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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Sunday, February 7, 2010

सोच:बनारस के बारे में


कभी-कभी ऐसा होता है की एक ही बात को दो लोगों से अलग-अलग तरह से सुनकर हमारे दिल में कुछ अजीब सा लगने लगता है.नौकरी पेशा आदमी हूँ.ऑफिस के रश्ते में एक अंकल महोदय मिले.बातचीत चलने लगी.उन्होंने पुछा कहाँ के रहने वाले हो बेटा?
"बनारस से."
"अरे बड़ी पवित्र भूमि को लाल हो.दिल खुश हो गया मिल कर.लोग काशी में जाने को तरश्ते हैं और आप वहीँ से २२ साल रह कर आए हो."
दिल बाग़-बाग़ हो गया.बनारस के बारे में लोगों की ऐसी सोच है.
उसी दिन मेरा ये भ्रम टूट गया.
ऑफिस में मेरे सर (हमारे मेनेजर) ने अचानक पूछ दिया.
"राहुल तुम कहाँ के रहने वाले हो.हमेशा धार्मिक बातें ही करते हो."
"सर बनारस से."
मई तो सोच रहा था की अंकल की तरह ये बनारस को काशी,पवित्र भूमि के नामो से संबोधित करके उसकी महानता के पुल बढ़ेंगे.लेकिन यहाँ तो ठीक उल्टा हुआ.
"अरे,बनारस.वहां के तो ठग प्रसिद्ध हैं न.कहीं तुम उनमे से तो नहीं?"
और तहाके लगाने लगे.दिल को थेश लगा.मै क्या बोलता?दिल दुखी हो गया.इसलिए नहीं के मुझपर ठग होने का शक किए अपितु इसलिए की बनारस के बारे में दो अलग-अलग लोगों की सोचें कितनी अलग हैं.
छाती इन्द्रिय ने काम किया.
मै बोला.
"सर देखी अपना-अपना नजरिया होता है.एक चीज़ को लोग अपने अपने नजरिए से देखते हैं.
एक साहित्य प्रेमी बनारस को मुंशी प्रेमचंद,जयशंकर प्रसाद की जन्मभूमि और कर्म भूमि के रूप में देखता है,तो एक क्रन्तिकारी चंद्रशेखर आजाद और रानी लक्ष्मीबाई के जन्मभूमि के रूप में.कला प्रेमी के लिए यह उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का बनारस है तो एक इमानदार राजनेता के लिए लालबहादुर शाश्त्री जी की जन्मभूमि.हिन्दुओं के लिए द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्वेश्वर महादेव का कृपा स्थल,जैनों के लिए तीर्थंकर चंद्रप्रभु और पार्श्वनाथ की जन्मभूमि और बौद्धों के लिए भगवन बुद्ध का प्रथम उपदेश स्थल.और एक ठग के लिए..."
मेरा इतना ही कहना था....
पता नहीं उनको क्यूँ बुरा लग गया...
हमेशा मेरे पीछे पड़े हुए हैं....
कुछ गलत कहा था दोस्तों?
आप ही बताओ...........

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