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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Thursday, June 24, 2010

प्रार्थना


हे सत्य सिन्धु सदगुणों के सागर
तेरी भक्ति को मै पाकर
दीन जानो का रक्षक बनकर
तेरे नियमों में ही रहकर
मुझको दो आशीर्वाद प्रभु
अपना कर्तव्य निभाऊ मै
सच्चा हिन्दू कहलाऊ मै
दो यह आशीष,न झुके शीश
मरने का उर में न डर हो
कर्त्तव्य लक्ष,साहस ही मित्र
लोगों का ह्रदय मेरा घर हो
मै वीर महा रणधीर बनू
लेकिन न सस्त्र हाथों में हो
मै सच्चाई को बोल सकूँ
पर कटुता न बातों में हो
हिंदी मेरी भाषा हो
हिन्दू मेरा धर्म रहे
हो भारत मेरी कर्मभूमि
हिंदुत्व की रक्षा कर्म रहे
बन आदि धर्म का सेवक मै
तेरी चरणों में पड़ा रहूँ
जो दया-प्रेम सिखलाते हैं
उनको मै सतत प्रणाम करूँ

-राहुल पंडित

2 comments:

  1. सादर वन्दे !
    ईश्वर करें आपकी इच्छा पूर्ण हो |
    वन्देमातरम

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  2. भगवान हिन्दूओं को आपकी मनोकामना पूरी करने की सदबुद्धि दे।

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