभक्त की रचना)

7 comments:

  1. मेरा मोल लगाने बैठे
    है कुछ लोग तिजोरी खोले
    धरतीपर इतना धन कब है
    जो मेरी खुद्दारी तौले

    व!ह .....

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  2. दरबारों कि मेहरबानियाँ
    जड़ भी चतुर सुजान हो गए
    जुगनू विरुदावलियाँ गाकर
    साहित्यिक दिनमान हो गए

    मै डरकर अभिनन्दन गाऊँ, इससे से अच्छा है मर जाऊं
    मै सागर का क़र्ज़ चुकाने वाला आवारा बदल हूँ |

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  3. प्रेरणादायी कविता ,आभार .

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  4. धरती पर इतना धन कब है............
    आत्मीय कविता के लिए साधुवाद

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  5. aapke blog ko dekha bahut hi achchha prayas hai, jai shri ram.

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  6. बहुत खूब ......बहुत ही सुंदर कविता.

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