उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार को इलाहबाद हाईकोर्ट का तमाचा.
२००६ में वाराणसी में हुए ब्लास्ट (जिसमे ३२ निर्दोष मारे गए थे और दर्जनों घायल हुए थे) के आतंकवादियों को छोड़ने की याचिका पर कोर्ट ने कहा-
१. आज आप आतंकियों को छोड़ने की बात कर रहे हैं तो क्या कल उन्हें पद्म विभूषण देंगे?
२.कौन आतंकी है और कौन नहीं,इसका फैसला कोर्ट करेगी न की सरकार.
३. आखिर जो ६ सालों तक आतंकवादी थे,आपकी सरकार आते है निर्दोष कैसे हो गए?
४.क्या आतंकियों की रिहाई से दुसरे आतंकियों और अपराधियों का दूसरी वारदात को अंजाम देने के लिए हौसला नहीं बढेगा?
देखते हैं हमारे देश की शर्मनिरपेक्ष राजनीती,निर्दोषों की लाशों को भुलाकर वोटबैंक की राजनीती कब तक करती है?
अखिलेश अली पुत्र मुलायम अली से हिन्दू और उम्मीद ही क्या कर सकतें हैं ! शुक्र है यह टिप्पणी इलाहाबाद हाइ कोर्ट ने की है जिस पर इनका बस नहीं चलता ! वरना बाप-बेटे हाइकोर्ट का भी मूह भीच देते !
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