Monday, October 11, 2010
उठाकर धर्म का झंडा करें उत्थान भारत का
बने हम हिंद के योगी धरेंगे ध्यान भारत का
उठाकर धर्म का झंडा करें उत्थान भारत का
गले में शील की माला,पहन कर ज्ञान की कफनी
पकड़कर त्याग का झन्डा,रखेंगे मान भारत का
बने हम हिंद के योगी धरेंगे ध्यान भारत का
उठाकर धर्म का झंडा करें उत्थान भारत का
जलाकर कष्ट की होली,उठाकर इष्ट की झोली
बनाकर संत की टोली,करे उत्थान भारत का
बने हम हिंद के योगी धरेंगे ध्यान भारत का
उठाकर धर्म का झंडा करें उत्थान भारत का
स्वरों में तान भारत की,है मुख में आन भारत की
रगों में रक्त भारत का,नयन में मूर्ति भारत की
बने हम हिंद के योगी धरेंगे ध्यान भारत का
उठाकर धर्म का झंडा करें उत्थान भारत का
हमारा जन्म हो सार्थक,हमारे मृत्यु का कारण
हमारे स्वर्ग का साधन,यही उत्थान भारत का
बने हम हिंद के योगी धरेंगे ध्यान भारत का
उठाकर धर्म का झंडा करें उत्थान भारत का
वन्देमातरम
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सुन्दर भाव...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर एवं प्रेरणादायी कविता के लिए आभार .
ReplyDeleteजय हिंद
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