हे राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नही.
90 करोड़ इन मुर्दों मे, अब बची किसी में जान नही .
भाई भाई का दुश्मन है,बहनो का भी सम्मान नही .
हम कैसे कह दें कि हिंदू अब, तुर्कों की संतान नही .
इतिहास स्वयं का भूल गए ,भगवापर भी अभिमान नही.
अब याद इन्हे बस अकबर है, राणा प्रताप बलवान नही .
हल्दी घाटी सूनी सी है ,चेतक का भी तूफान नही .
हिंदू भी होने लगे दफ़न ,अब जलने को शमशान नही .
भारत की चीखें गूँज रही ,निज देश का भी सम्मान नही .
साई ही इनके सब कुछ हैं , अब महादेव भगवान नही.
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