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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Thursday, March 25, 2010

रामसेतु की कहानी


त्रेता युग में धरती पर जब
राक्षस कुल का उत्पात हुआ
ऋषिओं में व्याकुलता छाई
धरती को भी संताप हुआ
ले साथ पूज्य देवों को तब
वह श्री विष्णू के पास गयी
वसुधा पर असुर कुशाशन का
रो-रो कर सब वृतांत कही
"हे दया सिन्धु अवनी पर अब
असुरों का शाशन चलता है
स्त्री,गोउ, ब्रह्मण की हत्या
हर जगह निशाचर करता है
करुनानिधन करुना करके
हम सब का अब उद्धार करो
धर्म राज्य स्थापित कर
मेरा सारा संताप हरो"
सुन करुण विनय अवनी का तब
करूणानिधि ने हुँकार किया
कर दूंगा धरती असुरहीन
सब लोगों को यह वचन दिया
फिर लिया जन्म धरती पर तब
दशरथ को सुत सौभाग्य मिला
अयोध्या में खुशियाँ छायीं
असुरों का सब साम्राज्य हिला
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हो गया शुरू फिर महासमर
श्रीरामचन्द्र का असुरों से
हो गया अंत राक्षस कुल का
तब सारे ही भारत भू से
असुरों का राजा रावण था
जो लंकापुर में रहता था
बैठे-बैठे लंकापुर से
धरती पर शाशन करता था
श्रीराम चले तब लंका को
ले सेना बानर रीछ्हों की
बनवाया सागर में सेतु
मिट गयी दूरियां बीचों की
फिर युद्धभूमि में रावण भी
श्रीरामचंद्र से हारा था
रावण संग सारे असुरों को
श्रीरामचंद्र ने मारा था
धरती का फिर उत्थान हुआ
सब धर्म-कर्म फिर शुरू हुए
वेदों के मंत्र गूंजने लगे
पूजनीय गोउ-गुरु हुए
**************************

रावन संहार्थ जो महासेतु
श्रीरामचंद्र ने बनवाया
कलयुग के बढे राक्षसों से
उसपर भारी संकट आया
होगा विकाश,समृद्ध राष्ट्र
कहकर राक्षस चिल्लाएं हैं
हिंदुत्व कुचलने के खातिर
सब सीने पर चढ़ आये हैं
तुडवाने को श्रीराम सेतु
राक्षस कुल ने उत्पात किया
हिन्दू राष्ट्र भारत में रह
हिंदुत्व रक्त का घड़ा पिया
कहते हैं राम कल्पना हैं
रामायण केवल सपना है
दुनिया चाहे जो कुछ बोले
श्रीराम सेतु टूटना है
कुछ राक्षस कलम उठा करके
नयी रामायण लिखते हैं
श्रीराम को मदिरा का सेवक
कमी-लोभी तक कहते हैं
"करूणानिधि" रावन सा बनकर
हर तरफ यही चिल्लाया है
राम एक व्यभिचारी था
यह सेतु नहीं बनवाया है
समझो हिंदुत्व के रखवालों
चाल हिंदुत्व कुचलने की
लो खड्ग हाथ,सब साथ-साथ
यह समय रामेश्वर चलने की
मुह से अब जय श्रीराम कहो
".........."का गर्दन काटो
राक्षस कुल के "...." से अब
यह सारा समरभूमि पाटो
हर हिन्दू बन श्रीरामचंद्र
कर धनुष-बन-तरकस लेकर
धर्मार्थ कार्य अब निकल पड़ो
अरमानो की आहुति देकर
यह सही समय है रामहेतु
सब कुछ न्योछावर करने का
श्रीराम हेतु कर धनुष लिए
युद्धभूमि में बढ़ने का
यह वक्त न आयेगा फिर से
निकलो अब सब अपने घर से
कर दी हमला ऐसा प्रचंड
हो जाये सत्रु खंड-खंड
केवल यह है संबाद नहीं
केवल यह है उन्माद नहीं
यह राष्ट्र धर्म है स्रेस्थ धर्म
इसपर कोई विवाद नहीं
-राहुल पंडित

1 comment:

  1. अति उतम प्रयास
    आजकल के हालात को देखकर लगता है आसुरों(आतंकवादियों व उनके समर्थकों) का अंतिम समय पास आ रहा है

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