कल तुम मेरा नाम पढोगे
इथिहासो के शिला लेख पर
जिनके पैरो में छाले है
मै उन की आँखों का जल हूँ
मै पीडावों का गायक हूँ
शब्दों का व्यपार नहीं हूँ
जहाँ सभी चीजे बिकती हैं
मै वैसा बाज़ार नहीं हूँ
मुझ पर प्रश्न चिनः मत थोपो
कुंठित व्याकरणि पैमानों
मुझको राम कथा सा पढ़िए
बहुत सहज हूँ बहुत सरल हूँ
मेरा मोल लगाने बैठे
है कुछ लोग तिजोरी खोले
धरतीपर इतना धन कब है
जो मेरी खुद्दारी तौले
राजभवन के कालीनो पर
मेरे ठोकर चिन्न मिलेगे
मै आंसू का ताज महल हूँ
झोपड़ियों का राजमहल हूँ
जब से मुझको नील कंठनी
कलम विधाता ने सौपी है
तन में काशी वृन्दावन है
मन में गंगा की कल कल हूँ
दरबारों की मेहरबानियाँ
जड़ भी चतुर सुजान ओ गए
जुगनू विरुदावालियाँ गाकर
साहित्यिक दिनमान हो गए
मै डर कर अभिनन्दन गाऊं
इससे अच्छा मर जाऊं
मै सागर का का क़र्ज़
चुकाने वाला आवारा बादल हूँ
(हर-हर महादेव
(एक देशभक्त की रचना)
मेरा मोल लगाने बैठे
ReplyDeleteहै कुछ लोग तिजोरी खोले
धरतीपर इतना धन कब है
जो मेरी खुद्दारी तौले
व!ह .....
दरबारों कि मेहरबानियाँ
ReplyDeleteजड़ भी चतुर सुजान हो गए
जुगनू विरुदावलियाँ गाकर
साहित्यिक दिनमान हो गए
मै डरकर अभिनन्दन गाऊँ, इससे से अच्छा है मर जाऊं
मै सागर का क़र्ज़ चुकाने वाला आवारा बदल हूँ |
प्रेरणादायी कविता ,आभार .
ReplyDeleteधरती पर इतना धन कब है............
ReplyDeleteआत्मीय कविता के लिए साधुवाद
वाह साहब..
ReplyDeleteaapke blog ko dekha bahut hi achchha prayas hai, jai shri ram.
ReplyDeleteबहुत खूब ......बहुत ही सुंदर कविता.
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