Friday, October 15, 2010
हे आर्यपुत्र फिर से जग जा
हे आर्यपुत्र फिर से जग जा,
अपनी अवनी चीत्कार रही
हे वीर पुत्र कोदंड उठा,
धरती माता पुकार रही
बन खंडपरशु ,बन भृगुनंदन,
ले परशु हाथ,आ चल रण में
संधान दुबारा वह नराच,
दुश्मन जिससे थर-थर कापे
दे त्याग विदेहन की इच्छा,
शिव से वह उत्तमगाथ मांग
जिससे तम मिट जाये जग का,
विमलापति से वह हास मांग
फिर छेड़ समर भारत भू पर,
असुरों को मार भगा दे तू
भारत!भारत को भारत कर,
रावन लंका पंहुचा दे तू
तू अर्जुन बन गांडीव उठा,
दिखला दे इस कौरव दल को
पूरा भारत कुरुक्षेत्र बना,
सिखला दे इस राक्षस बल को
बन वीर शिवाजी मुगलों को,
अतीत की झलक दिखा दे तू
बन भगत सिंह बन्दूक उठा,
खुद की पहचान बता दे तू
तू रामचन्द्र,तू ही शंकर,
तू अन्धकार को तरनी है
तू सत्य सनातन का रक्षक,
ये भारत तेरी जननी है
तुझपर इसके अहसान बड़े,
हे आर्य पुत्र तू समझ इसे
इसकी रक्षा से रक्षा है,
हे वीर पुत्र अब रण कर दे
-राहुल पंडित
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har har mahadev
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