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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Friday, August 18, 2017

आपके आशीर्वाद के साथ पुनरागमन

सादर प्रणाम
लगभग २ वर्षों बाद एक बार फिर से ब्लॉगिंग की दुनिया में कदम रख रहा हूँ.ये सच है की जिंदगी जीने की जद्दोज़हद में आपको कभी कभी अपनी सबसे प्यारी इच्छाओं की आहुति देनी पड़ती है.ये बीते हुए २ साल शायद उन्ही में से एक हैं. कैंसर जैसे जानलेवा बिमारी को हारने के बाद और अपने आप को दाल रोटी चलाने के योग्य बनाने के बाद एक बार फिर कलम ने आग उगलने की ठानी है. फिर से गद्दारों को गद्दार कहने और सच्चाई से लोगों को रूबरू कराने की कोशिश शुरू करने जा रहा हूँ. आप सभी बड़ों और छोटों के आशीर्वाद से ही यह संभव हो सकता है. अपना आशीष दें.
जय माँ भारती. वन्देमातरम.

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