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अगरहो प्यार के मौसम तो हमभी प्यार लिखेगें,खनकतीरेशमी पाजेबकी झंकारलिखेंगे

मगर जब खून से खेले मजहबीताकतें तब हम,पिलाकर लेखनीको खून हम अंगारलिखेगें

Saturday, February 13, 2010

शोषक


जो पीकर खून पलते हैं,वो हमको प्यार क्या देंगे?
ये शोषक देश के उत्थान को अधर क्या देंगे?
गरीबों की कमाई प्यालिओं में ढलने वाले,
शहीदों के कफ़न को बेच जीवन पलने वाले,
न्याय को बेचने वाले,वतन को बेचने वाले,
भगत सिंह चंद्रशेखर के चमन को बेचने वाले,
जो आदर्शों की नौका को डुबो देने में माहिर हैं,
तूफा में देश की नौका को वे पतवार क्या देंगे?
जो पीकर खून पलते हैं,वो हमको प्यार क्या देंगे?
देशभक्ति पर बोलते,पर पेट में है पाप इनके,
आवरण में सफेदी,जनविरोधी माप इनके,
सभाओं में शहीदों के लिए आशुं बहते हैं.
मगर पीछे उनका नाम बेचकर दाम खाते हैं.
विषधर देश को पवन सुधा भंडार क्या देंगे?
जो पीकर खून पलते हैं,वो हमको प्यार क्या देंगे?
ग्रहण कर उच्च शिक्षा फिर भी छोटे कम करते हैं.
अपावन काम से शिक्षा को भी ये बदनाम करते हैं.
फटे हालों गरीबों से भी ये सब घूस लेते हैं.
ये कुत्ते हैं,हबिस में हड्डियाँ तक चूस लेते हैं.
प्रशाशन और जनता को ये सद्व्यवहार क्या देंगे?
जो पीकर खून पलते हैं,वो हमको प्यार क्या देंगे?

-राहुल पंडित

2 comments:

  1. यही हाल है..चिन्तन सही दिशा में है. बधाई.

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  2. जो पीकर खून पलते हैं,वो हमको प्यार क्या देंगे?
    nice

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