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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Saturday, October 30, 2010

नमन है




आन बान शान और स्वाभिमान की मशाल जलिया वाला बाग के शिकारों को नमन है
शांति अंहिंसा के हथियारों को नमन और क्रांति के गगन के सितारों को नमन है
तो बलदानी स्वरों की पुकारो को नमन और लाला जी के पीठ के प्रहारों को नमन है
तुम मुझे खून दो और मै तुमे आज़ादी दूंगा दिल्ली चलो वाली ललकारों को नमन है
जश्ने आज़ादी आवो मिल के मनाये सभी चाहे होली खेलिए दिवाली भी मनाईये
मंदिरों कि आरती या मस्जिदों कि हो अजान चाहे एईद पैर सब को गले लगाईये
बेटे बटियों कि या फिर दौलत कि चाह यारो ख्वाब इन आँखों में हजारो आप सजायिये
कुर्बानियों से जिनकी ये बस्तियां आबाद शहीदों कि याद नहीं दिल से भुलाइये
आन बान शान और स्वाभिमान कि मशाल क्रांति चेतना कि अंगड़ाई को नमन है
काल के कराल भाल जिस पे तिलक किया उस पुण्य लहू कि ललाई को नमन है
तो झाँसी राज्य वंश कि कमाई को नमन और अमर स्वरों कि शहनाई को नमन है
और चिड़िया कि बाज़ से लड़ाई को नमन रानी लक्ष्मी बाई शौर्य तरुणाई को नमन है
पञ्च प्यारे और बंदा बैरागी की शहादत गुरु ग्रन्थ साहिब की वाणी को नमन है
कंधार की रण भूमि में जो देश हित लड़े नौजवान बेटो की जवानी को नमन है
सर हिंद की दिवार में जो जिन्दा चुने गए उन वीर पुत्रो की निशानी को नमन है
एक को लडावो सवा लाख से था उद्घोष गोविन्द की पावन कहानी को नमन है
गुरु तेग बहादुर को शत शत नमन !!!!
(हर-हर महादेव
(एक देशभक्त की रचना)

3 comments:

  1. बेटे बटियों कि या फिर दौलत कि चाह यारो , ख्वाब इन आँखों में हजारो आप सजायिये ;


    बहुत सुन्दर भाव है इस कविता में , बधाई !

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