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Monday, July 26, 2010

भारतीय मुसलमान:कौम बड़ा या मुल्क?


सभी हिंदुत्व के रखवालों को विजय दिवस की बधाइयाँ,

उन शहीदों को शत-शत नमन जिन्होंने राष्ट्र रक्षा में खुद को बलिदान कर दिया.

देश के उन तमाम जवानो को जो की आज भी हमारे राष्ट्र की रक्षा के लिए हमारे सरहदों पर खड़े जाग रहे हैं ताकि हम चैन से सो सकें और हमारी भारत माता की तरफ दुबारा से कोई बाबर और क्लाईव जैसा दरिंदा अपने अछूत हाथो से श्पर्श न करे,मेरा शत-शत प्रणाम.

आज विजय दिवस है.आज हमने उन पाकिस्तानी मुल्लाओं को अपने देश की सीमा से भगाया था जिन्होंने पैसठ और इकहत्तर के बाद निन्यानवे में दुबारा से हमारे विरुद्ध हमारी सीमा में घुस आये.वास्तव में ये हमारे लिए एक गर्व का दिन है.
आज जब मै सुबह-सुबह उठा तो समाचार पत्र में कारगिल विजय की खबरे पढ़ रहा था.मेरे एक मित्र हैं मसूद आलम.मैंने युही पूछ लिया की आज कुछ खास दिन है,बताओ क्या है?
साब ने कहा आज तो कुछ नहीं है कल सबेबरात है.मैंने कहा वो तो कल है,आज बताओ.
फिर मैंने बताया आज विजय दिवस है और आज हमने कारगिल फतह की थी.
साब ने कहा इसमें क्या खाश है जो याद रखा जाये?
मैंने कहा जिस देश में रहते हो उसके बारे में थोड़ी सी जानकारी तो होनी चाहिए.
कहा कैसा देश?आज मै यहाँ हूँ कल कहीं और मुझे ज्यादा पैसा मिलेगा मै चला जाऊंगा.
बात बढ़ी.मैंने पूछा कौम बड़ा या मुल्क.
उन्होंने कहा साधारण सी बात है.कौम से बढ़ कर कुछ नहीं.
फिर भी आलम साहब,भारत में आईसीआईसीआई में जॉब करते हैं,भारत का खाते हैं,कुछ तो कर्त्तव्य बनता है.
कौम के आगे कुछ भी कर्त्तव्य नहीं है,क्या तुम अपने कौम के लिए देश के खिलाफ नहीं खड़े होगे?
मैंने कहा नहीं,जब राष्ट्र बचेगा तभी कौम बचेगा...राष्ट्र के लिए मै अपने धर्म के खिलाफ हज़ार बार खड़ा होउंगा.
बात बढती गई........थोड़ी सी बहस हमारे बीच हुई,चुकी मुझे ऑफिस जाना था सो मै चला गया.
लेकिन यहाँ पर इस घटना को लिखेने की वजह यह है की मेरे एक ब्लॉग में कैरानावी नाम के एक ब्लोगेर में पूछा था की अगर हिन्दुइस्म सबको सामान मानता है तो ये लोग क्यूँ पूछते हैं की कौम बड़ा की मुल्क?
कैरानावी साहब यही वजह है की लोग पूछते हैं की कौम बड़ा या मुल्क.
क्या आपको लगता है की आलम साहब अगर भारत के ऊपर अरब राष्ट्र आक्रमण करते हैं तो भारत की तरफ से लड़ेंगे?
जिस देश में १७ करोण लोगो की ये विचारधारा हो उस देश में शांति कहाँ से होगी.लोग कहते हैं की भारतीय सेना में मुसलमानों को पर्याप्त जगह नहीं मिली.
कैसे मिलेगी,हमें तो ऐसे जवान चाहिए जो देश के दुश्मन से लादेन चाहे वो जिस कौम का हो.
उन जवानो पर हम कैसे विस्वाश कर सकते हैं जिनके लिए राष्ट्र से बढ़कर धर्म है.
कैरानावी साहब मै आशा करता हूँ की भारत में लोग मुसलमानों से क्यूँ पूछते हैं,धर्म बड़ा या राष्ट्र.इसका जवाब आपको मिल गया होगा.
मै अब यही बात आपसे और तमाम हिन्दुस्तानी मुसलमानों से पूछता हूँ क्या आप भारत की रक्षा के लिए इस्लाम के खिलाफ जंग लड़ने के लिए तैयार हैं?

6 comments:

  1. न कौम बड़ी , न मुल्क . सबसे बड़ा है वेदज्ञान .

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  2. मैंने आपसे कभी ऐसा सवाल नहीं किया, ब्‍लागजगत गवाह है मेरी आदत जवाब देने की है न कि सवाल करने की, आपको अखबार देख के कारगिल याद आ गया, कारगिल की बात कर रहे हो तो याद करो इसमें हिन्‍दुस्‍तानी मुसलमानों ने साथ दिया था यह इसलाम मुखालिफों ने भी माना था, न याद आये तो बताना वह बातें पेश कर देंगे जो कारगिल के दौरना मुसलमानों ने की थीं,

    कौन बडा या कौन छोटा की बात मैं अपने बुजुर्गों से सुन पढ न सका हाँ धर्म पहले है, उसके बाद देश है, धर्म से ही हमें हर तरह की शिक्षा मिलती है जैसे मेरा धर्म शिक्षा देता है कि जिस देश में रहो उसके वफादार रहो, आडवाणी जी लाहौर में पैदा हुए तो परवेज मुशर्फ दिल्‍ली में लेकिन दोनों अपने देश के वफादार हैं न कि जन्‍म स्‍थान वाले देश के, इसी तरह 53 इस्‍लामी मुमालिक सहित दुनिया में मुसलमान कहीं भी रहे उसे उस देश का वफादार रहना है, इस वफादार रहने में ही वह सब बातें आ गयीं जो देश अपने निवासियों से चाहता है

    इस बात को खाली डायलाग न समझें कि हम वहाँ के वफादार रहते हैं जहाँ रहते हैं , मुसलान ब्‍लागर्स की ही बात लेलो किसी भी मुसलमान ने पाकिस्‍तान हित की आज तक कोई बात न की
    हमेशा जिहाद के वो गलत अर्थ न बताये जिनसे उन्‍होंने अपना मतलब निकाला, हमेशा जिहाद के real meaning पर जोर दिया,
    राष्‍ट्र हित के हर पोस्‍ट पर साथ दिया है कमेंटस के जरिये शाबाशी दी, हौसला बढाया
    कभी किसी धर्म प्रचार के ब्‍लाग पर नहीं जाते , कुप्रचार पर जाना एक जिम्‍मेदारी होती है, जैसे कोई मुसलमान अगर हिन्‍दू धर्म पर कुप्रचार करेगा तो आप सही जवाब देने पहुंचोगे, पहुंचते भी रहे हो, ऐसे ही यह आजादी हमें क्‍यूं नहीं?

    भाई देश कई कारणों से बदलता रहता है अगर हम उसे पहले रखेंगे तो यह इन्‍साफ नहीं होगा, रहते हम अमेरिका में हैं और वफादार हिन्‍दुस्‍तान के रहें यह अच्‍छी बात नहीं, कल को किसी देश के टुकडे हो जायें तो मुसलमान को उस भाग में जिस में रह रहा होगा का वफादार रहना है,

    भाई आपका ब्‍लाग देख कर समझदारी की उम्‍मीद तो नहीं लेकिन फिर भी कह देता हूं कि अपनी सोच को बदलो कमसे कम पाकिस्‍तान के मामले में बदलो वह दुश्‍मनी के लायक कहाँ रहा, चीन हमारे सर पर आके बैठने को तैयार है कुछ लेखन शक्ति उसके लिये बचा लो

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  3. @परम आर्य
    आप अपने को आर्य लिखते हैं और बात कर रहे हैं सिद्धांत विरुद्ध. लेखक का मंतव्य और विषय समझिये. उसका विरोध वेद से नहीं है जो आप वेदों को बेमतलब बीच में ला रहे हैं और वेदों में भी राष्ट्र-रक्षा विषय पर काफी सारे मन्त्र हैं.

    @राहुल पण्डित

    कैरानवी जैसे धूर्तों के मुंह लगने से कोई फायदा नहीं है, इनके लिये काला अक्षर कुरान बराबर है.

    खैर फिर भी कैरानवी की बातों का उत्तर मैं देता हूँ.
    आपने कारगिल युद्ध में मुसलामानों के साथ की बात की है, २-४ बार दिखावे के लिये साथ देना साथ नहीं होता, दूसरा इक्का-दुक्का मुसलमान हम मान सकते हैं ठीक हो पर ९९.९९९९९९...% गद्दार ही हैं.

    धर्म की बात तुम्हारे मुंह से अच्छी नहीं लगती क्योंकि इस्लाम धर्म है ही नहीं उसको आप कौम, मजहब या सम्प्रदाय कह सकते हैं.
    धर्म जोकि केवल हिन्दू सनातन वैदिक है उसके अनुसार राष्ट्र की रक्षा करना पहला कर्तव्य है और राष्ट्र क्या है उसको भी धर्म परिभाषित करता है. इस्लाम केवल कमन्युजम की तरह एक साम्राज्यवाद है जिसको मोहम्मद ने अपने फायदे के लिये शुरू किया था.

    दिल्ली लाहौर एक ही देश की बात है जब आडवानी और परवेज़ पैदा हुए थे तब वो एक ही देश था. पाकिस्तान का जन्म ही इस्लामिक अलगाववाद पर हुआ है और अब भी निरन्तर तुम्हारा यही प्रयास है.

    तुम लोग कितने वफादार रहते हो इस बात को प्रमाणित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या. इसीलिए मैं तुम लोगो को धूर्त कहता हूँ. कितना ही तर्क, प्रमाण देलो लेकिन तुम लोग बड़ी ढीटता से से झूठ बोलते हो.

    किसी देश की राजनैतिक सीमाएं बदल सकती हैं लेकिन राष्ट्रीय विचारधारा नहीं. पहले जानो राष्ट्र क्या है.

    अन्त में तुमने अपनी गद्दारी का परिचय स्वयं दे ही दिया पाकिस्तान की तरफ में बोलकर.

    वैसे मैं जानता हूँ तुम्हारी समझ में कुछ नहीं आने वाला और ना ही तुम लोग बदलने वाले क्योंकि तुम्हारी वो ही हालत है अंधे को दिया दिखाना.

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  4. कैरानावी साहब,धर्म तभी होगा जब राष्ट्र होगा.आपका इस्लाम आपको यह सिखलाता है की जिस मुल्क में रहो उसके प्रति वफादार रहो,लेकिन ये नहीं सिखाता की राष्ट्र धर्म सर्वोपरि है.क्या आप भारत के लिए इस्लाम के विरुद्ध तैयार हैं,अपने अप्रत्यक्ष रूप से न में जवाब दिया.
    आपने मुझसे कहा की आप ने कभी मुखसे ये सवाल नहीं किया.मुझे पता है की सर्च ट्रू पथ आपका ब्लॉग है.अपने पूछा था,लिंक देख लीजिए-rahulworldofdream.blogspot.com/2010/06/blog-post_11.html - अब ये मत कहना की ये मेरा ब्लॉग नहीं है.सारा ब्लॉग जगत जनता है की आप किन किन नमो से ब्लॉग बनाकर प्रकट होते हैं.
    आप कहते हैं की पाकिस्तान को छोड़कर चाइना के बारे में सोचे,चाइना तो अभी आएगा लेकिन(आपका)पाकिस्तान तो ६० सालों से लगा हुआ है.ता हम पहले आपके(पाकिस्तान के) बारे में सोचने को विवश हैं.

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  5. Rahul ji how r u?

    Bhai apna contact number do.
    Mai bhi varnasi kabir chaura jahan meri janmbhumi hia.

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  6. RAHUL BHAI
    Ye baat kisi ek ki nhi hai . mai ek muslim university ka student hu .aur en logo pr maine gahraai se research kiya hai . ye kabhi bhi INDIA ka saath nhi denge. Ek baat btata hu aapko abhi kuch din phle INDIA V/S SOUTH AFRRICA ka match tha WORLD CUP 2011 me . jisme INDIA haar gya to mere Hostel ke saare muslim bachho ne shirt aur T-SHIRT uttar kr dance kiya tha . ab aap btaaye ki eski wajah kya hai ....................


    waiting ....

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