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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Friday, June 22, 2012

क्या हिन्दुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?

मित्रों,आज सेकुलरवाद की हवा चली है.ज्यादातर स्वार्थी हिन्दू नेता अपनी  चमड़ी खुरच खुरच कर खुद को सेकुलर वाद के नए चोले से ढकने में लगे हैं.आपको क्या लगता है नितीश कुमार,मुलायम,लालू,पासवान,कांग्रेसी सारे हिन्दुओं के अधिकारों को रौदते हुए,मुस्लिम परस्त नहीं हो रहे हैं?नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकते,क्योंकि वो हिन्दुओं के बारे में भी सोचते हैं,अराजक तत्वों से शख्ती से निपटते हैं.इसमें कुछ हद तक हमारी भी गलती है वर्ना जिस देश में 84% हिन्दू रहते हैं उस देश में कोई कैसे कह सकता की हिंदूवादी प्रधानमंत्री नहीं बन सकता.
आखिर धर्मनिरपेक्षता क्या है.हिन्दुओं के विरुद्ध बोलना धर्मनिरपेक्षता है या मुसलमानों की तरफ से बोलना धर्मनिरपेक्षता है?
मै मुसलमानों का विरोधी नहीं हूँ और हिन्दुवाद से पहले मेरे लिए राष्ट्रवाद है लेकिन उन तमाम शर्मनिरपेक्ष नेताओं से पूछना चाहता हूँ -
-अगर आप गुजरात की बात करते हैं तो गोधरा क्यों भूल जाते हैं?अगर गोधरा नहीं होता तो गुजरात कभी भी नहीं होता.
-जब कश्मीर से १० लाख हिंदूं विस्थापित होकर अपने ही देश में शरणार्थी बन गए तो इन शर्मनिरपेक्ष नेताओं को क्या साप सूंघ गया था.इनकी हलक से तब भी आवाज़ नहीं निकली और आज भी नहीं निकलती है.
-जब १९८४ में हजारों शिक्ख मारे गए तो क्या ये शर्मनिरपेक्ष नेता सो रहे थे.आज तक सारे दोषी मजे से घूम रहे हैं,इनको सजा दिलवाने के लिए अपने शर्मनिरपेक्ष छवि का इस्तमाल क्यों नहीं करते?
-अगर एक दंगे की वजह से नरेन्द्र मोदी सांप्रदायिक हैं तो क्या कोसीकला के दंगे के बाद अखिलेश यादव,राजस्थान में दंगे के बाद अशोक गहलोत, ब्रह्मेश्वर मुखिया के हत्या के बाद भड़के दंगे के बाद नितीश कुमार,१९८४ के दंगे के बाद कांग्रेस,कारसेवकों पर सरेआम गोली चलवाने वाले मुलायम सिंह जैसे नेता क्या हैं?
-क्या हज यात्रा पर सब्सिडी और अमरनाथ यात्रा पर टैक्स धर्मनिरपेक्षता है?
-क्या बतला हाउस में मारे गए आतंकवादियों के लिए सोनिया गाँधी का रोना,कसाब,अफ़ज़ल  गुरु जैसे आतंकवादियों को दामाद की तरह पालना वोट की राजनीती नहीं धर्मनिरपेक्षता है?
-भारत माता को डायन कहने वाला समाजवादी पार्टी का नेता आज़म खान देशद्रोही नहीं सेकुलर देशभक्त है?
-संबिधान की मर्यादाओं को तोड़ते हुए मुसलमानों के लिए ४.५% आरक्षण की ब्यवस्था करने वाले(जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी अवैध बताया) वोट बैंक की राजनीती करने वाले नहीं सेकुलर हैं?

ऐसे तमाम सवाल मेरे दिल में उठते हैं और मै इनका जवाब धुधने की कोशिश भी करता हूँ, एक ही उत्तर दिल से निकलता है-
क्या हिन्दुस्तान में हिन्दू होना गुनाह है?
 

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