स्वागतम ! सोशल नेटवर्किंग का प्रयोग राष्ट्रवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार के लिए करें.

Free HTML Codes

अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Monday, June 28, 2010

ईसाइयत पर भारत के महापुरुषों द्वारा दिए गए क्रातिकारी विचार


स्वामी विवेकानन्द
आप मिशनरियों को शिक्षा कपड़े और पैसे क्या इसलिए देते हैं कि वे मेरे देश में आकर मेरे सभी पूर्वजों को मेरे देश में आकर मेरे सभी पूर्वजों को, मेरे धर्म को और जो भी मेरा है , उस सब को गालियां दें, भला बुरा कहें । वे मंदिर के सामने खड़े होकर कहते हैं ऐ ! मूर्तिपूजकों तुम नकर में जाओगे, लेकिन हिन्दुस्तान के मुसलमानों से ऐसी ही बात करने की उनकी हिम्मत इसलिए नहीं होती कि कहीं तलवारें न खिंच जाएं ............................. और आपके धर्माधिकारी जब भी हमारी आलोचना करें, तब वे यह भी ध्यान रखें कि यदि सारा हिन्दुस्तान खड़ा होकर सम्पूर्ण हिन्द महासागर की तलहटी में पड़े कीचड़ को पश्चिमी देशों पर फेंके, तो भी अन्याय के अंश मात्र का ही परिमार्जन होगा जो आप लोग हमारे साथ कर रहे हैं ।
डेट्राइट में ईसाइयों की एक सभा में बोलते हुए

बाबा साहब भीम राव अंबेडकर
यह एक भयानक सत्य है कि इसाई बनने से अराष्ट्रीय होते हैं ।साथ ही यह भी सत्य है कि इयाईयत, मतान्तरण के बाद भी जातिवाद नहीं मिटा सकती ।
राइटिंग एण्ड स्पीचेज वाल्यूम 5 पृष्ठ 456

पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन
तुम्हारा क्राइस्ट तुम्हें एक उत्तम स्त्री और पुरुष बनाने में सफल न हो सका, तो हम कैसे मान लें कि वह हमारे लिए अधिक प्रयास करेगा, यदि हम इसाई बन भी जाएं ।

गुरूदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर
ईसाई व मुसलमान मत अन्य सभी को समाप्त करने हेतु कटिबद्ध हैं । उनका उद्देश्य केवल अपने मत पर चलना नहीं है अपितु मानव धर्म को नष्ट करना है
पृष्ठ रवीन्द्र नाथ वाडमय २४ वां खण्ड पृष्ठ २७५ , टाइम्स आफ इंडिया १७-०४-१९२७ , कालान्तर

मोहनदास करम चन्द्र गांधी
यदि वे पूरी तरह से मानवीय कार्यों तथा गरीबों की सेवा करने के बजाय डाक्टरी सहायता, शिक्षा आदि के द्वारा धर्म परिवर्तन करेगें, तो मैं निश्चय ही उन्हें चले जाने को कहूंगा । प्रत्येक राष्ट्र का धर्म अन्य किसी राष्ट्र के धर्म के समान ही श्रेष्ठ है । निश्चय ही भारत का धर्म यहां के लोगों के लिए पर्याप्त है । हमें धर्म परिवर्तन की आवश्कता नहीं ।
गांधी वाङ्मय खण्ड ४५ पृष्ठ ३३९

जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती कांची कामकोटि पीठ
एशिया में ईसाइयत के लिए कोई जगह नहीं है । हिन्दू धर्म को जो खतरा उत्पन्न करेगा, वह खुद खत्म हो जाएगा

1 comment:

  1. अच्छी पोल कोली आपने मानबता विरोधी धर्मांतरण समर्थक इसाई आतंकवादियों व गद्दार मुसलिम आतंकवादियों की।

    ReplyDelete