एक मित्र हैं जिनसे पिछले कुछ दिनों से मेरी फेसबुक पर वार्तालाप चल रही है..वो मुझे तमाम तर्क दे रहे हैं और कोशिश कर रहे हैं की मै अपना धर्म परिवर्तन कर लूं..उनका नाम तो मुझे नहीं मालूम लेकिन उनकी प्रोफाइल डॉ.जाकिर नाइक के नाम से बनी हुई है.
आज एक कई दिनों की डिस्कसन के बाद मैंने उन्हें अपना जवाब भेज है..आशा है वो मेरी भावनाओ को समझ पाएंगे.
आज एक कई दिनों की डिस्कसन के बाद मैंने उन्हें अपना जवाब भेज है..आशा है वो मेरी भावनाओ को समझ पाएंगे.
मित्र मै किसी भी धर्म या धार्मिक ग्रन्थ के विरुद्ध नहीं बोल सकता..लेकिन मुझे समझ में नहीं आता की क्या वजह है की जहाँ भी दंगे होते हैं वहां
हिन्दू-मुस्लिम
सिक्ख -मुस्लिम
बौद्ध-मुस्लिम
यहूदी -मुस्लिम
काथलिक-मुस्लिम
मुस्लिम(शिया)-मुस्लिम(सुन्नी)
मुस्लिम(मिर्जई)-मुस्लिम(वहाबी)
मुस्लिम(वाही)-मुस्लिम(सूफी)
में "मुस्लिम कामन क्यों होते हैं.वो देश जहाँ मुसलमानों की संख्या ५% से ज्यादा है..शांति क्यों नहीं है?
मित्र!आप जानते हैं की इस्लाम को उदय हुए मात्र १४०० साल हुए हैं,जिसमे वह ७३ फिरको में बट गया.मै वो धर्म जो करोणों सालों से चला आ रहा है..और आज भी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है..उसे छोड़कर क्यों अलग रास्ता अपनाऊ...एक धर्म जो कहता है"वसुधैव कुटुम्बकम"मतलब पूरा संसार एक परिवार है उसे छोड़कर एक दूसरा धर्म जो कहता है"दुनिया के तमाम मुसलमान आपस में भाई भाई हैं" का दामन क्यों थामू?
एक धर्म जो सब धर्मो को समानता का अधिकार देता है-" तमाम रास्तों का अनुशरण करते हुए मनुष्य अंत में मुझे ही प्राप्त करता है.)-श्रीमद्भागवत गीता,एक धर्म जो कहता है की केवल मेरे द्वारा बताया गया मार्ग ही सही है,उसे क्यों पकडू.
जहाँ तक बात रही पवित्र कुरान में बदलाव न होने की,आप किस कुरान की बात कर रहे हैं,शीयावों के या सुन्नी के.शिया मुसलमान ही कहते हैं की सुन्नियो ने कुरान को अपने पक्ष में लिख लिया है.
मै किसी की धार्मिक भावना को आघात नहीं पहुचना चाहता क्यों की सनातन सर्वग्राही है..वो सबको अपने में बिलीन कर लेता है और समानता की बात करता है.
मै सनातनी हूँ..दुसरे को धर्म बदलने की सलाह देने से अच्छा है की हम उसे अपने धर्म को अच्छी तरह पालन करने के लिए कहें..यही हमारा सनातन धर्म कहता है और यही मै भी कह रहा हूँ.
जहाँ तक आप डाक्टर जाकीर नाइक के तर्कों का हवाला देकर ये बात कह रहे हैं..आपको पता होगा की वेदों की गलत व्याख्या देने की वजह से ही सरकार ने उनके चैनल को प्रतिबंधित किया है...मित्र धार्मिक होना अच्छी बात है लेकिन धर्मोन्मादी नहीं.मै ७ बार कुरान पढ़ चूका हूँ और वेदों को भी..मुझे लगता है धर्मपरिवर्तन कोई रास्ता नहीं हो सकता...हो सके तो आप भी इन सब चीज़ों से ऊपर उठकर इस्लाम में फैली हुई कुरीतियों को दूर करने पर ध्यान दें और हम तो सनातन में फैली हुई विसंगतियों को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं.
हिन्दू-मुस्लिम
सिक्ख -मुस्लिम
बौद्ध-मुस्लिम
यहूदी -मुस्लिम
काथलिक-मुस्लिम
मुस्लिम(शिया)-मुस्लिम(सुन्नी)
मुस्लिम(मिर्जई)-मुस्लिम(वहाबी)
मुस्लिम(वाही)-मुस्लिम(सूफी)
में "मुस्लिम कामन क्यों होते हैं.वो देश जहाँ मुसलमानों की संख्या ५% से ज्यादा है..शांति क्यों नहीं है?
मित्र!आप जानते हैं की इस्लाम को उदय हुए मात्र १४०० साल हुए हैं,जिसमे वह ७३ फिरको में बट गया.मै वो धर्म जो करोणों सालों से चला आ रहा है..और आज भी दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है..उसे छोड़कर क्यों अलग रास्ता अपनाऊ...एक धर्म जो कहता है"वसुधैव कुटुम्बकम"मतलब पूरा संसार एक परिवार है उसे छोड़कर एक दूसरा धर्म जो कहता है"दुनिया के तमाम मुसलमान आपस में भाई भाई हैं" का दामन क्यों थामू?
एक धर्म जो सब धर्मो को समानता का अधिकार देता है-" तमाम रास्तों का अनुशरण करते हुए मनुष्य अंत में मुझे ही प्राप्त करता है.)-श्रीमद्भागवत गीता,एक धर्म जो कहता है की केवल मेरे द्वारा बताया गया मार्ग ही सही है,उसे क्यों पकडू.
जहाँ तक बात रही पवित्र कुरान में बदलाव न होने की,आप किस कुरान की बात कर रहे हैं,शीयावों के या सुन्नी के.शिया मुसलमान ही कहते हैं की सुन्नियो ने कुरान को अपने पक्ष में लिख लिया है.
मै किसी की धार्मिक भावना को आघात नहीं पहुचना चाहता क्यों की सनातन सर्वग्राही है..वो सबको अपने में बिलीन कर लेता है और समानता की बात करता है.
मै सनातनी हूँ..दुसरे को धर्म बदलने की सलाह देने से अच्छा है की हम उसे अपने धर्म को अच्छी तरह पालन करने के लिए कहें..यही हमारा सनातन धर्म कहता है और यही मै भी कह रहा हूँ.
जहाँ तक आप डाक्टर जाकीर नाइक के तर्कों का हवाला देकर ये बात कह रहे हैं..आपको पता होगा की वेदों की गलत व्याख्या देने की वजह से ही सरकार ने उनके चैनल को प्रतिबंधित किया है...मित्र धार्मिक होना अच्छी बात है लेकिन धर्मोन्मादी नहीं.मै ७ बार कुरान पढ़ चूका हूँ और वेदों को भी..मुझे लगता है धर्मपरिवर्तन कोई रास्ता नहीं हो सकता...हो सके तो आप भी इन सब चीज़ों से ऊपर उठकर इस्लाम में फैली हुई कुरीतियों को दूर करने पर ध्यान दें और हम तो सनातन में फैली हुई विसंगतियों को दूर करने के लिए प्रयासरत हैं.
मित्र!... बहुत सही और तार्किक जवाब दिया है आपने .... जय हो!
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