एकबार फिर से हम शर्मिंदा होने पर बेबश हुए.जिसतरह शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने जनरल अरुण बैद्य के हत्यारों आतंकवादी हरजिंदर सिंह जिंदा और सुखदेव सिंह को शहीद का दर्जा देकर उसके परिवारों को सम्मानित किया, मै स्तब्ध हूँ.आखिर हम जा कहाँ रहे हैं.सत्तारूढ़ अकाली दल (बादल)की तरफ से आया वक्तब्य और निराशाजनक है. जनरल वैद्य 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार के इंचार्ज थे और सेना से रिटायर होने के बाद पुणे में रहते थे।
एसजीपीसी ने मंगलवार को हरमंदिर साहिब परिसर में जिंदा और सुक्खा की याद में अखंड पाठ 'भोग' का आयोजन किया। जिंदा के भाई भूपिंदर सिंह और सुक्खा के रिश्तेदार सुरजीत कौर को 'सिरोपा' सौंपा गया। इस मौके पर एसजीपीसी के सचिव दलमेश कौर भी मौजूद थे।क्या देश के लिए ईमानदारी से काम करने वाले हमारे सैनिकों के हत्यारों का सम्मानित करना भारत माता को अपमानित करने जैसा नहीं है.राष्ट्रवाद कु दुहाई देने वाली भारतीय जनता पार्टी कहा हैं?क्या केवल सत्ता सुख भोगने के लिए ही राष्ट्रवाद का नारा दिया जाता है?कल कश्मीर में अफज़ल गुरु को सम्मानित किया जाये तो इसमें हैरानी क्या?मुझे नहीं लगता की यह डाक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की बीजेपी है जिन्होंने देश के अखंडता के लिए खुद को बलिदान किया.क्या बीजेपी को अकाली दल पर दबाब नहीं डालना चाहिए?अगर अकाली दल इस मुद्दे पर साथ चलने को तैयार नहीं है तो बीजेपी को गठबंधन सरकार से अलग होने में शंशय नहीं रखना चाहिए.आखिर बीजेपी अपने राष्ट्रवाद के लिए ही जनि जाती है.क्या इस घटना के बाद आपको दर नहीं लगता की पंजाब में फिर से आतंक बढ़ सकता है?क्या शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी राष्ट्रद्रोह का काम नहीं कर रही है?इनमे और लश्कर ई तोएबा में अंतर कैसा?आखिर दोनों का काम ही भारत की अखंडता को को खंडित करना और भारत माता की आत्मा को चोट पहुचना है.आज सभी दलों को एक होकर इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की शख्त जरुरत है.ताकि भारत की अखंडता कायम रह सके और पंजाब दुबारा से आतंकवाद की आग में न जल सके.
और आखिरी में एक चेतावनी-
कोई अब ऐसा न सोचे ये भूमि बाट ली जाएगी
जो खालिस्तान पुकारेगा,वो जीभ काट ली जाएगी
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