अपनी धरती-अपना अम्बर
अपनी नदियाँ-अपना सागर
अपना प्यारा भारत महान
मुह से बोलो अब जय श्री राम
करुनानिधान का महासेतु
जिसको श्रीराम ने बनवाया
बानर रीछो से शिला मंगा
नल-नील दे जिसको जुड्वाया
हम हिन्दू जिसके पूजक हैं
जिसकी महिमा जग न्यारी है
कलयुग के रावन के सह पर
उसको तोड़ने की तैयारी है
इससे पहले हो महाप्रलय
करुनानिधान हमसे रूठे
आस्था पर चोट करे पापी
"करूणानिधि" द्वारा पुल टूटे
हिन्दू जागो,लो खड्ग संग
कर पापी का अभिमान भंग
भगवा झंडा-भगवा पगड़ी
ले अस्त्र-शस्त्र शुरू करो जंग.
-राहुल पंडित
वाह क्या दमदार कविता है......
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विलुप्त होती... .....नानी-दादी की पहेलियाँ.........परिणाम..... ( लड्डू बोलता है....इंजीनियर के दिल से....)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html
जय श्री राम!
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