स्वागतम ! सोशल नेटवर्किंग का प्रयोग राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए करें.

Free HTML Codes

अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Friday, October 22, 2010

इमाम बुखारी के लिए इमान से बड़ा है दीन-तब कैसे हो दोस्ती?



अयोध्या- खसरा-खतौनी में झगड़े वाली जमीन वर्ष 1528 से राजा दशरथ के नाम पर दर्ज है – इस सवाल पर- शाही इमाम ने की पत्रकार की जमकर पिटाई की

दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी तथा उनके समर्थकों ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के गत 30 सितंबर के फैसले के बारे में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार की जमकर पिटाई की।यह घटना उस समय हुई जब एक उर्दू अखबार के पत्रकार मोहम्मद अब्दुल वाहिद चिश्ती ने बुखारी से अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सवाल पूछा और इस बात पर उनका रुख जानना चाहा कि खसरा-खतौनी में झगड़े वाली जमीन वर्ष 1528 से राजा दशरथ के नाम पर दर्ज है और उसके बाद वहां बाबरी मस्जिद बनी है। शुरुआत में तो शाही इमाम ने सवाल को टालने की कोशिश की लेकिन पत्रकार के बार-बार पूछने पर बुखारी और उनके समर्थक आपा खो बैठे और पत्रकार पर झपट पड़े।बुखारी ने चिल्लाते हुए कहा कि इस आदमी को प्रेस कांफ्रेंस से बाहर ले जाओ यह कांग्रेस का एजेंट है। उन्होंने पत्रकार से कहा कि बेहतर होगा कि तुम अपना मुंह बंद रखो। तुम्हारे जैसे गद्दारों की वजह से ही मुसलमानों का अपमान हुआ है।बाद में, चिश्ती ने आरोप लगाया कि बुखारी अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अपने भड़काऊ बयानों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इल्जाम लगाया कि मैंने सिर्फ वर्ष 1528 के भू अभिलेखों में विवादित जमीन के राजा दशरथ के नाम पर दर्ज होने के बारे में बुखारी की राय जाननी चाही थी लेकिन इस पर वह आपा खो बैठे और उन्होंने तथा उनके समर्थकों ने मुझे पीटा।चिश्ती ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले से ऐन पहले तक बुखारी यह कह रहे थे कि अदालत का निर्णय सभी को स्वीकार्य होगा लेकिन फैसला आने के बाद उनके सुर बदल गए और उन्होंने निर्णय के खिलाफ भड़काऊ बयान देना शुरू कर दिया। वह देश में अमन-चैन कायम नहीं रहने देना चाहते। वह मुल्क में दंगे भड़काना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश की एकता और सौहार्द के लिए जरूरी है कि अगर वह जमीन राजा दशरथ के नाम पर दर्ज है तो उसे हिंदुओं को सौंप दिया जाए।इसके पूर्व, बुखारी ने संवाददाताओं से कहा कि अयोध्या मामले पर हाई कोर्ट का फैसला पूरी तरह आस्था पर आधारित है और मुसलमान कौम उसे मंजूर नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत ने संविधान, कानून और इंसाफ के दायरे से बाहर जाकर वह फैसला दिया है।शाही इमाम ने कहा कि शरई नुक्तेनजर से इस मसले का बातचीत के जरिए हल निकलने की कोई गुंजाइश ही नहीं है।बुखारी ने दावा किया कि शरीयत के मुताबिक किसी मस्जिद को मंदिर में तब्दील करने के लिए बातचीत करना या आमराय बनाना हराम है। उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए अयोध्या मसले का हल नहीं निकलेगा और इस मुकदमे से जुड़े मुसलमानों के पक्ष में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए।अयोध्या विवाद के मुद्दई हाशिम अंसारी द्वारा बातचीत के जरिए मसले की हल की कोशिश किए जाने पर बुखारी ने कहा कि वह अंसारी को गम्भीरता से नहीं लेते क्योंकि वह बार-बार अपने बयान बदलते हैं।शाही इमाम ने अयोध्या विवाद का बातचीत के जरिए हल निकालने की वकालत कर रहे उलेमा को भी आड़े हाथ लिया।लखनऊ। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी तथा उनके समर्थकों ने गुरुवार को अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के गत 30 सितंबर के फैसले के बारे में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार की जमकर पिटाई की। यह घटना उस समय हुई जब एक उर्दू अखबार के पत्रकार मोहम्मद अब्दुल वाहिद चिश्ती ने बुखारी से अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सवाल पूछा और इस बात पर उनका रुख जानना चाहा कि खसरा-खतौनी में झगड़े वाली जमीन वर्ष 1528 से राजा दशरथ के नाम पर दर्ज है और उसके बाद वहां बाबरी मस्जिद बनी है। शुरुआत में तो शाही इमाम ने सवाल को टालने की कोशिश की लेकिन पत्रकार के बार-बार पूछने पर बुखारी और उनके समर्थक आपा खो बैठे और पत्रकार पर झपट पड़े। बुखारी ने चिल्लाते हुए कहा कि इस आदमी को प्रेस कांफ्रेंस से बाहर ले जाओ यह कांग्रेस का एजेंट है। उन्होंने पत्रकार से कहा कि बेहतर होगा कि तुम अपना मुंह बंद रखो। तुम्हारे जैसे गद्दारों की वजह से ही मुसलमानों का अपमान हुआ है। बाद में, चिश्ती ने आरोप लगाया कि बुखारी अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अपने भड़काऊ बयानों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इल्जाम लगाया कि मैंने सिर्फ वर्ष 1528 के भू अभिलेखों में विवादित जमीन के राजा दशरथ के नाम पर दर्ज होने के बारे में बुखारी की राय जाननी चाही थी लेकिन इस पर वह आपा खो बैठे और उन्होंने तथा उनके समर्थकों ने मुझे पीटा। चिश्ती ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले से ऐन पहले तक बुखारी यह कह रहे थे कि अदालत का निर्णय सभी को स्वीकार्य होगा लेकिन फैसला आने के बाद उनके सुर बदल गए और उन्होंने निर्णय के खिलाफ भड़काऊ बयान देना शुरू कर दिया। वह देश में अमन-चैन कायम नहीं रहने देना चाहते। वह मुल्क में दंगे भड़काना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश की एकता और सौहार्द के लिए जरूरी है कि अगर वह जमीन राजा दशरथ के नाम पर दर्ज है तो उसे हिंदुओं को सौंप दिया जाए। इसके पूर्व, बुखारी ने संवाददाताओं से कहा कि अयोध्या मामले पर हाई कोर्ट का फैसला पूरी तरह आस्था पर आधारित है और मुसलमान कौम उसे मंजूर नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत ने संविधान, कानून और इंसाफ के दायरे से बाहर जाकर वह फैसला दिया है। शाही इमाम ने कहा कि शरई नुक्तेनजर से इस मसले का बातचीत के जरिए हल निकलने की कोई गुंजाइश ही नहीं है। बुखारी ने दावा किया कि शरीयत के मुताबिक किसी मस्जिद को मंदिर में तब्दील करने के लिए बातचीत करना या आमराय बनाना हराम है। उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए अयोध्या मसले का हल नहीं निकलेगा और इस मुकदमे से जुड़े मुसलमानों के पक्ष में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए। अयोध्या विवाद के मुद्दई हाशिम अंसारी द्वारा बातचीत के जरिए मसले की हल की कोशिश किए जाने पर बुखारी ने कहा कि वह अंसारी को गम्भीरता से नहीं लेते क्योंकि वह बार-बार अपने बयान बदलते हैं। शाही इमाम ने अयोध्या विवाद का बातचीत के जरिए हल निकालने की वकालत कर रहे उलेमा को भी आड़े हाथ लिया। लखनऊ। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना अहमद बुखारी तथा उनके समर्थकों ने गुरुवार को अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ के गत 30 सितंबर के फैसले के बारे में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार की जमकर पिटाई की। यह घटना उस समय हुई जब एक उर्दू अखबार के पत्रकार मोहम्मद अब्दुल वाहिद चिश्ती ने बुखारी से अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सवाल पूछा और इस बात पर उनका रुख जानना चाहा कि खसरा-खतौनी में झगड़े वाली जमीन वर्ष 1528 से राजा दशरथ के नाम पर दर्ज है और उसके बाद वहां बाबरी मस्जिद बनी है। शुरुआत में तो शाही इमाम ने सवाल को टालने की कोशिश की लेकिन पत्रकार के बार-बार पूछने पर बुखारी और उनके समर्थक आपा खो बैठे और पत्रकार पर झपट पड़े। बुखारी ने चिल्लाते हुए कहा कि इस आदमी को प्रेस कांफ्रेंस से बाहर ले जाओ यह कांग्रेस का एजेंट है। उन्होंने पत्रकार से कहा कि बेहतर होगा कि तुम अपना मुंह बंद रखो। तुम्हारे जैसे गद्दारों की वजह से ही मुसलमानों का अपमान हुआ है। बाद में, चिश्ती ने आरोप लगाया कि बुखारी अयोध्या मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अपने भड़काऊ बयानों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इल्जाम लगाया कि मैंने सिर्फ वर्ष 1528 के भू अभिलेखों में विवादित जमीन के राजा दशरथ के नाम पर दर्ज होने के बारे में बुखारी की राय जाननी चाही थी लेकिन इस पर वह आपा खो बैठे और उन्होंने तथा उनके समर्थकों ने मुझे पीटा। चिश्ती ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले से ऐन पहले तक बुखारी यह कह रहे थे कि अदालत का निर्णय सभी को स्वीकार्य होगा लेकिन फैसला आने के बाद उनके सुर बदल गए और उन्होंने निर्णय के खिलाफ भड़काऊ बयान देना शुरू कर दिया। वह देश में अमन-चैन कायम नहीं रहने देना चाहते। वह मुल्क में दंगे भड़काना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश की एकता और सौहार्द के लिए जरूरी है कि अगर वह जमीन राजा दशरथ के नाम पर दर्ज है तो उसे हिंदुओं को सौंप दिया जाए। इसके पूर्व, बुखारी ने संवाददाताओं से कहा कि अयोध्या मामले पर हाई कोर्ट का फैसला पूरी तरह आस्था पर आधारित है और मुसलमान कौम उसे मंजूर नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि अदालत ने संविधान, कानून और इंसाफ के दायरे से बाहर जाकर वह फैसला दिया है। शाही इमाम ने कहा कि शरई नुक्तेनजर से इस मसले का बातचीत के जरिए हल निकलने की कोई गुंजाइश ही नहीं है। बुखारी ने दावा किया कि शरीयत के मुताबिक किसी मस्जिद को मंदिर में तब्दील करने के लिए बातचीत करना या आमराय बनाना हराम है। उन्होंने कहा कि बातचीत के जरिए अयोध्या मसले का हल नहीं निकलेगा और इस मुकदमे से जुड़े मुसलमानों के पक्ष में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए। अयोध्या विवाद के मुद्दई हाशिम अंसारी द्वारा बातचीत के जरिए मसले की हल की कोशिश किए जाने पर बुखारी ने कहा कि वह अंसारी को गम्भीरता से नहीं लेते क्योंकि वह बार-बार अपने बयान बदलते हैं। शाही इमाम ने अयोध्या विवाद का बातचीत के जरिए हल निकालने की वकालत कर रहे उलेमा को भी आड़े हाथ लिया।

2 comments: