अभी-अभी खबर पढ़ी है की उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार अपने जगजाहिर "आतंकवादी प्रेम" पर एक और ठप्पा लगते हुए वाराणसी के विश्व विख्यात संकटमोचन मंदिर और कैंट रेलवे स्टेशन पर सात मार्च, 2006 को हुए आतंकी हमले के आरोपी शमीम के खिलाफ चल रहे मुकदमे को वापस लेने का निर्णय ले लिया है।जैसा की आप जानते हैं की सात मार्च, 2006 को संकट मोचन व कैंट रेलवे स्टेशन पर हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोट के बाद दशाश्वमेध इलाके में भी डेढ़सी पुल के नजदीक एक कुकर बम बरामद हुआ था, जिसे पुलिस ने निष्क्रिय कर दिया था। जांच के दौरान पुलिस व एसटीएफ ने इलाहाबाद के वलीउल्लाह को गिरफ्तार किया था। पूछताछ व सर्विलांस से मिली जानकारी में चंदौली निवासी शमीम अहमद का भी नाम सामने आया।इस सीरियल धमाके में २७ लोग मारे गए थे और दर्शनो घायल हो गए थे.तो क्या अब हमारी राजनितिक पार्टियाँ वोट के लए इतने निचे तक गिर गयी हैं की आतंकवादियों-देशद्रोहियों को जेल से छोड़ रही हैं और जैसा की अभी कुछ दिन पहले की ख़बरों के मुताबिक एक सिरिअल ब्लास्ट के आरोपी की लू से मौत पर ६ लाख का मुआवजा भी इसी सरकार ने दिया था.अगर इन आतंकवादियों का कोई गुनाह नहीं था तो तमाम सुरक्षा एजेंसियों ने इन्हें पकड़ा ही क्यूँ?या समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही सारे आतंकी निर्दोष क्यों हो जाते हैं?ये मनन-चिंतन का विषय है.यूपी की जातिवादी जनता को भी सोचना चाहिए,आखिर जातिवाद के नाम पर इन आतंकवादी विचारधारा की पोषक सरकारों को कब तक सत्ता देंगे?आज स्वर्ग में बैठ कर समाजवाद के प्रणेता राम मनोहर लोहिया की भी आत्मा रो रही होगी की मैंने तो समाजवादी पार्टी बनायीं थी और हमारे अनुयायी इसे नमाज़वादी पार्टी बना दिए.यहाँ एक तथ्य स परिचित कराना और जरूरी है की सपा का यह आतंकवादी प्रेम सिर्फ मुस्लिम वोटबैंक के लिए है लेकिन शायद वो भूल रहे हैं की जिस हमले के दोषी को ये छोड़ रहे हैं उसी हमले में ३ मुसलमान भी मरे थे.लेकिन इससे इनको फर्क नहीं पड़ता क्योंकि इन्हें तो कुछ ऐसा दिखाना है जिससे इनका मुस्लिम प्रेम उजागर हो.
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